लखनऊ: नगर निकायों के विकास के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाले 2 फीसदी स्टांप शुल्क का हिसाब न देने के कारण 504 नगर निकायों के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटक रही है. स्थानीय निकाय निदेशक की तरफ से 504 नगर निकायों को स्टांप शुल्क का ब्यौरा न देने के कारण नोटिस जारी की गई है.
वित्तीय वर्ष 2019-20 में खर्च का हिसाब न देने पर नोटिस जारी
स्थानीय निकाय निदेशक डॉ. काजल की तरफ से वित्तीय वर्ष 2019-20 में नगर निकायों में विकास कार्य के लिए दी जाने वाली स्टांप शुल्क का हिसाब न देने के कारण नोटिस जारी की गई है. इससे पहले भी कई बार स्टांप शुल्क का हिसाब देने को लेकर रिमाइंडर भी जारी किए गए थे, लेकिन संबंधित नगर निकायों ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. अब निदेशालय के स्तर पर ऐसे नगर निकायों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.
विकास कार्यों में खर्च होती है स्टाम्प शुल्क की धनराशि
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार स्टांप शुल्क की 2 फीसदी राशि हर वित्तीय वर्ष में विकास कार्यों के लिए सुरक्षित रखती है. जिलों के डीएम, महापौर, चेयरमैन और अधिकारी मिलकर यह तय करते हैं कि इसमें से कितनी धनराशि शहरी निकायों या विकास प्राधिकरण या अन्य विभागों को दी जाएगी.
धनराशि सही से खर्च न करने की शिकायत
जानकारी के अनुसार, बीते दिनों शासन को यह शिकायत मिली थी कि कई जगहों पर इस धनराशि का सही इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में सभी नगर निकायों को यह राशि जारी की गई थी. इनमें से 504 नगर निकायों ने अब तक खर्च का हिसाब नहीं दिया, जिसको लेकर अब निदेशालय की तरफ से नोटिस जारी की गई है.
इन प्रमुख नगर निगम को नोटिस जारी
स्थानीय निकाय निदेशक डॉ. काजल ने संबंधित निकायों को नोटिस जारी करके तत्काल स्टांप शुल्क में खर्च का हिसाब मांगा है. मुख्य रूप से जिन नगर निगम को भी नोटिस जारी की गई है, उनमें लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, झांसी, मथुरा, सहारनपुर, बरेली, मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद और अलीगढ़ शामिल हैं.