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लखनऊ में 2018 में हुई 2 हजार 736 महिला अपराध की घटनाएं, 199 दुष्कर्म के मामले

यूपी सरकार महिला सुरक्षा को लेकर भले ही कितने दावे क्यों न करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. राजधानी लखनऊ में साल 2018 में 2 हजार 736 महिला अपराध की घटनाएं सामने आई, जिनमें 199 दुष्कर्म के मामले थे.

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महिलाओं के साथ दुष्कर्म की 2736 घटनाएं सामने आईं..
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Published : Jan 12, 2020, 5:14 AM IST

लखनऊ: सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भले ही तमाम दावे करती हो, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होने वाले महिला अपराधों की बात की जाए तो साल 2018 में 2,736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 119 मामले महिलाओं के साथ दुष्कर्म के हैं.

महिला अपराध में हो रही बढ़ोतरी.

साल 2017 में 2,468 मामले दर्ज किए गए थे. आकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध बढ़ रहे हैं. महिला अपराधों की बात की जाए तो लखनऊ शहर देशभर में चौथे स्थान पर है. पहले स्थान पर दिल्ली, दूसरे स्थान पर मुंबई, तीसरे स्थान पर बेंगलुरु, चौथे स्थान पर लखनऊ और पांचवें स्थान पर हैदराबाद है.

क्या कहते हैं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े

  • एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 2017 में 11 हजार 542 और 2018 में 11 हजार 724 महिला अपराध की घटनाएं दर्ज की गई.
  • मुंबई में साल 2017 में 5 हजार 433 और 2018 में 6 हजार 58 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए.
  • साल 2018 में मुंबई में 319 दुष्कर्म की घटनाएं रिकॉर्ड की गईं.
  • बेंगलुरु में साल 2017 में 3 हजार 565 और 2018 में 3 हजार 427 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए.
  • साल 2018 में बेंगलुरु में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 106 मामले दर्ज किए गए हैं.
  • लखनऊ में साल 2017 में 2 हजार 468 और 2018 में 2 हजार 736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए.
  • साल 2018 में लखनऊ में 199 महिला दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए.
  • हैदराबाद में साल 2017 में 2 हजार 272 और 2018 में 2 हजार 332 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं.
  • साल 2018 में हैदराबाद में 89 मामले दुष्कर्म के दर्ज किए गए.

इसे भी पढे़ं:-बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तैयार करेंगे एक्शन प्लान: यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

सरकार के तमाम दावों के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार आपराधिक घटनाएं हो रही हैं. इन आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने में योगी सरकार कामयाब नजर नहीं आ रही है. जहां एक ओर हमारा तंत्र इसके लिए जिम्मेदार है. वहीं दूसरी ओर हमारा समाज भी निष्क्रिय होता जा रहा है.
-उषा विश्वकर्मा, समाजसेवी

सरकार का पुलिस पर जब तक नाजायज दबाव होगा, तब तक स्थिति बेहतर नहीं होने वाली. सबसे पहले सरकार में बैठे जिम्मेदारों को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि सरकार में कोई भी आपराधिक प्रवृत्ति के लोग न हों. जब शीर्ष पर बैठे लोग ही अपराधी होते हैं तो उनकी मदद से क्षेत्र के अपराधियों को मदद मिलती है.
-पूजा शुक्ला, छात्र नेता

जब तक महिला अपराधों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक महिला अपराधों पर लगाम नहीं लगाई जा सकती. महिलाओं के साथ होने वाले छोटे और बड़े अपराधों में पुलिस को सक्रियता दिखाते हुए कार्रवाई करनी पड़ेगी.
-एके जैन, पूर्व डीजीपी

लखनऊ: सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भले ही तमाम दावे करती हो, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होने वाले महिला अपराधों की बात की जाए तो साल 2018 में 2,736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 119 मामले महिलाओं के साथ दुष्कर्म के हैं.

महिला अपराध में हो रही बढ़ोतरी.

साल 2017 में 2,468 मामले दर्ज किए गए थे. आकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध बढ़ रहे हैं. महिला अपराधों की बात की जाए तो लखनऊ शहर देशभर में चौथे स्थान पर है. पहले स्थान पर दिल्ली, दूसरे स्थान पर मुंबई, तीसरे स्थान पर बेंगलुरु, चौथे स्थान पर लखनऊ और पांचवें स्थान पर हैदराबाद है.

क्या कहते हैं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े

  • एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 2017 में 11 हजार 542 और 2018 में 11 हजार 724 महिला अपराध की घटनाएं दर्ज की गई.
  • मुंबई में साल 2017 में 5 हजार 433 और 2018 में 6 हजार 58 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए.
  • साल 2018 में मुंबई में 319 दुष्कर्म की घटनाएं रिकॉर्ड की गईं.
  • बेंगलुरु में साल 2017 में 3 हजार 565 और 2018 में 3 हजार 427 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए.
  • साल 2018 में बेंगलुरु में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 106 मामले दर्ज किए गए हैं.
  • लखनऊ में साल 2017 में 2 हजार 468 और 2018 में 2 हजार 736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए.
  • साल 2018 में लखनऊ में 199 महिला दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए.
  • हैदराबाद में साल 2017 में 2 हजार 272 और 2018 में 2 हजार 332 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं.
  • साल 2018 में हैदराबाद में 89 मामले दुष्कर्म के दर्ज किए गए.

इसे भी पढे़ं:-बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तैयार करेंगे एक्शन प्लान: यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

सरकार के तमाम दावों के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार आपराधिक घटनाएं हो रही हैं. इन आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने में योगी सरकार कामयाब नजर नहीं आ रही है. जहां एक ओर हमारा तंत्र इसके लिए जिम्मेदार है. वहीं दूसरी ओर हमारा समाज भी निष्क्रिय होता जा रहा है.
-उषा विश्वकर्मा, समाजसेवी

सरकार का पुलिस पर जब तक नाजायज दबाव होगा, तब तक स्थिति बेहतर नहीं होने वाली. सबसे पहले सरकार में बैठे जिम्मेदारों को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि सरकार में कोई भी आपराधिक प्रवृत्ति के लोग न हों. जब शीर्ष पर बैठे लोग ही अपराधी होते हैं तो उनकी मदद से क्षेत्र के अपराधियों को मदद मिलती है.
-पूजा शुक्ला, छात्र नेता

जब तक महिला अपराधों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक महिला अपराधों पर लगाम नहीं लगाई जा सकती. महिलाओं के साथ होने वाले छोटे और बड़े अपराधों में पुलिस को सक्रियता दिखाते हुए कार्रवाई करनी पड़ेगी.
-एके जैन, पूर्व डीजीपी

Intro:आपके निर्देशानुसार पैकेज में पूर्व बीजेपी एके जैन की बाइट लगाकर भेजी गई है

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लखनऊ। योगी सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भले ही तमाम दावे करती हो, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होने वाले महिला अपराधों की बात की जाए तो वर्ष 2018 में 2,736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। जिसमें से 119 मामले महिलाओं के साथ दुष्कर्म के हैं। 2017 की बात की जाए तो 2017 में 2,468 मामले दर्ज किए गए थे। आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध बढ़ रहे हैं। यह आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2018 की रिपोर्ट से सामने आए हैं।






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महिला अपराधों की बात की जाए तो लखनऊ शहर देशभर में चौथे स्थान पर है। पहले स्थान पर दिल्ली, दूसरे स्थान पर मुंबई, तीसरे स्थान पर बेंगलुरु, चौथे स्थान पर लखनऊ व पांचवें स्थान पर हैदराबाद है।

महिला अपराध के मामले में यह शहर सबसे आगे

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 2017 में 11542 दो हजार अट्ठारह में 11724 महिला अपराध दर्ज किए गए हैं। दिल्ली में वर्ष 2018 में 1080 दुष्कर्म दर्ज किए गए हैं।

मुंबई में वर्ष 2017 में 5,433 वर्ष 2018 में 6,058 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं वहीं वर्ष 2018 में मुंबई में 319 दुष्कर्म की घटनाएं रिकॉर्ड की गई है।

बेंगलुरु में वर्ष 2017 मैं 3,565 व वर्ष 2018 में 3,427 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। वर्ष 2018 में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 106 मामले दर्ज किए गए हैं।

लखनऊ में वर्ष 2017 में 2,468 व 2018 में 2,736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। वर्ष 2018 में 199 महिला दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए हैं।

हैदराबाद में वर्ष 2017 में 2,272 वर्ष 2018 में 2,332 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। 2018 में 89 मामले दुष्कर्म के दर्ज किए गए हैं।

बाइट 1

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम करने वाली समाजसेवी उषा विश्वकर्मा ने ईटीवी से बातचीत में कहा सरकार के तमाम दावों के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। इन आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने में योगी सरकार कामयाब नहीं नजर आ रही है। उषा विश्वकर्मा ने कहा है जहां एक और हमारा तंत्र इसके लिए जिम्मेदार है। दूसरी ओर हमारा समाज भी निष्क्रिय होता जा रहा है। सड़क पर अगर किसी महिला के साथ कोई घटना होती है तो समाज के लोग उसकी अनदेखी कर देते हैं। सामान्यता देखा जाता है कि बड़े शहरों में अधिक आपराधिक घटनाएं होती हैं जिसके कई पहलू भी हैं। महिलाएं इन शहरों में अधिक बाहर निकलती हैं इसलिए वह शिकार होती हैं वहीं महिलाए अपने साथ हुई घटना की शिकायत करती हैं इस वजह से भी बड़े शहरों में आपराधिक घटनाओं के आंकड़े अधिक।


Conclusion:बाइट 2

लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र नेता पूजा शुक्ला ने बातचीत में कहा कि सरकार का पुलिस पर जब तक नाजायज सरकार का दबाव होगा तब तक स्थिति बेहतर नहीं होने वाली। सबसे पहले सरकार में बैठे जिम्मेदारों को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि सरकार में कोई भी आपराधिक प्रवृत्ति के लोग न हो, जब शीर्ष पर बैठे लोग ही अपराधी होते हैं तो उनकी मदद से क्षेत्र के अपराधियों को मदद मिलती है। महिला अपराध को लेकर सरकार कड़े कदम उठाएं और पुलिस सक्रियता दिखाएं तभी महिला अपराध व दुष्कर्म की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकती है।

बाइट 3

एके जैन पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेश ने नई टीवी से बातचीत में बताया कि जब तक महिला अपराधों के खिलाफ बड़ी कार्यवाही नहीं होगी तब तक महिला अपराधों पर लगाम नहीं लगाई जा सकती। महिलाओं के साथ होने वाले छोटे व बड़े अपराधों में पुलिस को सक्रियता दिखाते हुए कार्यवाही करनी पड़ेगी। महिला अपराधों की गंभीरता को समझते हुए गैंगरेप में गैंगस्टर व एक से अधिक बार महिला अपराध करने की स्थिति में एनएसए तक की कार्यवाही की जानी चाहिए।

(संवाददाता प्रशांत मिश्रा 90 2639 25 26)
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