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यूपी में ई-संजीवनी के जरिए 55 लाख मरीजों का हुआ इलाज, डिप्टी सीएम ने प्रचार-प्रसार के दिए निर्देश

यूपी में ई-संजीवनी टेली कंसल्टेंसी के जरिए 55 लाख मरीजों का इलाज किया गया. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Deputy Chief Minister Brajesh Pathak) ने इसका तेजी से प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए हैं.

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उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक
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Published : Apr 5, 2023, 6:52 AM IST

लखनऊ: प्रदेश सरकार चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए तो कार्य कर ही रही है. इसे डिजिटल बनाने की कोशिश भी की जा रही है, ताकि मरीज को ऑनलाइन डॉक्टर से सलाह मिल सके. आमतौर पर अगर मरीज डॉक्टर के पास परामर्श के लिए जाते हैं, तो इसमें उनका पूरा पूरा दिन चला जाता है. इसी भागदौड़ से बचाने के लिए ई-संजीवनी टेली कंसल्टेंसी वरदान साबित हो रही है. प्रदेश के सभी जिलों ने बड़ी संख्या में लोग ई-संजीवनी के माध्यम से सलाह हासिल कर रहे हैं.

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक

इसको देखते हुए उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak on e-Sanjeevani) ने ई-संजीवनी टेली कंसल्टेंसी सेवा को और रफ्तार देने का फैसला किया है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों को योजना के प्रचार-प्रसार बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, ताकि मरीजों को आसानी से विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह मिल सके. मरीज को अस्पताल के चक्कर न लगाने पड़े. जरूरत पड़ने पर वह विशेषज्ञ से ऑनलाइन परामर्श ले सकें. इसके लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसको लेकर जागरूक रहें.

प्रदेश में अब तक 55 लाख से अधिक मरीजों को ई-संजीवनी टेली कंसल्टेंसी सेवा के माध्यम से इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा चुकी है. जरूरतमंद मरीजों को दवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं. मौजूदा समय में प्रदेश में 16,665 हब एवं स्पोक के रूप में पंजीकृत हैं. इसमें 12,229 स्पोक्स हैं, जबकि 4,327 हब कम स्पोक्स हैं. 29 हब हैं.

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि स्पोक्स में सीएचसी, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर आते हैं, जो कि बड़े सेंटर से जुड़े होते हैं. बड़े सेंटर हब होते हैं. स्पोक्स सेंटर में जिन मरीजों को सलाह दे पाना संभव नहीं होता है. उन्हें हब में बैठे डॉक्टर सलाह देते हैं. स्पोक्स यानी छोटे सेंटर पर मरीजों को दवाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं. ई-संजीवनी की लोकप्रियता व भरोसा लगातार बढ़ रहा है.

इस बारे में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि आयुष्मान डिजिटल मिशन के तहत प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक लोगों की आभा आईडी बनाई गई है. दो करोड़ से अधिक इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकार्ड बनाए गए हैं. स्कैन एंड शेयर मॉड्यूल्स के तहत दो लाख टोकन जारी किए जा चुके हैं. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हेल्थ सिस्टम को डिजिटल का रूप देने के प्रयास किए जा रहे हैं. इससे मरीजों को कम समय में इलाज की सुविधा मिल सकेगी. इससे अधिक से अधिक मरीजों को कम समय में उपचार मिल सकेगा.

ये भी पढ़ें- लखनऊ में छात्र के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म, दोषी स्कूल कर्मचारी को उम्र कैद

लखनऊ: प्रदेश सरकार चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए तो कार्य कर ही रही है. इसे डिजिटल बनाने की कोशिश भी की जा रही है, ताकि मरीज को ऑनलाइन डॉक्टर से सलाह मिल सके. आमतौर पर अगर मरीज डॉक्टर के पास परामर्श के लिए जाते हैं, तो इसमें उनका पूरा पूरा दिन चला जाता है. इसी भागदौड़ से बचाने के लिए ई-संजीवनी टेली कंसल्टेंसी वरदान साबित हो रही है. प्रदेश के सभी जिलों ने बड़ी संख्या में लोग ई-संजीवनी के माध्यम से सलाह हासिल कर रहे हैं.

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक

इसको देखते हुए उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak on e-Sanjeevani) ने ई-संजीवनी टेली कंसल्टेंसी सेवा को और रफ्तार देने का फैसला किया है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों को योजना के प्रचार-प्रसार बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, ताकि मरीजों को आसानी से विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह मिल सके. मरीज को अस्पताल के चक्कर न लगाने पड़े. जरूरत पड़ने पर वह विशेषज्ञ से ऑनलाइन परामर्श ले सकें. इसके लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसको लेकर जागरूक रहें.

प्रदेश में अब तक 55 लाख से अधिक मरीजों को ई-संजीवनी टेली कंसल्टेंसी सेवा के माध्यम से इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा चुकी है. जरूरतमंद मरीजों को दवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं. मौजूदा समय में प्रदेश में 16,665 हब एवं स्पोक के रूप में पंजीकृत हैं. इसमें 12,229 स्पोक्स हैं, जबकि 4,327 हब कम स्पोक्स हैं. 29 हब हैं.

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि स्पोक्स में सीएचसी, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर आते हैं, जो कि बड़े सेंटर से जुड़े होते हैं. बड़े सेंटर हब होते हैं. स्पोक्स सेंटर में जिन मरीजों को सलाह दे पाना संभव नहीं होता है. उन्हें हब में बैठे डॉक्टर सलाह देते हैं. स्पोक्स यानी छोटे सेंटर पर मरीजों को दवाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं. ई-संजीवनी की लोकप्रियता व भरोसा लगातार बढ़ रहा है.

इस बारे में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि आयुष्मान डिजिटल मिशन के तहत प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक लोगों की आभा आईडी बनाई गई है. दो करोड़ से अधिक इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकार्ड बनाए गए हैं. स्कैन एंड शेयर मॉड्यूल्स के तहत दो लाख टोकन जारी किए जा चुके हैं. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हेल्थ सिस्टम को डिजिटल का रूप देने के प्रयास किए जा रहे हैं. इससे मरीजों को कम समय में इलाज की सुविधा मिल सकेगी. इससे अधिक से अधिक मरीजों को कम समय में उपचार मिल सकेगा.

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