लखनऊ: समाजवादी पार्टी की सरकार(samajwadi party government) के दौरान हुए रिवरफ्रंट घोटाले में जांच एजेंसी सीबीआई (cbi) ने आज देशभर में 40 ठिकानों पर छापेमारी की है. यूपी में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस मामले में सीबीआई की जांच तेज होने के पीछे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे और घोटाले के समय तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) पर शिकंजा कसने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है.
शिवपाल सिंह यादव पर शिकंजा कसने की कवायद
सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (samajwadi party) के वरिष्ठ नेता रहे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है. दरअसल, पिछले कुछ समय से शिवपाल सिंह यादव के समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव में जाने को लेकर चर्चा तेज है. एगर शिवपाल सपा के साथ जाते हैं तो भाजपा को कहीं न कहीं नुकसान होगा. इस नुकसान की आशंका से बचने के लिए इस पूरी कार्रवाई को देखा जा रहा है.
सपा के साथ शिवपाल को जाने से रोकने की कवायद
ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (bjp) नेतृत्व ने शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश यादव से दूर रखने और खुद के फायदे के लिए सीबीआई को सक्रिय कर दिया है. जानकार बताते हैं कि अगर शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव में चले जाते हैं तो स्वाभाविक रूप से इसका फायदा समाजवादी पार्टी को होगा और भारतीय जनता पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. यही कारण है कि विधानसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी जांच को सीबीआई ने तेज कर दिया है.
सीबीआई की इस छापेमारी में शिवपाल सिंह यादव के करीबी और इटावा के रहने वाले पुनीत अग्रवाल के घर पर भी छापेमारी की गई. यह पूरा घोटाला शिवपाल सिंह यादव के सिंचाई मंत्री रहते हुए किया गया था. जिन तमाम आरोपी अभियंताओं और फर्मों को रिवरफ्रंट देने का काम दिया गया था. उनके बहाने शिवपाल सिंह यादव पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है.
शिवपाल से तार जोड़ने की कोशिश
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में जो मुख्य आरोपी हैं सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है. शिवपाल सिंह यादव के करीबी इटावा निवासी पुनीत अग्रवाल से की गई पूछताछ और छापेमारी से ये साफ होता है कि आने वाले समय में इस पूरे घोटाले के तार तत्कालीन मंत्री होने के नाते शिवपाल सिंह यादव से जोड़े जा सकें.
देखना दिलचस्प होगा कि शिवपाल से कैसे जोड़े जाते हैं घोटाले के तार
अब देखने वाली बात यह होगी कि सीबीआई किस प्रकार से इस पूरे घटनाक्रम की जांच करती है और शिवपाल सिंह यादव तक कैसे पहुंचती है. ईटीवी भारत ने रिवरफ्रंट घोटाले को लेकर सीबीआई द्वारा की जा रही कार्रवाई के बारे में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अरविंद यादव से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने इस पूरे मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. उन्होंने कैमरे पर आने के बजाय सिर्फ इतना कहा कि अब चुनाव नजदीक है तो स्वभाव से बात है जांच एजेंसियों को सक्रिय किया गया है.
समाजवादी पार्टी की सरकार में हुआ था रिवरफ्रंट घोटाला
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के किनारे रिवरफ्रंट योजना बनाई गई. इस योजना के नाम पर 1500 करोड़ रुपये से विकास कार्य कराए जाने थे, लेकिन इसमें तमाम तरह का घोटाला कर दिया गया. सिर्फ 60 फीसद काम किया गया और पूरी रकम का बंदरबांट किया गया. इतना ही नहीं टेंडर प्रक्रिया में भी अनियमितता की गई.
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योगी सरकार ने शुरू कराई थी जांच
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद इसकी जांच कराने का फैसला लिया गया. तब से लेकर अब तक इसकी जांच चल रही थी. घोटाले से संबंधित अभियंताओं को गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन अब सीबीआई की तरफ से इस जांच में तेजी लाई जा रही है. जिससे इसे अंतिम रूप दिया जा सके.
सीबीआई ने 40 जगहों पर एक साथ की छापेमारी
सीबीआई ने यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा, आगरा में छापेमारी की है. सीबीआई की टीम ने उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 40 जगहों पर एक साथ छापेमारी शुरू की है. माना जा रहा है कि घोटाले में जांच की सुई समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं के तरफ भी जाएगी.