लखनऊ: 9 नवंबर 2019 को देश के बहुचर्चित अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. काफी लंबे समय से चल रहे इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त महीने से लगातार सुनवाई करने का फैसला लिया और सभी पक्षों की दलीलें सुनी गईं. लगातार 40 दिन तक चली सुनवाई के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को मामले से संबंधित अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके बाद 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद पर अपना फैसला सुनाया.
फैसले का असर
अयोध्या विवाद पर फैसले को लेकर देशभर की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद जब अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया तो हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. पीएम मोदी ने देशवासियों की ओर से खुले दिल से इस फैसले का स्वागत करने पर कहा कि देश का मूल मंत्र 'विविधता में एकता' आज अपनी पूर्णता के साथ खिला हुआ नजर आता है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने भारत की न्यायपालिका और भारत की लोकतांत्रित व्यवस्था का बहुत ही मजबूत और स्पष्ट संकेत दिया है.
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वहीं अगर मुस्लिम पक्षकारों की बात करें तो इकबाल अंसारी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट ने इस मामले में जो भी फैसला लिया है हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. तो वहीं एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन औवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम हो सकता है लेकिन इनफैलेबल नहीं है'.
अयोध्या विवाद में हाई कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अपना फैसला सुनाया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था. विवादित स्थल को रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने का आदेश दिया गया था. हालांकि सभी पक्षकारों ने हाई कोर्ट के इस फैसले को नकार दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद
30 सितंबर 2010 को हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिका दायर की गईं. 09 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी. साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को मध्यस्थता के जरिए मामले को हल करने की सलाह दी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से इस मामले को एक जमीन विवाद मानने की अपील की. इसके साथ ही 2010 के बाद से सुप्रीम कोर्ट में रुके फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जनवरी 2019 में पांच जजों की एक बेंच के गठन की घोषणा की. उन्होंने इस मामले की लगातार सुनवाई करने का फैसला भी लिया. पांच जजों की बेंच में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई समेत अशोक भूषण, डीवाई चंद्रचूण, एसए बोबड़े और एस अब्दूल नजीर शामिल रहे.
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा की ओर से दायर की गई अपील को खारिज कर दिया.
- शिया वक्फ बोर्ड के अपील को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.
- बाबरी मस्जिद किसी खाली जमीन पर नहीं बनाई गई.
- बाबरी मस्जिद के नीचे गैर इस्लामिक ढांचा मौजूद था.
- विवादित स्थल का मालिकाना हक रामलला विराजमान को दिया.
- विवादित स्थल की देख-रेख करेगी राम जन्मभूमि न्यास.
- सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाकर मदिर निर्माण कराने के दिए निर्देश.
- मुस्लिम पक्ष को अयोध्या के अंदर पांच एकड़ जमीन देने की व्यवस्था.
वैसे तो अयोध्या विवाद को देश के सबसे पुराने विवादों में रखा जाता है. हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षकारों में से एक तरफ जहां मुस्लिम पक्षकार यहां मस्जिद होने की बात कहते थे, तो वहीं हिंदू पक्षकार इस स्थान पर रामलला के जन्मस्थान होने का दावा करते थे. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक लंबा विवाद सुलझ गया.