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Vehicle Theft Incidents : चोरों के सामने 'हाईटेक सिक्योरिटी' फेल, साल दर साल बढ़ रहीं कार चोरी की वारदातें

कंपनियां सिक्योरिटी सिस्टम के नाम पर बड़े-बड़े दावे करती हैं बावजूद इसके गाड़ियों की चोरी (vehicle theft incidents) का सिलसिला जारी है. एनसीआरबी के आंकड़ों की मानें तो हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगने के बाद भी वाहन चोरी की घटनाओं में कमी नहीं आई है.

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Published : Jan 13, 2023, 8:30 AM IST

Updated : Jan 13, 2023, 9:01 AM IST

देखें पूरी खबर

लखनऊ : राजधानी में दो मिनट में 20 लाख रुपए की गाड़ी चुरा ली गई. इस गाड़ी के सिक्योरिटी सिस्टम के लिए कंपनी ने दावा किया था कि कोई दूसरी चाबी लगते ही वाहन मालिक के पास तुरंत अलर्ट पहुंच जाएगा. सिक्योरिटी सिस्टम इतना एडवांस था कि गाड़ी चोरी होने का सवाल ही खड़ा नहीं होता. बावजूद उसके गाड़ी चोरी हो गई और वह भी सिर्फ दो ही मिनट में. ये सिर्फ लखनऊ का आलम नहीं है, बल्कि समूचे यूपी व देश का है, जहां गाड़ियों की चोरी हर साल बढ़ रही है, लेकिन उनकी रिकवरी नहीं हो पा रही है. बीते 3 वर्षों में देश भर में 50 हजार से अधिक कार चोरी हुई हैं, जिनकी रिकवरी नाम मात्र ही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि ये गाड़ियां चोरी हो कैसे रही हैं और जा कहां रही हैं.

गियर लॉक
गियर लॉक





लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने ऐसे कई गैंग पकड़े हैं, जो हाईटेक गाड़ियों को एक झटके में चोरी कर लेते थे. गाड़ी में कितना भी हाई सिक्योरिटी लॉक लगा हो उसे वो अपने स्कैनर की मदद से अनलॉक करते और निकल जाते. डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक बताती हैं कि 'यूपी के मेरठ में सोतीगंज बाजार, गाजियाबाद का लोनी बाजार व बुलंदशहर बाजार पूरी तरह खत्म हो चुका है, नेपाल भी यूपी के रास्ते चोर गाड़ियां ले नहीं जाते हैं, ऐसे में अब अपराधी यूपी से जुड़े जैसे बिहार, राजस्थान व हरियाणा में गाड़ियां चोरी कर ले जाते हैं और वहां रजिस्ट्रेशन व चेचिस नंबर बदलकर बेच देते हैं.' डीसीपी बताती हैं कि 'ये जरूर है कि गाड़ियों की चोरी की वारदातें बढ़ी हैं, लेकिन इसके पीछे गाड़ी के मालिकों की भी कमी होती है. अनाधिकृत पार्किंग करने पर वहां गाड़ी की मॉनिटरिंग हो नहीं पाती है. जिससे चोर उसका फायदा उठा लेते हैं और गाड़ी चोरी कर लेते हैं.' उन्होंने बताया कि 'गाड़ी चोरी से बचाने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा सकते हैं जैसे गाड़ियों को अधिकृत पार्किंग में खड़ी करें. गाड़ी का सिक्योरिटी सिस्टम चालू रहे, उसमें जीपीएस भी चालू स्थिति में रहना चाहिए. यही नहीं गियर व स्टीयरिंग लॉक लगाएं.'

स्टेयरिंग लॉक
स्टेयरिंग लॉक




डीसीपी के बात से यह पता चलता है कि गाड़ी चोरी रोकने के लिए 10 साल पहले शुरू की गई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की व्यवस्था भी नाकाम रही है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से साफ है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के बावजूद गाड़ी चोरी की घटनाओं में कमी नहीं आई है. इसकी वजह यह है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट सिस्टम तो शुरू हो गया, लेकिन गाड़ी चोरी रोकने का सिस्टम असरदार नहीं बन पाया. आंकड़े बताते हैं कि 2012 के बाद गाड़ी चोरी की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है. बीते तीन साल की बात करें तो साल 2019 में देश भर में कुल 2 लाख 38 हजार 657 मोटर वाहन चोरी हुए थे, जिसमें 23 हजार 034 गाड़ियां चोरी हुई थीं. साल 2020 में 1 लाख 95 हजार 469 वाहन चोरी हुए, जिसमें 16 हजार 354 कार चोरों ने उड़ाई थीं, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 2 लाख 42 हजार 158 तक पहुंच गया, जिसमें 17 हजार 490 कार शामिल थीं. इन तीन वर्षों में कुल 56,878 कार चोरी हुईं, जबकि महज 13,007 ही कार पुलिस रिकवर कर सकी. यूपी में इन तीन वर्षों में 9,345 कार चोरी हुई हैं. इसमें बाकी की मोटर साइकिल हैं, जिनकी चोरी हुई है. खुद पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगे होने का यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि इससे गाड़ी चोरी की घटनाएं रुक जाएंगी. इसके पीछे की वजह यह है कि चोरी करने के बाद चोर बड़ी आसानी से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट हटाकर दूसरी नंबर प्लेट लगा देते हैं.

व्हील लॉक
व्हील लॉक

टेक्निकल एक्सपर्ट लेकर चल रहा चोरों का गैंग : पूर्व पुलिस अधिकारी ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी बताते हैं कि 'कई गैंग ऐसे होते हैं, जो चोरों को गाड़ियों की डिमांड के हिसाब से आर्डर देते हैं. इस गैग में फिर टेक्निकल एक्सपर्ट के साथ ड्राइवर शामिल होते हैं. गिरोह के सदस्य हाईटेक अंदाज में कार चोरी को अंजाम देते हैं, जिसमें वो पहले घूम-घूमकर रेकी करते हैं और रात के समय उसका सिक्योरिटी सिस्टम हैककर कार चोरी कर फरार हो जाते हैं.' पूर्व पुलिस अधिकारी बताते हैं कि 'कार चुराने में उन्हें कुछ मिनट ही लगते हैं. उनके साथ ड्राइवर भी होते हैं जो कार को निर्धारित स्थान तक पहुंचाते हैं.' वो कहते हैं कि 'जो हाईटेक चोर हाई सिक्योरिटी से लैस गाड़ी को चोरी कर लेते हैं, उनके लिए एक नंबर प्लेट तोड़ना कितना मुश्किल होगा.'


परिवहन विभाग दावा करता है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाहन की सुरक्षा और वाहन चालक की सुविधा के लिए बनाया गया है. प्लेट में HSRP Hologram Sticker अटैच होता है, इस स्टिकर पर ही गाड़ी का इंजन नंबर और चेसिस नंबर अंकित रहता है. यह नंबर प्रेशर मशीन द्वारा लिखा जाता है. प्लेट पर एक तरह का पिन होता जो आपके वाहन से कनेक्ट होगा. एक बार जब यह पिन आपके वाहन से प्लेट को पकड़ लेता है, तो यह दोनों तरफ से बंद हो जाएगा और किसी से नहीं खुलता है. यही नहीं टोल प्लाजा व पुलिस व नगर निगमों द्वारा लगाए गए कैमरे भी आसानी से इन नंबरों को ट्रेस कर सकते हैं, हालांकि यह ट्रेस करना उस वक़्त मुश्किल है जब गाड़ी की हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट तोड़कर दूसरी लगा दी जाती है.


इस तरह चोरी होने से बचा सकते हैं वाहन

ऑटो मोबाइल एक्सपर्ट जावेद खान बताते हैं कि 'लोग महंगी गाड़ियां तो खरीद लेते हैं, लेकिन थोड़े पैसे बचाने के चक्कर में अपनी गाड़ी से हाथ धो लेते हैं. बाजार में ऐसे कई उपकरण मौजूद हैं, जिन्हें लगाकर 80 प्रतिशत गाड़ी को सुरक्षित कर सकते हैं.


चोर स्वीच (सीक्रेट स्वीच) : यह गाड़ी को सुरक्षित रखने के लिए एक देशी तरीका होता है. यह इंजन को लॉक करता है, जिसे चोर किसी भी हाल में स्टार्ट नहीं कर सकेगा. इसके लिए महज 100 रुपये खर्च करने होते हैं और उसे एक ऐसी जगह लगा दिया जाता है, जो सिर्फ वाहन मालिक को ही पता होता है.

गियर लॉक : इस लॉक को लगाने के बाद कार के गियर लॉक हो जाते हैं, जिसके चलते गाड़ी स्टार्ट होने के बावजूद आगे नहीं बढ़ सकेगी. इसको तोड़ना आसान नहीं होता है और इसमें बहुत समय लगता है, इसलिए चोर ऐसे लॉक लगी गाड़ियों पर हाथ नहीं डालते. बाजार में एक हजार से लेकर तीन हजार रुपये तक की रेंज में गियर लॉक खरीद सकते हैं.

सेफ पार्किंग : गाड़ी को हमेशा सुरक्षित जगह ही पार्क करें. अधिकृत पार्किंग न हो तो ऐसी जगह पार्क करने की कोशिश करें, जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हों या फिर आसपास कोई दुकान हो पूरी रात पार्किंग करनी हो तो सेफ पार्किंग में ही खड़ी करें. कॉलोनी में गाड़ियां पार्क होती हैं तो रातभर उनपर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवाएं और चौकीदार रखें.

व्हील लॉक : इस तरह के लॉक को गाड़ी के पहिये में लगाकर आप अपनी गाड़ी लंबे समय तक पार्क कर सकते हैं. यह व्हील लॉक बहुत मजबूत होता है और इसे तोड़ना आसान नहीं होता है. चोरों के पास गाड़ी को चोरी करने के लिए बहुत समय नहीं होता, इसलिए वह ऐसी गाड़ी को हाथ नहीं लगाते, जिसमें उन्हें बाहर से ही कोई मजबूत लॉक लगा हो. इसकी कीमत 1000-1500 रुपये से शुरू हो जाती है.

सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम : यह लॉक सिस्टम रिमोट के जरिए चलता है. इससे आप कार को दूर बैठकर भी एक बटन की मदद से लॉक और अनलॉक कर सकते हैं. अगर आपकी कार के साथ कोई दूसरा व्यक्ति छेड़छाड़ करने की कोशिश करता है तो इस सिस्टम में लगा अलार्म बजने लगता है. जिससे आपको पता चल जाएगा कि आपकी कार पर खतरा है. इसे 8 से 10 हजार तक में लगवाया जा सकता है.


स्टीयरिंग लॉक : इस लॉक का यह फायदा है कि अगर कोई आपकी कार का लॉक खोलने की कोशिश भी करता है तो तुरंत अलार्म बज जाता है, जिससे आपकी गाड़ी चोरी होने से बच जाती है.

यह भी पढ़ें : STF arrested fraudster : देश के बड़े अस्पतालों का डॉक्टर बन की लाखों की ठगी, एसटीएफ ने किया गिरफ्तार

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लखनऊ : राजधानी में दो मिनट में 20 लाख रुपए की गाड़ी चुरा ली गई. इस गाड़ी के सिक्योरिटी सिस्टम के लिए कंपनी ने दावा किया था कि कोई दूसरी चाबी लगते ही वाहन मालिक के पास तुरंत अलर्ट पहुंच जाएगा. सिक्योरिटी सिस्टम इतना एडवांस था कि गाड़ी चोरी होने का सवाल ही खड़ा नहीं होता. बावजूद उसके गाड़ी चोरी हो गई और वह भी सिर्फ दो ही मिनट में. ये सिर्फ लखनऊ का आलम नहीं है, बल्कि समूचे यूपी व देश का है, जहां गाड़ियों की चोरी हर साल बढ़ रही है, लेकिन उनकी रिकवरी नहीं हो पा रही है. बीते 3 वर्षों में देश भर में 50 हजार से अधिक कार चोरी हुई हैं, जिनकी रिकवरी नाम मात्र ही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि ये गाड़ियां चोरी हो कैसे रही हैं और जा कहां रही हैं.

गियर लॉक
गियर लॉक





लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने ऐसे कई गैंग पकड़े हैं, जो हाईटेक गाड़ियों को एक झटके में चोरी कर लेते थे. गाड़ी में कितना भी हाई सिक्योरिटी लॉक लगा हो उसे वो अपने स्कैनर की मदद से अनलॉक करते और निकल जाते. डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक बताती हैं कि 'यूपी के मेरठ में सोतीगंज बाजार, गाजियाबाद का लोनी बाजार व बुलंदशहर बाजार पूरी तरह खत्म हो चुका है, नेपाल भी यूपी के रास्ते चोर गाड़ियां ले नहीं जाते हैं, ऐसे में अब अपराधी यूपी से जुड़े जैसे बिहार, राजस्थान व हरियाणा में गाड़ियां चोरी कर ले जाते हैं और वहां रजिस्ट्रेशन व चेचिस नंबर बदलकर बेच देते हैं.' डीसीपी बताती हैं कि 'ये जरूर है कि गाड़ियों की चोरी की वारदातें बढ़ी हैं, लेकिन इसके पीछे गाड़ी के मालिकों की भी कमी होती है. अनाधिकृत पार्किंग करने पर वहां गाड़ी की मॉनिटरिंग हो नहीं पाती है. जिससे चोर उसका फायदा उठा लेते हैं और गाड़ी चोरी कर लेते हैं.' उन्होंने बताया कि 'गाड़ी चोरी से बचाने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा सकते हैं जैसे गाड़ियों को अधिकृत पार्किंग में खड़ी करें. गाड़ी का सिक्योरिटी सिस्टम चालू रहे, उसमें जीपीएस भी चालू स्थिति में रहना चाहिए. यही नहीं गियर व स्टीयरिंग लॉक लगाएं.'

स्टेयरिंग लॉक
स्टेयरिंग लॉक




डीसीपी के बात से यह पता चलता है कि गाड़ी चोरी रोकने के लिए 10 साल पहले शुरू की गई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की व्यवस्था भी नाकाम रही है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से साफ है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के बावजूद गाड़ी चोरी की घटनाओं में कमी नहीं आई है. इसकी वजह यह है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट सिस्टम तो शुरू हो गया, लेकिन गाड़ी चोरी रोकने का सिस्टम असरदार नहीं बन पाया. आंकड़े बताते हैं कि 2012 के बाद गाड़ी चोरी की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है. बीते तीन साल की बात करें तो साल 2019 में देश भर में कुल 2 लाख 38 हजार 657 मोटर वाहन चोरी हुए थे, जिसमें 23 हजार 034 गाड़ियां चोरी हुई थीं. साल 2020 में 1 लाख 95 हजार 469 वाहन चोरी हुए, जिसमें 16 हजार 354 कार चोरों ने उड़ाई थीं, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 2 लाख 42 हजार 158 तक पहुंच गया, जिसमें 17 हजार 490 कार शामिल थीं. इन तीन वर्षों में कुल 56,878 कार चोरी हुईं, जबकि महज 13,007 ही कार पुलिस रिकवर कर सकी. यूपी में इन तीन वर्षों में 9,345 कार चोरी हुई हैं. इसमें बाकी की मोटर साइकिल हैं, जिनकी चोरी हुई है. खुद पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगे होने का यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि इससे गाड़ी चोरी की घटनाएं रुक जाएंगी. इसके पीछे की वजह यह है कि चोरी करने के बाद चोर बड़ी आसानी से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट हटाकर दूसरी नंबर प्लेट लगा देते हैं.

व्हील लॉक
व्हील लॉक

टेक्निकल एक्सपर्ट लेकर चल रहा चोरों का गैंग : पूर्व पुलिस अधिकारी ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी बताते हैं कि 'कई गैंग ऐसे होते हैं, जो चोरों को गाड़ियों की डिमांड के हिसाब से आर्डर देते हैं. इस गैग में फिर टेक्निकल एक्सपर्ट के साथ ड्राइवर शामिल होते हैं. गिरोह के सदस्य हाईटेक अंदाज में कार चोरी को अंजाम देते हैं, जिसमें वो पहले घूम-घूमकर रेकी करते हैं और रात के समय उसका सिक्योरिटी सिस्टम हैककर कार चोरी कर फरार हो जाते हैं.' पूर्व पुलिस अधिकारी बताते हैं कि 'कार चुराने में उन्हें कुछ मिनट ही लगते हैं. उनके साथ ड्राइवर भी होते हैं जो कार को निर्धारित स्थान तक पहुंचाते हैं.' वो कहते हैं कि 'जो हाईटेक चोर हाई सिक्योरिटी से लैस गाड़ी को चोरी कर लेते हैं, उनके लिए एक नंबर प्लेट तोड़ना कितना मुश्किल होगा.'


परिवहन विभाग दावा करता है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाहन की सुरक्षा और वाहन चालक की सुविधा के लिए बनाया गया है. प्लेट में HSRP Hologram Sticker अटैच होता है, इस स्टिकर पर ही गाड़ी का इंजन नंबर और चेसिस नंबर अंकित रहता है. यह नंबर प्रेशर मशीन द्वारा लिखा जाता है. प्लेट पर एक तरह का पिन होता जो आपके वाहन से कनेक्ट होगा. एक बार जब यह पिन आपके वाहन से प्लेट को पकड़ लेता है, तो यह दोनों तरफ से बंद हो जाएगा और किसी से नहीं खुलता है. यही नहीं टोल प्लाजा व पुलिस व नगर निगमों द्वारा लगाए गए कैमरे भी आसानी से इन नंबरों को ट्रेस कर सकते हैं, हालांकि यह ट्रेस करना उस वक़्त मुश्किल है जब गाड़ी की हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट तोड़कर दूसरी लगा दी जाती है.


इस तरह चोरी होने से बचा सकते हैं वाहन

ऑटो मोबाइल एक्सपर्ट जावेद खान बताते हैं कि 'लोग महंगी गाड़ियां तो खरीद लेते हैं, लेकिन थोड़े पैसे बचाने के चक्कर में अपनी गाड़ी से हाथ धो लेते हैं. बाजार में ऐसे कई उपकरण मौजूद हैं, जिन्हें लगाकर 80 प्रतिशत गाड़ी को सुरक्षित कर सकते हैं.


चोर स्वीच (सीक्रेट स्वीच) : यह गाड़ी को सुरक्षित रखने के लिए एक देशी तरीका होता है. यह इंजन को लॉक करता है, जिसे चोर किसी भी हाल में स्टार्ट नहीं कर सकेगा. इसके लिए महज 100 रुपये खर्च करने होते हैं और उसे एक ऐसी जगह लगा दिया जाता है, जो सिर्फ वाहन मालिक को ही पता होता है.

गियर लॉक : इस लॉक को लगाने के बाद कार के गियर लॉक हो जाते हैं, जिसके चलते गाड़ी स्टार्ट होने के बावजूद आगे नहीं बढ़ सकेगी. इसको तोड़ना आसान नहीं होता है और इसमें बहुत समय लगता है, इसलिए चोर ऐसे लॉक लगी गाड़ियों पर हाथ नहीं डालते. बाजार में एक हजार से लेकर तीन हजार रुपये तक की रेंज में गियर लॉक खरीद सकते हैं.

सेफ पार्किंग : गाड़ी को हमेशा सुरक्षित जगह ही पार्क करें. अधिकृत पार्किंग न हो तो ऐसी जगह पार्क करने की कोशिश करें, जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हों या फिर आसपास कोई दुकान हो पूरी रात पार्किंग करनी हो तो सेफ पार्किंग में ही खड़ी करें. कॉलोनी में गाड़ियां पार्क होती हैं तो रातभर उनपर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवाएं और चौकीदार रखें.

व्हील लॉक : इस तरह के लॉक को गाड़ी के पहिये में लगाकर आप अपनी गाड़ी लंबे समय तक पार्क कर सकते हैं. यह व्हील लॉक बहुत मजबूत होता है और इसे तोड़ना आसान नहीं होता है. चोरों के पास गाड़ी को चोरी करने के लिए बहुत समय नहीं होता, इसलिए वह ऐसी गाड़ी को हाथ नहीं लगाते, जिसमें उन्हें बाहर से ही कोई मजबूत लॉक लगा हो. इसकी कीमत 1000-1500 रुपये से शुरू हो जाती है.

सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम : यह लॉक सिस्टम रिमोट के जरिए चलता है. इससे आप कार को दूर बैठकर भी एक बटन की मदद से लॉक और अनलॉक कर सकते हैं. अगर आपकी कार के साथ कोई दूसरा व्यक्ति छेड़छाड़ करने की कोशिश करता है तो इस सिस्टम में लगा अलार्म बजने लगता है. जिससे आपको पता चल जाएगा कि आपकी कार पर खतरा है. इसे 8 से 10 हजार तक में लगवाया जा सकता है.


स्टीयरिंग लॉक : इस लॉक का यह फायदा है कि अगर कोई आपकी कार का लॉक खोलने की कोशिश भी करता है तो तुरंत अलार्म बज जाता है, जिससे आपकी गाड़ी चोरी होने से बच जाती है.

यह भी पढ़ें : STF arrested fraudster : देश के बड़े अस्पतालों का डॉक्टर बन की लाखों की ठगी, एसटीएफ ने किया गिरफ्तार

Last Updated : Jan 13, 2023, 9:01 AM IST
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