लखनऊ: 69000 सहायक शिक्षक भर्ती (69000 teacher recruitment scam) का मुद्दा शून्यकाल के दौरान संसद में उठाया गया. आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह (rajya sabha mp sanjay singh) ने नोटिस देकर इस प्रकरण की ओर सदन का ध्यान आकृष्ट कराया. उन्होंने भर्ती में आरक्षण के नियमों को ताक पर रखकर शिक्षक भर्ती किए जाने का आरोप लगाते हुए पिछड़ा वर्ग, एससी-एसटी को कानूनी रूप से प्राप्त आरक्षण नहीं देने की बात कही.
शून्यकाल के दौरान 69000 शिक्षक भर्ती मामला उठाने के लिए दी गई नोटिस में संजय सिंह की ओर से बताया गया कि उत्तर प्रदेश में एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग को प्राप्त संवैधानिक आरक्षण के अधिकार का सरकार हनन कर रही है. 69000 शिक्षकों की भर्ती में एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग को आरक्षण के मुताबिक जगह नहीं दी गई है. इस शिक्षक भर्ती में आरक्षण के कानून का पालन नहीं हुआ है. भारी अनियमितता हुई है.
नोटिस में कहा गया है कि संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखकर कार्य किया गया है. एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के तमाम छात्र अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं. राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि सदन के अंदर मुझे उनकी आवाज को रखने का अवसर प्रदान किया जाए. उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना इस सदन के हर एक सदस्य की जिम्मेदारी है.
संजय सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी कई दिनों से आंदोलित हैं. अभ्यर्थियों की प्रमुख मांग है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में सभी शिकायतकर्ताओं और हाईकोर्ट में सभी याचियों को राहत दी जाए और इनका समायोजन किया जाए. आरोप है कि भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत की जगह मात्र 3.86 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है. वहीं, एससी वर्ग को भर्ती में 21 प्रतिशत की जगह मात्र 16.6 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है.
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सांसद संजय सिंह का कहना है कि अभ्यर्थियों का आरोप है कि 29 अप्रैल को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की आरक्षण घोटाले की अंतरिम रिपोर्ट को भी सरकार लागू नहीं कर रही है. इस बात को लेकर अभ्यर्थियों में आक्रोश और नाराजगी है. मंगलवार को इसे लेकर अभ्यर्थियों ने सीएम आवास का घेराव भी किया था.