लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत राजधानी में जिन अभिभावकों ने अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन किया था. उनमें से करीब 4.5 हजार बच्चों के प्रवेश अभिभावकों की मामूली गलती के कारण नहीं मिल पाया है. आवेदन करने वाले अभिभावकों को वार्ड, आयु सीमा, प्रवेश लेने से मना करना समेत कई ऐसी समस्याएं सामने आईं. जिनके चलते छात्रों के प्रवेश रुक गए. इसमें वार्ड बदलने की समस्या से ज्यादा अभिभावकों को समस्याओं का सामना करना पड़ा. वहीं, मनपसंद विद्यालय न मिलने से प्रवेश से मना करने वाले अभिभावकों का आंकड़ा सबसे अधिक है.
शैक्षिक सत्र 2023-24 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी विद्यालयों में आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश लेने के लिए इस बार तीन चरणों में आवेदन दिए गए थे. जिसमें कुल करीब 15 हजार अभिभावकों ने अपने बच्चों के निजी विद्यालय में प्रवेश के लिए आवेदन किया था. इस मामले में राजधानी के कई बड़े नामी विद्यालयों ने प्रवेश लेने से मनमानी की है. जिसके चलते सीबीएसई और आईएससी बोर्ड से मान्यता वापस लेने की कार्रवाई के लिए पत्र भेजा गया है. साथ ही एडी, ज्वाइंट डायरेक्टर समेत तमाम उच्चाधिकारियों को भी ऐसे विद्यालयों की सूची भेज दी गई है.
बेसिक शिक्षा कार्यालय में आरटीई का काम देख रहे जिला समन्वयक अधिकारी ने बताया कि लखनऊ में 2096 विद्यालय मौजूद हैं. इस बार 14 हजार 800 करीब आवेदन आए थे. इसमें तकरीबन 10 हजार आवेदकों का प्रवेश मिल गया है. इसमें प्रवेश के लिए वार्ड के अलावा भी कई ऐसे कारण हैं. जिनके चलते छात्रों के प्रवेश नहीं हुए हैं. इसमें कई अभिभावक ऐसे थे. जिन्होंने मनपसंद विद्यालय न मिलने के बाद दाखिले से मना कर दिया. इनकी संख्या 2000 के आसपास है. उधर, आयु सीमा और गलत प्रपत्रों को जमा करने के प्रकरण भी सामने आए हैं. वार्ड के चलते प्रवेश न मिल पाने वालों की संख्या 500 से अधिक नहीं है.
वार्ड समस्या के लिए करा ली मैपिंग : जिला समन्वयक ने बताया कि पोर्टल पर वार्ड की समस्या को दूर करा लिया गया है. विद्यालयों से उनकी लोकेशन के साथ पूरा डाटा दोबारा अपलोड कराकर 25 अक्टूबर तक मैपिंग का काम पूरा करा लिया है. जनवरी महीने में दोबारा आवेदन शुरू होने पर अब वार्ड की समस्या नहीं आएगी. अभिभावकों को उनके वार्ड के ही विद्यालय अलॉट किए जाएंगे. बताया कि 6 साल से कम आयु के मामले भी कुछ कम नहीं है. उधर, कई मामलों में विद्यालयों ने अभिभावकों की ज्यादा इनकम को लेकर भी आपत्तियां जताई थी. मामले में रिपोर्ट भेजकर जांच कराई जा रही है.
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