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अधिवक्ता की पत्नी के अपहरण मामले में आरोपियों को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने जमानत अर्जी की खारिज

लखनऊ जिला और सत्र अदालत ने एक अधिवक्ता की पत्नी का अपहरण करने के मामले में अभियुक्तों को कोई राहत नहीं दी है. कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त देव प्रताप उर्फ बबलू और रोहित की जमानत अर्जी खारिज कर दी है.

अपहरण मामले में आरोपियों को नहीं मिली राहत
अपहरण मामले में आरोपियों को नहीं मिली राहत
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Published : Aug 17, 2021, 9:50 PM IST

लखनऊः जिला और सत्र अदालत ने अधिवक्ता की पत्नी के अपहरण के मामले में अभियुक्तों को कोई राहत नहीं दी है. कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त देव प्रताप उर्फ बबलू और रोहित की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि अभियुक्तों का अपराध गंभीर है. इस स्टेज पर उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. इसके पीछे तर्क थी कि जमानत मिलने पर ये केस को प्रभावित कर सकते हैं.

अभियोजन के मुताबिक 7 जून 2021 को वकील अनुराग शुक्ला ने अपनी पत्नी के अपहरण की रिपोर्ट थाना सुशांत गोल्फ सिटी में दर्ज कराई थी. विवेचना के दौरान पुलिस ने अधिवक्ता की पत्नी को खोज निकाला था. इसके साथ ही इस मामले में शामिल अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था. सुनवाई के दौरान सरकारी वकील दुष्यंत मिश्र के साथ ही वादी के विशेष वकील प्रांशु अग्रवाल ने अभियुक्तों की जमानत अर्जी का विरोध किया. उनका कहना था कि एक करोड़ रुपये की फिरौती के लिए अपहरण किया गया था और इस बेहद गम्भीर मामले की विवेचना अभी जारी है. लिहाजा अभियुक्तों को जमानत पर रिहा किए जाने से विवेचना के प्रभावित होने का खतरा है. वहीं अभियुक्तों की ओर से दलील दी गई कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है. वे घटना में शामिल नहीं रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- 50 हजार की रिश्वत लेते जिला उद्यान अधिकारी को विजलेंस टीम ने धरा, सरकारी विभागों में मचा हड़कंप

हालांकि कोर्ट ने अभियुक्तों की दलील को नकार दिया. कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामला कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाला मामला है. इसलिए जमानत अर्जी खारिज की जाती है. कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित पक्ष ने खुशी जाहिर की है.

इसे भी पढ़ें- यहां लोग आने-जाने के लिए आज भी लेते हैं नाव का सहारा, आठ साल में भी नहीं पूरा सका पुल निर्माण

लखनऊः जिला और सत्र अदालत ने अधिवक्ता की पत्नी के अपहरण के मामले में अभियुक्तों को कोई राहत नहीं दी है. कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त देव प्रताप उर्फ बबलू और रोहित की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि अभियुक्तों का अपराध गंभीर है. इस स्टेज पर उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. इसके पीछे तर्क थी कि जमानत मिलने पर ये केस को प्रभावित कर सकते हैं.

अभियोजन के मुताबिक 7 जून 2021 को वकील अनुराग शुक्ला ने अपनी पत्नी के अपहरण की रिपोर्ट थाना सुशांत गोल्फ सिटी में दर्ज कराई थी. विवेचना के दौरान पुलिस ने अधिवक्ता की पत्नी को खोज निकाला था. इसके साथ ही इस मामले में शामिल अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था. सुनवाई के दौरान सरकारी वकील दुष्यंत मिश्र के साथ ही वादी के विशेष वकील प्रांशु अग्रवाल ने अभियुक्तों की जमानत अर्जी का विरोध किया. उनका कहना था कि एक करोड़ रुपये की फिरौती के लिए अपहरण किया गया था और इस बेहद गम्भीर मामले की विवेचना अभी जारी है. लिहाजा अभियुक्तों को जमानत पर रिहा किए जाने से विवेचना के प्रभावित होने का खतरा है. वहीं अभियुक्तों की ओर से दलील दी गई कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है. वे घटना में शामिल नहीं रहे हैं.

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हालांकि कोर्ट ने अभियुक्तों की दलील को नकार दिया. कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामला कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाला मामला है. इसलिए जमानत अर्जी खारिज की जाती है. कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित पक्ष ने खुशी जाहिर की है.

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