लखनऊ : राजधानी और आसपास के जिलों के राजकीय स्कूलों के करीब 25 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है. नौकरी पाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के आरोपों में यह कार्रवाई की गई है. इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के भी आदेश दे दिए गए हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, अभी जांच की प्रक्रिया जारी है. करीब 4 से 5 शिक्षकों के दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है.
लखनऊ और लखनऊ मंडल के अन्य जिलों में वर्ष 2014 में राजकीय स्कूलों में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 2016 में यह भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई. प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुछ सफल अभ्यर्थियों ने ज्वाइन भी कर लिया था. उसी दौरान दस्तावेजों में गड़बड़ी की शिकायतों के चलते जांच शुरू हुई. दस्तावेजों का सत्यापन कराया गया. जांच में फर्जीवाड़ा खुलकर सामने आया. पड़ताल में कई के दस्तावेजों के फर्जी होने का खुलासा हुआ, जिसके बाद कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है. संयुक्त शिक्षा निदेशक सुरेन्द्र तिवारी ने बताया कि इन सभी को बर्खास्त करते हुए एफआईआर दर्ज कराने के आदेश हुए हैं. उन्होंने बताया कि करीब चार से पांच अन्य प्रकरणों में भी जांच चल रही है. दस्तावेजों को सत्यापन के लिए भेजा गया है. अभी तक उनका जवाब नहीं मिला है.
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हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रकरण भी फंसे
शहर के सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों में हिंदी साहित्य सम्मेलन के दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों पर भी तलवार लटकी हुई है. असल में, हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रमाण पत्र मान्य नहीं है. लेकिन, पिछले वर्षों में इनके सहारे कई नियुक्तियां हुई हैं. बीते दिनों तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने इनका वेतन रोककर सेवा समाप्त करने के लिए, आयोग को पत्र भी भेज दिया था. अभी इसमें कार्रवाई की प्रक्रिया रुकी हुई है.