लखनऊः राजधानी लखनऊ के रिवर बैंक कॉलोनी की पुरानी जर्जर बिल्डिंग (shabby building) 2 दिन पूर्व भरभरा कर गिर गई. इस बिल्डिंग में दबकर एक 21 वर्षीय युवक की मौत हो गई. 2 दिन पूर्व रिवर बैंक कॉलोनी में जो बिल्डिंग गिरी वह लगभग 60 साल पुरानी बताई जा रही हैं. बिल्डिंगों की मरम्मत के लिए नगर निगम के अधिकारियों को कई बार प्रार्थना पत्र भी दिया जा चुका था. बावजूद इसके मामले का संज्ञान नहीं लिया गया.
लखनऊ नगर निगम प्रतिवर्ष इस तरह की बिल्डिंगों को चिन्हित करने के साथ-साथ उन्हें नोटिस देकर गिराने की बात करता है, लेकिन नगर निगम का यह आदेश सिर्फ कागजों में ही रह जाता है. यही कारण है कि प्रतिवर्ष बारिश के दिनों में बड़ी संख्या में बिल्डिंग गिरती है और लोगों को अपनी जान देकर इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती हैं. इन सब के बाद भी नगर निगम अपनी कार्यप्रणाली सुधारने का नाम नहीं ले रहा है.
पुराने लखनऊ की बिल्डिंगों की हालत जर्जर ईटीवी भारत ने जब राजधानी की जर्जर बिल्डिंग के बारे में पड़ताल की तो कई तथ्य खुलकर सामने आए. राजधानी के चौक अमीनाबाद, रिवर बैंक कॉलोनी, लाटूश रोड, बाजार खाला आदि कई ऐसे इलाके हैं जहां पर कई ऐसी बिल्डिंग हैं जो काफी जर्जर हालत में हैं. यह कभी भी गिर सकती हैं, जिसके कारण जनहानि हो सकती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार इन बिल्डिंग को गिराने के लिए नगर निगम से बात भी की गई, लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हुआ जिसके कारण इन इलाकों में रहने वाले लोग काफी डरे हुए हैं.क्या कहते हैं स्थानीय
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पुराने चौक के रहने वाले बॉबी श्रीवास्तव का कहना है कि यहां की बिल्डिंगों की हालत बहुत खराब है. कई बार नगर निगम के अधिकारियों से इसे गिराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया, लेकिन अभी तक यह बिल्डिंग गिराई नहीं गई. बिल्डिंग की जर्जर हालत देखकर हम सभी लोग डरे हुए हैं. इस बिल्डिंग में लगभग 15 परिवार भी रहते हैं. नगर निगम द्वारा न ही यहां पर रह रहे परिवार को कहीं शिफ्ट किया जाएगा और ना ही इस बिल्डिंग को गिराया गया.
क्या कहते हैं नगर आयुक्त
राजधानी लखनऊ में जर्जर बिल्डिंग के सवाल पर नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि रिवर बैंक कॉलोनी की बिल्डिंग गिरने के बाद नगर निगम के अधिकारियों को जर्जर भवनों को चिन्हित करने का निर्देश दे दिया गया है. इसके साथ ही इन भवनों में रहने वाले लोगों को इन भवनों में ना रहने का भी निर्देश दिया गया है. इससे किसी भी घटना दुर्घटना से बचा जा सके.
क्या कहते हैं चीफ इंजीनियर
नगर निगम के मुख्य अभियंता महेश वर्मा ने बताया कि राजधानी लखनऊ के 183 जर्जर भवनों को नोटिस भेजा जा चुका है. इसके साथ ही नगर निगम जर्जर भवनों के लिए री सर्वे करा रहा है. मुख्य अभियंता महेश वर्मा का कहना है कि इसके तहत जो बिल्डिंग रिपेयर कराने पर चलने लायक हैं, उन्हें धारा 321 के तहत नोटिस दिया जाता है कि वह अपने भवनों को रिपेयर करा लें और सुरक्षित रहें. वहीं जो भवन ज्यादा जर्जर होते हैं, उन्हें 334 के तहत नोटिस दिया जाता है. ऐसे भवनों को खाली कराकर इस में रहने वाले लोगों को कहीं दूसरी जगह शिफ्ट किया जाता है.
पूरा गिराने लायक है पुराना लखनऊ की इमारतें
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए नगर निगम के मुख्य अभियंता महेश वर्मा का कहना है कि राजधानी लखनऊ का पुराना लखनऊ की सभी इमारतें गिराने लायक हैं. पुराने लखनऊ में लगभग डेढ़ लाख से अधिक भवन हैं जो 50 वर्ष से ज्यादा पुरानी हैं. मुख्य अभियंता का कहना है कि पुराने जमाने में जो ईंट की छत बनती थी उसकी उम्र 50 वर्ष मानी जाती थी और ऐसे में पुराना लखनऊ 50 वर्ष से ज्यादा पुराना है.
बताते चलें कि लखनऊ नगर निगम प्रतिवर्ष जर्जर भवनों का सर्वे कर आता है और प्रतिवर्ष बारिश के दिनों में बड़ी संख्या में भवन गिरते भी हैं. बावजूद इसके नगर निगम इन हादसों से सबक नहीं लेता है. यही कारण है कि बारिश का मौसम आते ही जर्जर भवन गिरते हैं और इस में रहने वाले लोगों को अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है.