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रिवर फ्रंट घोटाला: CBI की छापेमारी में अब तक 407 करोड़ के गबन का खुलासा

अखिलेश सरकार में साल 2012 से 2017 के बीच लखनऊ के गोमतीनगर में रिवर फ्रंट परियोजना का निर्माण कराया गया था. जिसके लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे. 2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार बनी तो पता चला कि जारी बजट के 1437 करोड़ रुपये रिवर फ्रंट में खपाये जा चुके हैं, मगर काम महज 60 फीसदी ही हुआ है. रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया. जिसके बाद मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट में हुए व्यय की पड़ताल के लिए सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी.

अब तक 407 करोड़ के गबन का खुलासा
अब तक 407 करोड़ के गबन का खुलासा
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Published : Jul 7, 2021, 3:30 PM IST

लखनऊ: गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी की. अभी तक CBI ने उत्तर प्रदेश राजस्थान और पश्चिमी बंगाल में 40 स्थानों पर छापेमारी कर चुकी है. इस ताबड़तोड़ छापेमारी में 407 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है. छापेमारी में इंजीनियरों, ठेकेदारों और मेरठ में IAS के रिश्तेदारों के घरों से सोने की ईंटें, हीरे, एक करोड़ की फिक्स डिपाजिट (FD) की रसीदें, संपत्ति के दस्तावेजों के साथ-साथ लाखों की नकदी भी बरामद हुई है. हालांकि, आठ अफसरों समेत 125 लोगों से नकदी और कीमती सामान और संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए हैं. आरोपितों को सोने और हीरे की खरीद से संबंधित सबूत पेश करने के लिए कहा गया है.


बता दें कि, अखिलेश सरकार में वर्ष 2012 से 2017 के बीच लखनऊ के गोमतीनगर में रिवर फ्रंट परियोजना का निर्माण कराया गया था. गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ. रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया. सीबीआई की जांच में 16 प्रशासनिक अफसरों समेत 190 लोगों को आरोपी बनाया है. मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी.

पढ़े- रिवर फ्रंट घोटालाः सीबीआई की लखनऊ समेत यूपी में 40 ठिकानों पर छापेमारी



CBI ने कहा- खरीद से संबंधित सबूत पेश करें

CBI का दावा है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने जिन ठेकेदारों और निजी फर्मों को निर्माण कार्य आवंटित किया उन लोगों ने मिलकर 407 करोड़ का गबन किया है. मेरठ में IAS की ससुराल से नकदी समेत सोने की ईंटें, हीरे मिले जबकि, चीफ इंजीनियर के घर से CBI को एक करोड़ की FD मिली है. यही नहीं, प्राथमिकी में नामजद सिंचाई विभाग के पांच इंजीनियरों के घरों से 75 लाख रुपये से अधिक नकद बरामद किया गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि आठ अफसरों समेत 125 लोगों से केवल नकदी और कीमती सामान और संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए हैं. आरोपितों को सोने और हीरे की खरीद से संबंधित सबूत पेश करने के लिए कहा गया है.

190 लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी FIR

CBI की लखनऊ इकाई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीडब्ल्यू) ने 190 लोगों के खिलाफ बीते शुक्रवार को एक नई प्राथमिकी दर्ज करने के बाद छापेमारी की थी. प्राथमिकी में सरकारी अधिकारियों और निर्माण इकाइयों के प्रबंधकों के नाम है.

लखनऊ: गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी की. अभी तक CBI ने उत्तर प्रदेश राजस्थान और पश्चिमी बंगाल में 40 स्थानों पर छापेमारी कर चुकी है. इस ताबड़तोड़ छापेमारी में 407 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है. छापेमारी में इंजीनियरों, ठेकेदारों और मेरठ में IAS के रिश्तेदारों के घरों से सोने की ईंटें, हीरे, एक करोड़ की फिक्स डिपाजिट (FD) की रसीदें, संपत्ति के दस्तावेजों के साथ-साथ लाखों की नकदी भी बरामद हुई है. हालांकि, आठ अफसरों समेत 125 लोगों से नकदी और कीमती सामान और संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए हैं. आरोपितों को सोने और हीरे की खरीद से संबंधित सबूत पेश करने के लिए कहा गया है.


बता दें कि, अखिलेश सरकार में वर्ष 2012 से 2017 के बीच लखनऊ के गोमतीनगर में रिवर फ्रंट परियोजना का निर्माण कराया गया था. गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ. रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया. सीबीआई की जांच में 16 प्रशासनिक अफसरों समेत 190 लोगों को आरोपी बनाया है. मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी.

पढ़े- रिवर फ्रंट घोटालाः सीबीआई की लखनऊ समेत यूपी में 40 ठिकानों पर छापेमारी



CBI ने कहा- खरीद से संबंधित सबूत पेश करें

CBI का दावा है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने जिन ठेकेदारों और निजी फर्मों को निर्माण कार्य आवंटित किया उन लोगों ने मिलकर 407 करोड़ का गबन किया है. मेरठ में IAS की ससुराल से नकदी समेत सोने की ईंटें, हीरे मिले जबकि, चीफ इंजीनियर के घर से CBI को एक करोड़ की FD मिली है. यही नहीं, प्राथमिकी में नामजद सिंचाई विभाग के पांच इंजीनियरों के घरों से 75 लाख रुपये से अधिक नकद बरामद किया गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि आठ अफसरों समेत 125 लोगों से केवल नकदी और कीमती सामान और संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए हैं. आरोपितों को सोने और हीरे की खरीद से संबंधित सबूत पेश करने के लिए कहा गया है.

190 लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी FIR

CBI की लखनऊ इकाई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीडब्ल्यू) ने 190 लोगों के खिलाफ बीते शुक्रवार को एक नई प्राथमिकी दर्ज करने के बाद छापेमारी की थी. प्राथमिकी में सरकारी अधिकारियों और निर्माण इकाइयों के प्रबंधकों के नाम है.

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