लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश में ग्राम्य विकास विभाग की तरफ से बुंदेलखंड की 20 नदियों सहित 61 नदियों के पुनरुद्धार की कार्य योजना बनाई गई है. इस कार्य को एक वर्ष के अंदर कराये जाने की ठोस व प्रभावी रणनीति बनाई गई है. उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि विलुप्तता के कगार पर जा रही नदियों को पुनर्जीवित व पुनर्रूद्धार किया जाना जल संरक्षण के दृष्टिकोण से बहुउपयोगी सिद्ध होगा. साथ ही मनरेगा से अधिक से अधिक श्रमिकों को रोजगार भी मिलेगा.
इस कार्य से जल संचयन के साथ-साथ पीने व सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सरलता से हो सकेगी. वहीं समीपवर्ती कृषि, वानिकी जैसी गतिविधियों पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा. इसके फलस्वरूप कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा. यही नहीं समीपवर्ती तालाब और पोखर भी इन नदियों के पानी से भरे जा सकेंगे. उपमुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मनरेगा के माध्यम से कराए जाने वाले इस कार्य में सभी मानकों, शर्तों और शासनादेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए.
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ग्राम्य विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार नदियों के पुनर्रुद्धार कार्य में आईआईटी कानपुर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बीएचयू वाराणसी से कंसल्टेशन लिए जाने की योजना भी बनाई गई है. अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 से नदियों के पुनर्रुद्धार का कार्य किया जा रहा है, तब से अब तक 2618 किमी लम्बाई में नदियों का पुनर्रूद्धार का कार्य कराते हुए रुपये 13205 लाख की धनराशि व्यय की गई है.
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