लखनऊः उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं के यहां से फीडबैक लेने का सिलसिला शुरू किया था. इसके लिए बाकायदा फीडबैक फॉर्म छापा गया था. मध्यांचल कस्टमर केयर से फोन पर फीडबैक लेने की व्यवस्था की गई थी. उपभोक्ताओं के फीडबैक से साबित हो रहा है कि स्मार्ट मीटर से लोगों को राहत नहीं मिली है. लखनऊ के 59 फीसदी उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर का फीडबैक नेगेटिव दिया है. सिर्फ 36 फीसदी उपभोक्ता ही इससे संतुष्ट दिखे. जबकि 5 फीसदी उपभोक्ताओं ने फीडबैक देने में कोई रुचि नहीं दिखायी है.
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बड़ी संख्या में असंतुष्ट इन इलाकों के कस्टमर्स
राजधानी समेत प्रदेश के जिन उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट मीटर लगे हैं, उनके लिए ये सिरदर्द साबित हो रहा है. दिसंबर महीने में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देश पर उपभोक्ताओं से फीडबैक लेने का सिलसिला शुरू किया गया था. जिनमें राजधानी के 59 फीसदी उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर को नकार दिया है. लखनऊ के करीब चार लाख उपभोक्ताओं के घरों और दुकानों में स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं. असंतुष्ट उपभोक्ताओं में सबसे ज्यादा गोमती नगर, बीकेटी, रहीम नगर, चिनहट, कानपुर रोड, चौक और ठाकुरगंज के रहने वाले हैं. हालांकि पुराने लखनऊ के इन इलाकों में बिजली चोरी भी ज्यादा होती है. ऐसे में यहां के उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर ज्यादा ही संकट खड़ा कर रहा है.
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पुराने लखनऊ, चिनहट में 70 फीसदी कस्टमर खफा
हाल ही में बिजली विभाग ने मार्किंग रेड अभियान चलाया था. इसमें सबसे ज्यादा बिजली चोरी पुराने लखनऊ, चिनहट और बख्शी का तालाब इलाके में ही पकड़ी गई थी. इन इलाकों में बिजली चोरी रोकने के लिए विभाग ने स्मार्ट मीटर लगा दिया. अब बिजली चोरी के बजाय स्मार्ट मीटर जरा सी खपत भी दर्ज कर लेता है. ऐसे में यहां के उपभोक्ता अपने घरों से स्मार्ट मीटर हटाने की बात कह रहे हैं. अधिशासी अभियंता प्रेमचंद बताते हैं कि अब तक जितने फीडबैक उपभोक्ताओं से लिए गए हैं, उनमें से 70 फीसदी उपभोक्ता घर पर स्मार्ट मीटर नहीं लगाना चाहते हैं.
स्मार्ट मीटर पर अपनी-अपनी दलील
एक ओर उपभोक्ता स्मार्ट मीटर तेज चलने की बात कहते हैं, तो बिजली विभाग के अधिकारी स्मार्ट मीटर सही चलने की दलील देते हैं. उपभोक्ताओं का कहना है की मीटर पहले के बजाय काफी तेज चलता है. पहले जहां 500 रुपये बिल आता था. वहीं अब दो से ढ़ाई गुना यानी एक हजार से 12 सौ तक आ रहा है. बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब शिकायत पाने पर स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के यहां चेक मीटर लगाकर खपत की जांच की गई, तो स्मार्ट मीटर सही पाए गए. स्मार्ट मीटर सही तरीके से काम कर उपयोग होने वाली बिजली की यूनिट को ही जोड़ रहे हैं.
पहले सप्ताह में 61 फीसदी उपभोक्ता निकले थे असंतुष्ट
आपको बता दें कि दिसंबर में जब बिजली विभाग ने स्मार्ट मीटर फीडबैक फॉर्म पर उपभोक्ताओं से लिखित फीडबैक मांगा था, तो पहले सप्ताह में ही उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर को नकार दिया था. 61 फीसदी उपभोक्ता स्मार्ट मीटर से असंतुष्ट दिखे.
स्मार्ट मीटर, चेक मीटर में निकला था बड़ा अंतर
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शहर के तीन अलग-अलग इलाकों के उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर और चेक मीटर रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. इसमें दोनों की खपत में बहुत बड़ा अंतर निकला था. इसके बाद स्मार्ट मीटर पर और भी सवालिया निशान लगने शुरू हो गये. आपको बता दें कि स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता को लेकर पहले ही सवाल उठने लगे थे. जिसके बाद प्रदेश भर में स्मार्ट मीटर लगाए जाने पर पाबंदी लगी हुई है.