लखनऊ: गंभीर मरीज बेहतर इलाज के लिए राजधानी रेफर किए जा रहे हैं. वहीं यहां के अस्पतालों में मरीज वेंटीलेटर के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. जबकि कई अस्पतालों में लाखों के वेंटीलेटर डिब्बों में बंद हैं, ऐसे में समय पर इलाज न मिलने से मरीजों की सांसें उखड़ रही हैं. प्रदेश में डेंगू भी भयावह हो रहा है. यूपी में 24 घंटे में डेंगू के 254 नए मरीज पाए गए हैं.
बता दें कि प्रयागराज निवासी गुलाब सिंह (50) को चार दिन पहले तेज बुखार आया था. परिजन उन्हें लेकर स्थानीय अस्पताल गए. इस दौरान मरीज की हालत बिगड़ती गई. मरीज को वेंटीलेटर की आवश्यकता बताकर पीजीआई रेफर किया गया. बीती मंगलवार रात परिजन पीजीआई पहुंचे, वहां पर घंटों मरीज एंबुलेंस में पड़ा तड़पता रहा लेकिन उसे अस्पताल ने भर्ती नहीं किया. इसके बाद एंबुलेंस चालक ने मरीज को निजी अस्पताल में किसी तरह भर्ती कराया. रात भर में निजी अस्पताल ने वेंटीलेटर और इलाज के नाम पर 90 हजार रुपए वसूल लिए, इसके बाद परिजनों ने भी पैसे की समस्या बताकर बुधवार सुबह मरीज को डिस्चार्ज करा लिया.
मरीज को एंबुलेंस से दोबारा पीजीआई लेकर गए, फिर भी वहां मरीज को भर्ती नहीं किया गया. इसके बाद परिजन मरीज को लेकर लोहिया संस्थान गए वहां पर वेंटीलेटर खाली नहीं मिला. इन सब में करीब 6 घंटे बीत गए. आखिर में तीमारदार मरीज को लेकर दोपहर करीब 2 बजे ट्रॉमा सेंटर गए, वहां पर डॉक्टरों से काफी फरियाद की तब जाकर कहीं वेंटिलेटर मिला लेकिन तब तक मरीज की मौत हो चुकी थी.
इस संबंध में जब डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत से मामले की जानकारी से की गई तो उन्होंने मामले की जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया.
यूपी में डेंगू केस 6 हजार के पार
राज्य में मच्छरजनित और बैक्टीरियल बीमारी का प्रकोप जारी है. जलभराव और गंदगी से स्क्रबटाइफस, लेप्टोस्पाइरोसिस और डेंगू-मलेरिया भयावह हो रहा है. गुरुवार को राज्य में डेंगू के 254 नए मरीज मिले, इसमें लखनऊ में 15 लोगों पर डेंगू ने हमला बोला. राज्यभर में हजारों मरीज बुखार से कराह रहे हैं, इनकी डेंगू की जांचें की जा रही हैं. स्थिति यह है कि प्रदेश में 1 जनवरी से 12 सितम्बर तक 58 जिलों में कुल 2,073 केस रिपोर्ट किए गए हैं. वहीं अब मरीजों की कुल संख्या 6488 हो गयी है.
इस एंटीबायोटिक का करें इस्तेमाल
संचारी रोग निदेशक मेजर डॉ. जीएस बाजपेयी के मुताबिक स्क्रबटाइफस और लेप्टोस्पाइरोसिस एक प्रकार के बैक्टीरिया हैं. इसका बुखार ज्यादा दिन रहने पर ब्रेन पर असर करता है, ऐसे में वयस्क को डॉक्सीसाइक्लिन और बच्चों को एजिथ्रोमाइसिन एंटीबायोटिक डॉक्टर से परामर्श कर दें. बारिश की समाप्ति के एक माह बाद तक डेंगू का खतरा रहता है, ऐसे में आशंका है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक ज्यादा सतर्क रहना होगा. उधर पैर पसार रहे डेंगू को लेकर सभी जिलों को अलर्ट जारी कर दिया गया है. अस्पतालों में इलाज की मुफ्त व्यवस्था की गई है और बुखार के मरीजों का घर-घर सर्वे किया जा रहा है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने यूपी के फिरोजाबाद जिले में अधिकांश मौतें डेंगू बुखार के डी-टू स्ट्रेन के कारण होने का दावा किया हैं. उन्होंने बताया कि यह स्ट्रेन बहुत घातक होता है और जानलेवा है. यह अक्सर ब्लीडिंग का कारण बनता है. इसके अलावा यह प्लेटलेट काउंट को भी तेजी से प्रभावित करता है. यह स्ट्रेन मथुरा और आगरा में भी पाया गया है.
डेंगू के प्रकार
टाइप 1- सामान्य डेंगू: इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है. दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.
टाइप 2- डेंगू हैमेरेजिक फीवर: इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं और ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है, यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. इसके अलावा इसमें शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.
टाइप 3- डेंगू शॉक सिंड्रोम: इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है और मरीज शॉक में चला जाता है. मरीज के मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाते हैं, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.
खानपान का रखें ध्यान
बुखार में आहार का ध्यान रखें, हरी सब्जियां, फलों के साथ सुपाच्य भोजन करें. तरल चीजें जैसे पानी, सूप, दूध, छाछ, नारियल पानी, ओआरएस का घोल, जूस, शिकंजी भरपूर मात्रा में लें. बासी और तैलीय खाना न खाएं.