लखनऊ: आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने आज ट्वीट कर कहा कि जिस जमीन की जालसाजी में भाजपा के विधायक, मेयर, कमिश्नर, डीआईजी, डीएम, एडीएम, एसडीएम सब शामिल हैं उसकी जांच आदित्यनाथ जी के अधिकारी नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में एसआइटी गठित करके जांच कराई जाए और जालसाजों को जेल में डाला जाए. वहीं, योगी सरकार ने राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद अयोध्या में बड़े पैमाने पर खरीदी गई जमीन की जांच के आदेश दिए हैं. सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर विशेष सचिव राजस्व को जांच सौंपी गई है.
संजय सिंह ने आरोप लगाया कि अयोध्या में न केवल कमिश्नर बल्कि अयोध्या के जिला धिकारी रहे अनुज झा के पिता ने भी जमीन खरीदी है. इसके अलावा कई अन्य अधिकारियों के परिवारीजन ने भी अयोध्या में जमीन खरीदी है. ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश सरकार के किसी भी अधिकारी से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती. निष्पक्ष जांच तभी संभव है, जब सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग में एसआईटी से जांच कराई जाए.
सांसद संजय सिंह ने कहा कि अयोध्या में रोंघई नाम के एक दलित ने महर्षि रामायण ट्रस्ट को जमीन दान की. यह जमीन प्लाटिंग कर बेच दी गई, जबकि नियमानुसार दान में दी गई जमीन ट्रस्ट द्वारा बेची नहीं जा सकती थी. यह सीधे-सीधे घोटाले का मामला है. इसमें राज्य सरकार के तमाम अधिकारी और भाजपा के सांसद, विधायक, मेयर और उनके परिजन शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि अयोध्या में यदि प्रभु श्रीराम का मंदिर बनाना है तो जमीन के नाम पर हो रही लूट-खसूट को बंद किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए आए चंदे का दुरुपयोग कर महंगे दामों पर जमीन खरीदी जा रही है. मुख्यमंत्री ने जिस जांच की घोषणा की है वह निष्पक्ष संभव ही नहीं है.
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संजय सिंह ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए माताओं और बहनों ने अपने गहने गिरवी रखकर चंदा दिया है. इस चंदे में भ्रष्टाचार होने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि योगी सरकार के मंत्री और अफसर मिलकर जमीन की लूट में लगे हुए हैं. श्रीराम जन्मभूमि से 5 किलोमीटर के दायरे में इन लोगों ने बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद-फरोख्त की है.
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