लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस वर्ष 20 लाख नई एमएसएमई इकाइयों को ऋण देने का लक्ष्य रखा है. पिछले तीन महीनों में लगभग सात लाख इकाइयों को 23 हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है. इसमें से 12 हजार करोड़ रुपये नई इकाइयों को मिला है. ज्यादा से ज्यादा ऋण वितरित किये जाने के लिए राज्य सरकार विभिन्न बैंकों के साथ निरन्तर सामंजस्य बिठाकर चल रही है.
खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने शुक्रवार को राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में कहा कि प्रदेश में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नियमों को सरल किया गया है. नई एमएसएमई इकाइयां लगाना आसान हुआ है. उद्यमियों को एक प्रोफार्मा पर 72 घंटे के अंदर उद्यम लगाने की स्वीकृति देने की सुविधा दी गई है. साथ ही अन्य औपचारिकताओं को पूर्ण करने के लिए एक हजार दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है.
सहगल ने कहा कि आगामी 15 सितंबर तक विशेष अभियान चलाकर 100 फीसदी ऋण वितरण का लक्ष्य हासिल किया जाए. ताकि अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में मेगा ऋण वितरण मेले का आयोजन किया जा सके. उन्होंने बैंकों से यह भी कहा कि जब भारत सरकार इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत लोन के सापेक्ष 100 फ़ीसदी गारंटी उपलब्ध करा रही है, तब बैंकों को ऋण वितरण में संकोच नहीं होना चाहिए.
वर्तमान में इंडस्ट्रीज को पूंजी की अत्यधिक आवश्यकता है. इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को ग्राउंड पर उतारना सभी बैंकर्स का प्रमुख दायित्व है. निजी बैंकों को भी इस योजना में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए. इस योजना के तहत अभी तक 10 हजार करोड़ रुपये के ऋण आवेदन स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन डिस्बर्स केवल 7000 करोड़ रुपये का हुआ है. इस गैप को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, ताकि इस वर्ष निर्धारित 20 लाख नई इकाइयों को ऋण देने का लक्ष्य हासिल किया जा सके.
लखनऊ: तीन माह में 7 लाख MSME इकाइयों को मिला 23 हजार करोड़ का ऋण - MSME इकाइयों को ऋण देने का लक्ष्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 20 लाख नई एमएसएमई इकाइयों को ऋण देने का लक्ष्य रखा है. पिछले तीन महीनों में लगभग 7 लाख इकाइयों को 23 हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है. इसमें से 12 हजार करोड़ रुपये नई इकाइयों को मिला है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस वर्ष 20 लाख नई एमएसएमई इकाइयों को ऋण देने का लक्ष्य रखा है. पिछले तीन महीनों में लगभग सात लाख इकाइयों को 23 हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है. इसमें से 12 हजार करोड़ रुपये नई इकाइयों को मिला है. ज्यादा से ज्यादा ऋण वितरित किये जाने के लिए राज्य सरकार विभिन्न बैंकों के साथ निरन्तर सामंजस्य बिठाकर चल रही है.
खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने शुक्रवार को राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में कहा कि प्रदेश में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नियमों को सरल किया गया है. नई एमएसएमई इकाइयां लगाना आसान हुआ है. उद्यमियों को एक प्रोफार्मा पर 72 घंटे के अंदर उद्यम लगाने की स्वीकृति देने की सुविधा दी गई है. साथ ही अन्य औपचारिकताओं को पूर्ण करने के लिए एक हजार दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है.
सहगल ने कहा कि आगामी 15 सितंबर तक विशेष अभियान चलाकर 100 फीसदी ऋण वितरण का लक्ष्य हासिल किया जाए. ताकि अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में मेगा ऋण वितरण मेले का आयोजन किया जा सके. उन्होंने बैंकों से यह भी कहा कि जब भारत सरकार इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत लोन के सापेक्ष 100 फ़ीसदी गारंटी उपलब्ध करा रही है, तब बैंकों को ऋण वितरण में संकोच नहीं होना चाहिए.
वर्तमान में इंडस्ट्रीज को पूंजी की अत्यधिक आवश्यकता है. इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को ग्राउंड पर उतारना सभी बैंकर्स का प्रमुख दायित्व है. निजी बैंकों को भी इस योजना में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए. इस योजना के तहत अभी तक 10 हजार करोड़ रुपये के ऋण आवेदन स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन डिस्बर्स केवल 7000 करोड़ रुपये का हुआ है. इस गैप को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, ताकि इस वर्ष निर्धारित 20 लाख नई इकाइयों को ऋण देने का लक्ष्य हासिल किया जा सके.