लखनऊ : अल्पसंख्यक कल्याण एवं मदरसा विभाग के करीब एक महीने तक चले सर्वे के बाद उत्तर प्रदेश में 8,441 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे ज्ञात हुए हैं. जिनमें लगभग 7,64,164 छात्र एवं छात्राएं पढ़ाई कर रहीं हैं. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इन मदरसों के आर्थिक स्रोतों की भी जानकारी जुटा ली है. अधिकांश मदरसों का संचालन चंदे और जकात के जरिए हो रहा है. अब इन मदरसों को लेकर विधि सम्मत कार्रवाई की बात और संस्कृत कल्याण मंत्रालय कर रहा है. बहुत जल्द ही सभी मदरसों के बारे में एक प्रस्तुतीकरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मुस्लिम वक्फ एवं हज विभाग के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह (Cabinet Minister Dharampal Singh) ने बुधवार को अपने कार्यालय कक्ष में मदरसों के सर्वे कार्य के संबंध में समीक्षा बैठक की. बैठक में उन्होने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की सूची ’’विभागीय पोर्टल’’ और ’’मेला’’ ऐप पर अपलोड की जाए, ताकि अभिभावकों को मदरसों की सही स्थिति की जानकारी मिल सके और गलत संस्थान में बच्चे किसी भी प्रकार की भ्रांति या दिशाहीनता के शिकार न हो और उनका भविष्य प्रभावित न होने पाए.
कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister Dharampal Singh) ने कहा कि मदरसे में पढ़ रहे बच्चे देश का भविष्य हैं और समाज की मुख्य धारा में इन्हें जोड़ने के लिए आवश्यक है. गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के आर्थिक स्रोत का विवरण भी प्राप्त हो गया है. जिसमें अधिकांश स्रोत का माध्यम चन्दा और जकात सूचित किया गया है. उन्होंने कहा कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के संबंध में विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की सम्पूर्ण स्थिति के संबंध में प्रजेंटेशन तैयार किया जाए, ताकि उसे मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके. बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे रीभा तथा रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह उपस्थित थे.