लखनऊः यूपी सरकार ने लखनऊ विश्वविद्यालय का दायरा और बढ़ा दिया है. कानपुर विश्वविद्यालय से 4 जिलों के कॉलेजों को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय में जोड़ दिया गया है. करीब 340 नए कॉलेज जुड़े. लखनऊ विश्वविद्यालय को तो फायदा हुआ, लेकिन अब इन जिलों के छात्र-छात्राओं से लेकर यहां के कॉलेज संचालकों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. कई कॉलेजों की फीस 2 गुना तक बढ़ गई है.
असल में, कानपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा शुल्क, पंजीकरण शुल्क समेत अन्य मदों में कॉलेजों से लिए जाने वाले शुल्क में बड़ा अंतर है. जिसका सीधा भार छात्रों और अभिभावकों पर पड़ता है. आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई और रायबरेली के कॉलेजों को लखनऊ विश्वविद्यालय से जोड़ा गया है.
लखीमपुर खीरी के एक निजी कॉलेज में B.A. की फीस करीब 5,000 रुपये थी. इसमें, करीब 500 रुपये परीक्षा शुल्क, कानपुर विश्वविद्यालय को जाता था. अब लखनऊ विश्वविद्यालय का परीक्षा शुल्क ही 4 से 5000 हजार रुपये के बीच में है. यही हाल बीएससी का भी है. बीएससी का शुल्क इन कॉलेजों में करीब 6,000 हजार रुपये प्रति वर्ष हुआ करता था. जो कि लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा शुल्क के आसपास ही है.
बीए, बीएससी, बीकॉम पाठ्यक्रमों में लखीमपुर खीरी के महाविद्यालयों को कुल शुल्क 2500 रुपये से 4000 रुपये प्रति वर्ष तक ही छात्रों से प्राप्त हो पाता है. जिसमें छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर का परीक्षा शुल्क व नामांकन/आवेदन शुल्क लगभग 955 रुपये भी वार्षिक शिक्षण शुल्क में ही सम्मिलित है. इस प्रकार जनपद लखीमपुर खीरी के महाविद्यालय परीक्षा शुल्क और आवेदन शुल्क देने के बाद 1500 से 3000 रुपये प्रतिवर्ष प्रति छात्र में ही महाविद्यालय के वेतन, अवस्थापना संबंधी विकास, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, भवन मरम्मत, कामर्शियल बिजली के बिल आदि को व्यवस्थित कर रहें हैं. खीरी सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन का दावा है कि
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ का वर्तमान शुल्क लागू किए जाने की दशा में महाविद्यालय दम तोड़ देंगे.
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ का बीए, बीएससी, बी.कॉम प्रथम वर्ष में परीक्षा शुल्क व नामांकन/पंजीकरण शुल्क 5000-6000 रुपये तक है. प्रतिवर्ष प्रतिछात्र को इस फीस के अतिरिक्त महाविद्यालयों पर लगाया गया शिक्षक अनुमोदन शुल्क, निरीक्षण शुल्क और सम्बद्धता शुल्क का आर्थिक भार भी छात्रों पर ही पड़ेगा.
लखीमपुर खीरी, हरदोई, सीतापुर और रायबरेली के ज्यादातर निजी कॉलेजों में इस समय दाखिले की प्रक्रिया पूरी तरह से ठप पड़ी है. यहां के कॉलेज संचालकों की तरफ से लगातार लखनऊ विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर फीस को लेकर फैसला लेने को कहा जा रहा है. खीरी सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश कुमार सिंह का कहना है कि इतनी अधिक बढ़ी हुई फीस दे पाना यहां के छात्रों और अभिभावकों के लिए संभव ही नहीं है. जब तक विश्वविद्यालय की तरफ से फीस को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होती है, तब तक इन कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाएगी. संगठन के संजीव कुमार का कहना है कि छात्रों को इसका सीधा नुकसान हो रहा है.
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यह उठाई है मांगे
- परीक्षा शुल्क 1,000 रुपये प्रति वार्षिक से अधिक न रखा जाए.
- पंजीकरण शुल्क 1,000 रुपये प्रति के स्थान पर 100 रुपये लिये जाएं.
- मौखिक/प्रायोगिक परीक्षा सम्पन्न कराने का भार महाविद्यालय, छात्र व अभिभावक को ही व्यावहारिक स्तर पर वहन करना पड़ता है.
- विश्वविद्यालय द्वारा लिखित परीक्षा के शुल्क का उत्तर-पुस्तिका जांचने में प्रयोग होता है. परंतु मौखिक/प्रायोगिक परीक्षा महाविद्यालय परिसर में ही जांची व मूल्यांकित की जाती है. अतः यह शुल्क विश्वविद्यालय स्तर पर ना लिया जाए. जिससे छात्र और अभिभावक पर दोहरा भार समाप्त हो.
- गैर तकनीकी पाठ्यक्रमों में परीक्षा पद्धति सेमेस्टर के स्थान पर वार्षिक ही रखी जाए.
- शिक्षक अनुमोदन हेतु विषय-विशेषज्ञ पैनल शुल्क का भार हटाया जाए.
- संबद्धता शुल्क पर जीएसटी न लगाया जाए. क्योंकि इनपुट टैक्स क्रेडिट ITC का लाभ शिक्षण संस्थाओं को नहीं मिल पाता है. पुस्तकों पर भी GST नहीं है.
- शिक्षक भर्ती हेतु विज्ञापन दो अखबारों में एक ही दिन निकलवाने को मान्य करें. 3 दिन विज्ञापन छपवाने का नियम हटाया जाए.
- विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में शिक्षक भर्ती की रसीद 5100 रुपये के स्थान पर 1100 रुपये ली जाए व एक दिन में अधिकतम दो साक्षात्कार कर चयन करने की सीमा को हटाया जाए.
- SLET परीक्षा नहीं होने के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की वर्तमान कमी को देखते हुए शिक्षक भर्ती में यदि एक ही शिक्षक साक्षात्कार में सम्मिलित हो पाता है तो उसका चयन मान्य व अनुमोदन किया जाए.
- शिक्षक द्वारा शैक्षिक सत्र के मध्य में सरकारी भर्ती, अध्ययन यथा पीएचडी, खराब स्वास्थ्य के कारण सेवा छोड़ जाने पर अनुदानित महाविद्यालयों की भांति छात्र हित में पाठ्यक्रम पूर्ण करने हेतु Adhoc शिक्षक रखने हेतु मान्य किया जाए.
- जटिल अनुमोदन प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए. जिससे भय के स्थान पर स्ववित्तपोषित योजनांतर्गत महाविद्यालय भी लखनऊ विश्वविद्यालय के मार्ग निर्देशन में छात्रो में अध्यापन के साथ कौशल विकास, अन्वेषण तथा स्व- उद्यमिता पर कार्य करा सकें.