लखनऊ : प्राग नारायण रोड पर यजदान बिल्डर के अवैध निर्माण (illegal construction of Yazdan builder) को ध्वस्त करने की कार्रवाई सोमवार सुबह विधिवत शुरू कर दी गई. इस काम को 15 दिन में लखनऊ विकास प्राधिकरण कर पाएगा. बिल्डर पर आरोप है कि उसने नजूल की भूमि पर यह निर्माण किया है. मजे की बात यह है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने नजूल की भूमि होने के बावजूद इसका नक्शा पास कर दिया. दूसरी ओर इस नक्शे के आधार पर रेरा से पंजीकरण भी मिल गया, जिसकी वजह से अनेक निवेशक इस अपार्टमेंट में फ्लैट खरीद चुके हैं. जिनका करोड़ों रुपया अपार्टमेंट में फंस चुका है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के किसी भी अफसर पर इस मामले में कार्रवाई ना होना बड़े सवाल खड़े कर रहा है.
बसपा नेता फहद यजदान ने प्राग नारायण रोड स्थित नजूल की भूमि पर वर्ष 2015 में यजदान अपार्टमेंट का निर्माण शुरू किया था. लविप्रा के मानचित्र सेल, प्रवर्तन के अफसरों के साथ तत्कालीन सचिव और उपाध्यक्षों पर नजूल की जमीन पर अवैध यजदान अपार्टमेंट बनवाने के आरोप लगे. लविप्रा के अफसरों ने नियमों को ताख पर रखकर अपार्टमेंट का मानचित्र स्वीकृत कर दिया था, हालांकि वर्ष 2016 में लविप्रा ने नोटिस भेजकर इसको सील करा दिया था. लविप्रा के अफसरों की पोल खुलने के बाद भी बिल्डर से 75 लाख रुपये शमन मानचित्र का भी जमा करा लिया गया, इसके बाद लगातार अपार्टमेंट का निर्माण होता रहा.
वर्ष 2019 में यजदान अपार्टमेंट को तोड़ने के आदेश विहित न्यायालय ने दिए थे. इस पर बिल्डर ने मंडलायुक्त न्यायालय में अपील की थी. वहां से भी अपील खारिज होने के बाद 30 मार्च को अवैध यजदान अपार्टमेंट के कुछ ही हिस्से को तोड़कर खानापूर्ति की गई थी. लविप्रा से मानचित्र स्वीकृत होने के कारण इस प्रोजेक्ट को यूपी रेरा में भी पंजीकृत कर लिया गया. रेरा ने भी प्रोजेक्ट का भौतिक निरीक्षण तक नहीं किया. रेरा में प्राेजेक्ट पंजीकृत होने के कारण खरीदारों ने जीवन भर की पूंजी लगाकर यहां अपना आशियाना खरीदा. शासन में अटकी कार्रवाई यह अपार्टमेंट तत्कालीन लविप्रा उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह के समय बनना शुरू हुआ था.
यह भी पढ़ें : सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया घर से फरार, पुलिस टीमें दे रहीं दबिश