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स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रवाद की अलख जगाने गांव-गांव जाएंगे ABVP कार्यकर्ता - akhil bharatiya vidyarthi parishad

उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले RSS ने अपने फ्रंटल संगठनों को एक्टिव करना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) की ओर से 15 अगस्त को देशभक्ति और राष्ट्रवाद की अलख जगाने के लिए राज्य के करीब 20 हजार गांवों में सीधे कार्यक्रम किया जाएगा. एबीवीपी के इस कार्यक्रम का मकसद यह है कि गांव-गांव पहुंचकर लोगों को राष्ट्रवाद के बारे में बताना है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
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Published : Aug 14, 2021, 8:59 PM IST

लखनऊ: स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को जन-जन से जोड़ने का वीणा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उठाया है. इस दिन को और भी खास बनाने के लिए कई विशेष वर्ग के लोगों के बीच 15 अगस्त को परिषद के कार्यकर्ता जाएंगे. यह पहला मौका होगा जब कोई संगठन ट्रांसजेंडर से लेकर काशी में मोमोक्षो भवन और स्वर्गाश्रम में अंतिम सांस ले रहे लोगों के हाथों में भी तिरंगा देंगे. उन्हें मिठाई खिलाएंगे और देश का सम्मानित नागरिक होने का एहसास कराएंगे. राज्य के करीब 20 हजार गांवों में सीधे कार्यक्रम किया जाएगा. इसका पूरा खाका तैयार कर लिया गया है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम ने कहा कि देश की आजादी के 75 साल हो रहे हैं. समाज में बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी जो इस दिवस में सरीख नहीं होता या फिर यूं कहें कि उन्हें ऐसे आयोजनों में शामिल होने का मौका ही नहीं मिल पाता. इन सब बातों को ध्यान में रखकर परिषद ने यह कदम उठाया है. काशी में मोमोक्षो आश्रम है. यहां लोग अपने जीवन का आखिरी समय बिताने के लिए आकर रहते हैं और दूसरा स्वर्गाश्रम है. यहां उन लोगों को रखा जाता है, जो अंतिम सांस ले रहे होते हैं. इन सब लोगों के बीच एबीवीपी के कार्यकर्ता जाएंगे.

संगठन मंत्री घनश्याम ने कहा कि एबीवीपी के कार्यकर्ता उन्हें आजादी और अपनापन का एहसास कराएंगे, उन्हें मिठाई खिलाई जाएगी और उनके हाथों में तिरंगा दिया जाएगा. ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के बीच भी हम लोग जा रहे हैं. लखनऊ के खदरा क्षेत्र में वह खुद ट्रांसजेंडर नागरिकों के बीच रहेंगे. यहां ट्रांसजेंडर ही ध्वजारोहण करेंगे. इनके अलावा कुष्ठ रोगियों के मध्य, स्लम एरिया, कोरोना सुरक्षा समिति, परिषद की पाठशाला, दिव्यांगजन के बीच, वैक्सीनेशन केंद्रों पर, अनाथालय में, वृद्धाश्रमों में, विधवा आश्रमों में, मंदिर एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर, अस्पतालों और निजी छात्रावासों में भी परिषद के कार्यकर्ता जाकर उन लोगों के बीच तिरंगा फहराएंगे.

संगठन मंत्री घनश्याम ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपने इस अभियान के माध्यम से प्रदेश के प्रत्येक गांव में राष्ट्रवाद का अलख जगाएगी. हर व्यक्ति को स्वतंत्रता दिवस समारोह से जोड़ा जाएगा. करीब 20 हजार गांवों में कार्यक्रम तय हुआ है. उन गांवों में आसपास के गांव के लोगों को भी जुटाया जाएगा. ध्वजारोहण उसी वर्ग के बीच का व्यक्ति करेगा. समाज के प्रति उसके योगदान को ध्यान रखकर उसका चयन किया जाएगा. परिषद इस कार्यक्रम के बहाने राज्य के गांव और शहर के प्रत्येक व्यक्ति तक अपनी पहुंच बनाएगी.

स्वतंत्रता दिवस को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इस अभियान के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में प्रदेश के 30 हजार गांव में जाने का एलान किया है. दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के भी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. अब आरएसएस के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रदेश के 20 हजार गांव तक सीधे पहुंचने का संकल्प लिया है.

राजनीतिक विश्लेषक सियाराम पांडे का कहना है कि इस प्रकार के कोई भी कार्यक्रम बिना किसी कारण के नहीं आयोजित किए जाते हैं. आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर हम लोगों को आजादी के मायने तो बताने नहीं जा रहे हैं. निश्चित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का ऐसे लोगों के बीच जाने का प्रयास सराहनीय कदम है. विधानसभा चुनाव को देखते हुए जिस तरह से सभी राजनीतिक दल गांव की तरफ भाग रहे हैं, ऐसे में परिषद का गांव तक जाना निश्चित तौर पर इसके राजनीतिक मायने भी हैं. अगर विद्यार्थी परिषद की पहुंच गांव में मजबूत होती है तो इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को भी मिलेगा.

लखनऊ: स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को जन-जन से जोड़ने का वीणा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उठाया है. इस दिन को और भी खास बनाने के लिए कई विशेष वर्ग के लोगों के बीच 15 अगस्त को परिषद के कार्यकर्ता जाएंगे. यह पहला मौका होगा जब कोई संगठन ट्रांसजेंडर से लेकर काशी में मोमोक्षो भवन और स्वर्गाश्रम में अंतिम सांस ले रहे लोगों के हाथों में भी तिरंगा देंगे. उन्हें मिठाई खिलाएंगे और देश का सम्मानित नागरिक होने का एहसास कराएंगे. राज्य के करीब 20 हजार गांवों में सीधे कार्यक्रम किया जाएगा. इसका पूरा खाका तैयार कर लिया गया है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम ने कहा कि देश की आजादी के 75 साल हो रहे हैं. समाज में बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी जो इस दिवस में सरीख नहीं होता या फिर यूं कहें कि उन्हें ऐसे आयोजनों में शामिल होने का मौका ही नहीं मिल पाता. इन सब बातों को ध्यान में रखकर परिषद ने यह कदम उठाया है. काशी में मोमोक्षो आश्रम है. यहां लोग अपने जीवन का आखिरी समय बिताने के लिए आकर रहते हैं और दूसरा स्वर्गाश्रम है. यहां उन लोगों को रखा जाता है, जो अंतिम सांस ले रहे होते हैं. इन सब लोगों के बीच एबीवीपी के कार्यकर्ता जाएंगे.

संगठन मंत्री घनश्याम ने कहा कि एबीवीपी के कार्यकर्ता उन्हें आजादी और अपनापन का एहसास कराएंगे, उन्हें मिठाई खिलाई जाएगी और उनके हाथों में तिरंगा दिया जाएगा. ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के बीच भी हम लोग जा रहे हैं. लखनऊ के खदरा क्षेत्र में वह खुद ट्रांसजेंडर नागरिकों के बीच रहेंगे. यहां ट्रांसजेंडर ही ध्वजारोहण करेंगे. इनके अलावा कुष्ठ रोगियों के मध्य, स्लम एरिया, कोरोना सुरक्षा समिति, परिषद की पाठशाला, दिव्यांगजन के बीच, वैक्सीनेशन केंद्रों पर, अनाथालय में, वृद्धाश्रमों में, विधवा आश्रमों में, मंदिर एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर, अस्पतालों और निजी छात्रावासों में भी परिषद के कार्यकर्ता जाकर उन लोगों के बीच तिरंगा फहराएंगे.

संगठन मंत्री घनश्याम ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपने इस अभियान के माध्यम से प्रदेश के प्रत्येक गांव में राष्ट्रवाद का अलख जगाएगी. हर व्यक्ति को स्वतंत्रता दिवस समारोह से जोड़ा जाएगा. करीब 20 हजार गांवों में कार्यक्रम तय हुआ है. उन गांवों में आसपास के गांव के लोगों को भी जुटाया जाएगा. ध्वजारोहण उसी वर्ग के बीच का व्यक्ति करेगा. समाज के प्रति उसके योगदान को ध्यान रखकर उसका चयन किया जाएगा. परिषद इस कार्यक्रम के बहाने राज्य के गांव और शहर के प्रत्येक व्यक्ति तक अपनी पहुंच बनाएगी.

स्वतंत्रता दिवस को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इस अभियान के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में प्रदेश के 30 हजार गांव में जाने का एलान किया है. दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के भी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. अब आरएसएस के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रदेश के 20 हजार गांव तक सीधे पहुंचने का संकल्प लिया है.

राजनीतिक विश्लेषक सियाराम पांडे का कहना है कि इस प्रकार के कोई भी कार्यक्रम बिना किसी कारण के नहीं आयोजित किए जाते हैं. आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर हम लोगों को आजादी के मायने तो बताने नहीं जा रहे हैं. निश्चित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का ऐसे लोगों के बीच जाने का प्रयास सराहनीय कदम है. विधानसभा चुनाव को देखते हुए जिस तरह से सभी राजनीतिक दल गांव की तरफ भाग रहे हैं, ऐसे में परिषद का गांव तक जाना निश्चित तौर पर इसके राजनीतिक मायने भी हैं. अगर विद्यार्थी परिषद की पहुंच गांव में मजबूत होती है तो इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को भी मिलेगा.

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