लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण में बर्खास्त बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा के द्वारा किया गया एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है. प्रियदर्शनी योजना में चार प्लाट को फर्जी लेआउट बनाकर बेच डालने का मामला सामने आया है. इस बीच बर्खास्त किए गए बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा की मौत भी हो चुकी है. ऐसी स्थिति में अब फाइलों के फर्जीवाड़े के सबूत मिल पाना मुश्किल बताया जा रहा है.
प्रियदर्शनी योजना में किया गया फर्जीवाड़ा
लखनऊ विकास प्राधिकरण की प्रियदर्शनी योजना में खाली जमीन का लेआउट फर्जी तरीके से बनाकर 4 प्लाट आवंटित कर देने का नया मामला सामने आया है. एक प्लाट को खरीदने वाले व्यक्ति सत्येंद्र शुक्ला ने उस पर निर्माण करने की कोशिश की तो पता चला कि यह प्लॉट तो किसी और के नाम पर है. इस प्लॉट की रजिस्ट्री की गई है, उसका कोई साक्ष्य रजिस्ट्री कार्यालय में मौजूद ही नहीं है. सीतापुर निवासी पीड़ित सत्येंद्र शुक्ला ने एलडीए उपाध्यक्ष से इसकी शिकायत की है. उन्होंने बताया कि प्लाट खरीदने के लिए बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा को उन्होंने 18 लाख रुपये एडवांस दिए थे और भूखंड संख्या 1/57 खरीदा था. उन्होंने बताया कि रजिस्ट्री की बात को बाबू टाल देता था. पिछले सप्ताह जब भूखंड पर निर्माण शुरू कराया गया तो पता चला कि रजिस्ट्री किसी अमर सिंह के नाम पर कर दी गई है.
रजिस्ट्री का नहीं मिल रहा रिकॉर्ड
शिकायत में कहा गया कि इस रजिस्ट्री का कोई रिकॉर्ड रजिस्ट्रार कार्यालय में नहीं मिल रहा है, जबकि इस पूरे मामले में एलडीए का कहना है कि इस प्लॉट का कोई भी ले-आउट प्राधिकरण के मानचित्र विभाग की तरफ से बनाया ही नहीं गया. इसी तरह तीन और प्लॉट का मामला भी सामने आया, जिसका फर्जी तरीके से बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा ने लेआउट बनाया था. इस संबंध में पैसा लौटाने की बात नहीं मानने पर इसी साल जनवरी में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी. इसके अलावा बर्खास्त किए गए बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा ने 350 से अधिक फर्जीवाड़े किए थे, जिनके मूल दस्तावेज एलडीए कार्यालय में गायब हो गए थे. इसको लेकर तत्कालीन उपाध्यक्ष प्रभु एन. सिंह ने मुकदमा दर्ज कराकर बाबू को बर्खास्त करने की कार्रवाई भी की थी.
बाबू की मौत के बाद दस्तावेजों का मिलना मुश्किल
बर्खास्त बाबू मुक्तेश्वर नाथ की पिछले दिनों हार्टअटैक से मौत हो गई है, जिससे यह पूरा मामला फाइलों में दबकर रह गया. लखनऊ विकास प्राधिकरण की संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने इस मामले में कहा कि बर्खास्त बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा की मौत के बाद मूल दस्तावेजों का मिलना मुश्किल है. प्रदर्शनी योजना में इन चारों प्लाटों की जांच कराई जाएगी, जिससे बाकी दोषियों को सजा मिल सके और लखनऊ विकास प्राधिकरण की जमीन को बचाया जा सके.