66 हजार नर्सिंग-पैरामेडिकल विद्यार्थी नहीं हो पाए नौकरी के काबिल, जानें क्यों...
यूपी में स्टेट मेडिकल फैकल्टी (State Medical Faculty) की लापरवाह कार्यशैली से करीब 66 हजार नर्सिंग-पैरामेडिकल के विद्यार्थियों का पंजीकरण प्रमाण पत्र और मार्कशीट जारी नहीं हो सकी है. ऐसे में पढ़ाई करने के बावजूद वह नौकरी के काबिल नहीं हो सके हैं.
स्टेट मेडिकल फैकल्टी
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Published : Jun 4, 2021, 8:13 PM IST
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Updated : Jun 5, 2021, 2:31 PM IST
लखनऊ: कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई. ऐसे में सरकार तीसरी लहर से निपटने के लिए हेल्थ सिस्टम को अपग्रेड करने में जुट गई है. साथ ही डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती भी कर रही है. वहीं, विभागीय अफसरों की कारस्तानी से पूरी योजना को पलीता लगा रहा है. स्टेट मेडिकल फैकल्टी (State Medical Faculty) की लापरवाह कार्यशैली से करीब 66 हजार नर्सिंग-पैरामेडिकल के विद्यार्थियों का पंजीकरण प्रमाण पत्र और मार्कशीट जारी नहीं हो सकी है. ऐसे में पढ़ाई करने के बावजूद वह सरकारी, संविदा तो दूर निजी अस्पतालों में भी नौकरी के काबिल नहीं हो सके हैं.
स्टेट मेडिकल फैकल्टी का हाल
नौ माह पहले परीक्षा, प्रमाण पत्र अब तक नहींप्रदेश में बीएससी नर्सिंग, एमएससी नर्सिंग की परीक्षा संबंधित कॉलेज की यूनिवर्सिटी ने अगस्त 2019 में ही करा दी थी. लेकिन स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने विद्यार्थियों के पंजीकरण प्रमाणपत्र अब तक नहीं मुहैया कराया है. जीएनएम, एनएनएम और 35 पैरामेडिकल कोर्सों का संचालन स्टेट मेडिकल फैकल्टी ही करती है. ऐसे में इन विद्यार्थियों के अंकपत्र से लेकर पंजीकरण प्रमाण पत्र भी फंसे हैं. पढ़ाई पर लाखों खर्च फिर भी बेरोजगारी का दंशराज्य में सरकरी व निजी कॉलेज से हर वर्ष नर्सिंग के 31,317 विद्यार्थी निकलते हैं. वहीं, 35 हजार के करीब पैरामेडिकल स्टूडेंट होते हैं. इन सभी कोर्सों को पूरा करने में दो से चार साल तक का समय लगता है. अब लाखों खर्च कर कोर्स पूरा करने वाले विद्यार्थी महीनों से प्रमाण पत्र के चक्कर में बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं. कार्यवाहक सचिव के सहारे मेडिकल फैकल्टीस्टेट मेडिकल फैकल्टी में अव्यवस्था छाई हुई है. इसका एक बड़ा कारण, पांच माह से स्थाई सचिव की नियुक्ति न होना है. यहां 31 दिसंबर को सचिव डॉ. राजेश जैन रिटायर हो गए. इसके बाद अटल मेडिकल यूनिविर्सिटी के कुलपति डॉ. एके सिंह को कार्यवाहक सचिव बना दिया गया. इस दौरान उनके पास लोहिया संस्थान के निदेशक का भी चार्ज रहा. ऐसे में सरकार एक ही अफसर से तीनों अहम संस्थाओं का संचालन कराती रही. इसका खामियाजा हजारों छात्रों को उठाना पड़ रहा है. अब लोहिया संस्थान को तो स्थाई निदेशक मिल गया, मगर स्टेट फैकल्टी को परमानेंट सचिव का इंतजार है.
क्या कहते हैं अफसर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने बताया कि नर्सिंग-पैरामेडिकल के छात्रों के पंजीकरण प्रमाण पत्र फंसे होने की जानकारी नहीं है. इसके बारे में स्टेट मेडिकल फैकल्टी के कार्यवाहक सचिव डॉ. एके सिंह से पूछा जाएगा. वहीं, जब कार्यवाहक सचिव डॉ. एके सिंह से संपर्क किया गया, तो उनका फोन नहीं उठा.
कोर्स
कॉलेज
सीट
एमएससी नर्सिंग
23
580
बीएससी नर्सिंग
142
6073
जीएनएम
307
14,094
एएनएम
299
10,570
पैरामेडिकल
600
35,000
लखनऊ: कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई. ऐसे में सरकार तीसरी लहर से निपटने के लिए हेल्थ सिस्टम को अपग्रेड करने में जुट गई है. साथ ही डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती भी कर रही है. वहीं, विभागीय अफसरों की कारस्तानी से पूरी योजना को पलीता लगा रहा है. स्टेट मेडिकल फैकल्टी (State Medical Faculty) की लापरवाह कार्यशैली से करीब 66 हजार नर्सिंग-पैरामेडिकल के विद्यार्थियों का पंजीकरण प्रमाण पत्र और मार्कशीट जारी नहीं हो सकी है. ऐसे में पढ़ाई करने के बावजूद वह सरकारी, संविदा तो दूर निजी अस्पतालों में भी नौकरी के काबिल नहीं हो सके हैं.
स्टेट मेडिकल फैकल्टी का हाल
नौ माह पहले परीक्षा, प्रमाण पत्र अब तक नहींप्रदेश में बीएससी नर्सिंग, एमएससी नर्सिंग की परीक्षा संबंधित कॉलेज की यूनिवर्सिटी ने अगस्त 2019 में ही करा दी थी. लेकिन स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने विद्यार्थियों के पंजीकरण प्रमाणपत्र अब तक नहीं मुहैया कराया है. जीएनएम, एनएनएम और 35 पैरामेडिकल कोर्सों का संचालन स्टेट मेडिकल फैकल्टी ही करती है. ऐसे में इन विद्यार्थियों के अंकपत्र से लेकर पंजीकरण प्रमाण पत्र भी फंसे हैं. पढ़ाई पर लाखों खर्च फिर भी बेरोजगारी का दंशराज्य में सरकरी व निजी कॉलेज से हर वर्ष नर्सिंग के 31,317 विद्यार्थी निकलते हैं. वहीं, 35 हजार के करीब पैरामेडिकल स्टूडेंट होते हैं. इन सभी कोर्सों को पूरा करने में दो से चार साल तक का समय लगता है. अब लाखों खर्च कर कोर्स पूरा करने वाले विद्यार्थी महीनों से प्रमाण पत्र के चक्कर में बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं. कार्यवाहक सचिव के सहारे मेडिकल फैकल्टीस्टेट मेडिकल फैकल्टी में अव्यवस्था छाई हुई है. इसका एक बड़ा कारण, पांच माह से स्थाई सचिव की नियुक्ति न होना है. यहां 31 दिसंबर को सचिव डॉ. राजेश जैन रिटायर हो गए. इसके बाद अटल मेडिकल यूनिविर्सिटी के कुलपति डॉ. एके सिंह को कार्यवाहक सचिव बना दिया गया. इस दौरान उनके पास लोहिया संस्थान के निदेशक का भी चार्ज रहा. ऐसे में सरकार एक ही अफसर से तीनों अहम संस्थाओं का संचालन कराती रही. इसका खामियाजा हजारों छात्रों को उठाना पड़ रहा है. अब लोहिया संस्थान को तो स्थाई निदेशक मिल गया, मगर स्टेट फैकल्टी को परमानेंट सचिव का इंतजार है.
क्या कहते हैं अफसर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने बताया कि नर्सिंग-पैरामेडिकल के छात्रों के पंजीकरण प्रमाण पत्र फंसे होने की जानकारी नहीं है. इसके बारे में स्टेट मेडिकल फैकल्टी के कार्यवाहक सचिव डॉ. एके सिंह से पूछा जाएगा. वहीं, जब कार्यवाहक सचिव डॉ. एके सिंह से संपर्क किया गया, तो उनका फोन नहीं उठा.