लखनऊ : मूल पत्रावलियों में खेल कर फाइलों को गायब करना एलडीए की फितरत हो गयी है. तभी तो एक बार फिर स्कैनिंग के लिए राइटर को दी गयी करीब 23 हजार फाइलें गायब हो गयी हैं. अब सवाल ये उठता है कि फाइलों को गायब करने के पीछे एलडीए और एजेंसी का षडयंत्र तो नहीं है. क्योंकि इससे पहले भी प्राधिकरण में करीब 5 हजार फाइलें गायब हो चुकी हैं. फाइलों को गायब करने का मकसद यहां के कर्मचारियों के किये गये फर्जीवाड़े की जानकारी को दफनाना हो सकता है.
जानकीपुरम योजना से जड़ी 1400 फाइलें गायब
प्राधिकरण में मूल आवंटियों की पत्रावलियों में हेराफेरी कर फर्जी रजिस्ट्री व समायोजन के मामले सामने आते रहते हैं. घोटाला करने के बाद फाइलों के गायब करने का खेल रचा जाता है. पूर्व में यह निर्देश दिया गया था कि जिन कर्मचारियों ने मूल पत्रावली संबंधित सहायक को उपलब्ध नहीं कराई है, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए. लेकिन ऐसा होने तक देर हो चुकी होती है. जानकीपुरम योजना से जुड़ी हुई करीब 1400 फाइलें गायब हैं. फाइल गायब करने में लिप्त पाए गए कुछ कर्मचारियों को निलंबित करने की कार्रवाई हुई, लेकिन बाद में वह भी सिफारिशों पर बहाल कर दिए गए. गोमती नगर के वास्तुखंड का मामला कोई नया नहीं है. बाबुओं के गठजोड़ का ही नतीजा है कि अजय प्रताप वर्मा ने 5 भूखंडों से जुड़ी फाइलें नहीं दी. लेकिन अजय प्रताप वर्मा के बाद बाबू एजाज खान, फिर अदनान ने वास्तुखंड का काम संभाला और फिर बाबू अमित कुमार ने वास्तुखंड देखना शुरू किया. इस दौरान फाइलों का मामला ठंडे बस्ते में ही रहा.
ठोस कार्रवाई न होने से गायब हो रहीं फाइलें
फाइलों के गायब होने का सिलसिला एलडीए में बहुत पुराना है. योजनाओं की फाइलों को गायब करके मकानों के आवंटन में एलडीए में बड़े पैमाने पर खेल हुए हैं. इस खेल में शामिल एलडीए के बाबू और अफसर करोड़ों कमा रहे हैं. फाइल गायब होने पर एलडीए के अधिकारियों ने भी हल्की कार्रवाई करके खानापूर्ति कर ली. इससे धंधेबाजों के हौसले बुलंद है. हालांकि संयुक्त सचिव ऋतु सुहास का कहना है कि वास्तु खंड के पांच फाइलों के न मिलने पर जिम्मेदार बाबू के खिलाफ एफआईआर लिखाई गयी है.