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22 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए, 53 सीटों के लिए 3 जुलाई को होगा मतदान - 22 zila panchayat adhyaksh elected

उत्तर प्रदेश में चल रहे जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव रोमांचक होता जा रहा है. जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन की चल रही प्रक्रिया के अंतर्गत 22 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं. इस हिसाब से भाजपा के अब तक 21 जिला पंचायत अध्यक्ष बनना लगभग तय हो गया है. जबकि समाजवादी पार्टी का 1 सदस्य इटावा में निर्विरोध निर्वाचित हुआ है.

प्रतिकात्मक चित्र.
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Published : Jun 29, 2021, 11:03 PM IST

Updated : Jun 29, 2021, 11:21 PM IST

लखनऊ: जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन की चल रही प्रक्रिया के अंतर्गत 22 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं. आज नाम वापसी के बाद अब 53 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर मतदान 3 जुलाई को होगा. राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव पारदर्शी तरीके से कराए जाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार आज नामांकन वापसी का समय सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक निर्धारित था जिसके अंतर्गत कई जगहों पर जिला पंचायत अध्यक्ष के उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए. जिससे प्रदेश में 22 जगहों पर निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हो गए हैं.

53 जिलों में होगा मतदान
अब प्रदेश के 53 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर निर्वाचन की प्रक्रिया यानी मतदान 3 जुलाई को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक मतदान की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी. इसके बाद 3:00 बजे से मतगणना शुरू होगी जो चुनाव परिणाम घोषित होने तक जारी रहेगी.

बागपत मामले में आयोग ने रिपोर्ट मांगी
राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने बागपत के जिला निर्वाचन अधिकारी से जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचन में हुई धांधली के आरोप के बाद रिपोर्ट मांगी है. जानकारी के अनुसार बागपत में राष्ट्रीय लोक दल की उम्मीदवार ममता ने आयोग में शिकायत की है कि उनके नाम पर किसी दूसरी महिला से उनका नाम वापस कराया गया है जो की पूरी तरह से गलत है और प्रशासन की मिलीभगत से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित कराने की साजिश की गई है. जबकि अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने नामांकन दाखिल किया था और वह आज नाम वापसी के लिए कलेक्ट्रेट गई भी नहीं थी. उनके नाम से किसी दूसरी महिला को प्रस्तुत करके नाम वापसी कराई गई है. इस शिकायत के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त की तरफ से बागपत के जिला निर्वाचन अधिकारी से पूरी रिपोर्ट और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.

भाजपा ने मारी बाजी

भाजपा ने पंचायत चुनाव में जिस रणजीत पर काम करना शुरू किया था. उसका परिणाम दिखने लगा है. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा ने नाम वापसी के अंतिम दिन यानी मंगलवार को 4 और सीटों पर कब्जा कर लिया. जिससे अब उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष का बनना लगभग तय हो गया है. इससे पहले गत शनिवार को 18 उम्मीदवारों की निर्विरोध जीत हुई थी. उसमें से 17 उम्मीदवार बीजेपी के थे.

उत्तर प्रदेश में पिछले जिला पंचायत के चुनाव में तत्कालीन सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी ने 75 में से 62 जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों पर जीत दर्ज की थी. उसमें से समाजवादी पार्टी ने 36 पर अपने उम्मीदवारों को निर्विरोध जिताया था. पिछले चुनाव परिणामों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने भी करीब 30 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को निर्विरोध जिताने का लक्ष्य रखा था. भाजपा शासन में भी सत्ता की हनक दिख रही है लेकिन सपा के बराबर अभी तक भाजपा नहीं पहुंच पाई है. मंगलवार को नाम वापसी के अंतिम दिन यानी 29 जून को शाहजहांपुर, पीलीभीत, बहराइच और सहारनपुर में में भाजपा के उम्मीदवार निर्विरोध हो गए हैं. इन जिलों में भी विपक्ष के उम्मीदवारों के नाम वापस हो गए हैं. इस हिसाब से भाजपा के अब तक 21 जिला पंचायत अध्यक्ष बनना लगभग तय हो गया है. जबकि समाजवादी पार्टी का 1 सदस्य इटावा में निर्विरोध निर्वाचित हुआ है.

विपक्ष के निशाने पर भाजपा
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिल रही सफलता ने समाजवादी पार्टी के खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सत्ताधारी दल पर करारा हमला बोल चुके हैं. वह भाजपा की इस जीत को लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं. सपा मुखिया ने कहा है कि सत्ता की हनक दिखाकर जिला पंचायत अध्यक्ष तो भाजपा बनवा सकती है लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में ऐसा नहीं होगा. प्रदेश की जनता यह सब देख रही है. विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता इसका जवाब देगी. जिला पंचयता की सीटों के बराबर की संख्या में भाजपा 2022 में सिमट जाएगी.

इन जिलों में पहले ही बीजेपी प्रत्याशी हो चुके हैं निर्विरोध
मुरादाबाद में भाजपा प्रत्याशी डॉ. शैफाली सिंह, बुलंदशहर में डॉ. अंशुल तेवतिया, मेरठ में गौरव चौधरी, गौतम बुद्ध नगर में अमित चौधरी, गाजियाबाद में ममता त्यागी, अमरोहा में ललित पवार, आगरा में मंजू भदोरिया, झांसी में पवन गौतम, ललितपुर में कैलाश नारायण, चित्रकूट में अशोक जाटव, बांदा में सुनील सिंह पटेल, श्रावस्ती में दद्दन मिश्रा, बलरामपुर में आरती तिवारी, गोंडा में घनश्याम मिश्रा, मऊ में मनोज राय और गोरखपुर में भाजपा उम्मीदवार साधना सिंह ने निर्विरोध जीत दर्ज की हैं.

उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी को जिला पंचायत के चुनाव को लेकर बड़ी उम्मीदें थी. जिस तरह से त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ी संख्या में सीटें हासिल हुई थी. उससे समाजवादी पार्टी इस बात से आशान्वित थी कि आने वाले समय में बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे. जिला पंचायत के चुनाव में धांधली को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल कल राज्य निर्वाचन आयोग से भी मिला था और इस बात की शिकायत भी की थी कि सत्तारूढ़ दल के इशारे पर समाजवादी पार्टी के सदस्यों का उत्पीड़न हो रहा है.

2016 में 33 जनपदों में सपा ने कराया था निर्विरोध चुनाव
2021 के जिला पंचायत के चुनाव में भले ही समाजवादी पार्टी हांफती नजर आ रही है और अभी तक उसे मात्र इटावा की 1 सीट पर ही संतोष करना पड़ा है. जबकि 2016 में हुए जिला पंचायत के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 62 सीटों पर कब्जा किया था और 33 सीटें ऐसी थी. जहां पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे. हालांकि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ी संख्या में सीटें मिली थी पर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिला पंचायत का चुनाव सत्ता का चुनाव माना जाता है और यही कारण है कि सत्तारूढ़ दल जिला पंचायत के चुनाव में अपने लोगों को जिताने के लिए हर प्रयत्न करते हैं.

इसे भी पढे़ं- बीजेपी की रणनीति के आगे सपा चारों खाने चित, पीलीभीत में भी भगवा ने गाड़ा झंडा

लखनऊ: जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन की चल रही प्रक्रिया के अंतर्गत 22 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं. आज नाम वापसी के बाद अब 53 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर मतदान 3 जुलाई को होगा. राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव पारदर्शी तरीके से कराए जाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार आज नामांकन वापसी का समय सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक निर्धारित था जिसके अंतर्गत कई जगहों पर जिला पंचायत अध्यक्ष के उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए. जिससे प्रदेश में 22 जगहों पर निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हो गए हैं.

53 जिलों में होगा मतदान
अब प्रदेश के 53 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर निर्वाचन की प्रक्रिया यानी मतदान 3 जुलाई को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक मतदान की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी. इसके बाद 3:00 बजे से मतगणना शुरू होगी जो चुनाव परिणाम घोषित होने तक जारी रहेगी.

बागपत मामले में आयोग ने रिपोर्ट मांगी
राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने बागपत के जिला निर्वाचन अधिकारी से जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचन में हुई धांधली के आरोप के बाद रिपोर्ट मांगी है. जानकारी के अनुसार बागपत में राष्ट्रीय लोक दल की उम्मीदवार ममता ने आयोग में शिकायत की है कि उनके नाम पर किसी दूसरी महिला से उनका नाम वापस कराया गया है जो की पूरी तरह से गलत है और प्रशासन की मिलीभगत से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित कराने की साजिश की गई है. जबकि अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने नामांकन दाखिल किया था और वह आज नाम वापसी के लिए कलेक्ट्रेट गई भी नहीं थी. उनके नाम से किसी दूसरी महिला को प्रस्तुत करके नाम वापसी कराई गई है. इस शिकायत के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त की तरफ से बागपत के जिला निर्वाचन अधिकारी से पूरी रिपोर्ट और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.

भाजपा ने मारी बाजी

भाजपा ने पंचायत चुनाव में जिस रणजीत पर काम करना शुरू किया था. उसका परिणाम दिखने लगा है. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा ने नाम वापसी के अंतिम दिन यानी मंगलवार को 4 और सीटों पर कब्जा कर लिया. जिससे अब उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष का बनना लगभग तय हो गया है. इससे पहले गत शनिवार को 18 उम्मीदवारों की निर्विरोध जीत हुई थी. उसमें से 17 उम्मीदवार बीजेपी के थे.

उत्तर प्रदेश में पिछले जिला पंचायत के चुनाव में तत्कालीन सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी ने 75 में से 62 जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों पर जीत दर्ज की थी. उसमें से समाजवादी पार्टी ने 36 पर अपने उम्मीदवारों को निर्विरोध जिताया था. पिछले चुनाव परिणामों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने भी करीब 30 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को निर्विरोध जिताने का लक्ष्य रखा था. भाजपा शासन में भी सत्ता की हनक दिख रही है लेकिन सपा के बराबर अभी तक भाजपा नहीं पहुंच पाई है. मंगलवार को नाम वापसी के अंतिम दिन यानी 29 जून को शाहजहांपुर, पीलीभीत, बहराइच और सहारनपुर में में भाजपा के उम्मीदवार निर्विरोध हो गए हैं. इन जिलों में भी विपक्ष के उम्मीदवारों के नाम वापस हो गए हैं. इस हिसाब से भाजपा के अब तक 21 जिला पंचायत अध्यक्ष बनना लगभग तय हो गया है. जबकि समाजवादी पार्टी का 1 सदस्य इटावा में निर्विरोध निर्वाचित हुआ है.

विपक्ष के निशाने पर भाजपा
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिल रही सफलता ने समाजवादी पार्टी के खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सत्ताधारी दल पर करारा हमला बोल चुके हैं. वह भाजपा की इस जीत को लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं. सपा मुखिया ने कहा है कि सत्ता की हनक दिखाकर जिला पंचायत अध्यक्ष तो भाजपा बनवा सकती है लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में ऐसा नहीं होगा. प्रदेश की जनता यह सब देख रही है. विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता इसका जवाब देगी. जिला पंचयता की सीटों के बराबर की संख्या में भाजपा 2022 में सिमट जाएगी.

इन जिलों में पहले ही बीजेपी प्रत्याशी हो चुके हैं निर्विरोध
मुरादाबाद में भाजपा प्रत्याशी डॉ. शैफाली सिंह, बुलंदशहर में डॉ. अंशुल तेवतिया, मेरठ में गौरव चौधरी, गौतम बुद्ध नगर में अमित चौधरी, गाजियाबाद में ममता त्यागी, अमरोहा में ललित पवार, आगरा में मंजू भदोरिया, झांसी में पवन गौतम, ललितपुर में कैलाश नारायण, चित्रकूट में अशोक जाटव, बांदा में सुनील सिंह पटेल, श्रावस्ती में दद्दन मिश्रा, बलरामपुर में आरती तिवारी, गोंडा में घनश्याम मिश्रा, मऊ में मनोज राय और गोरखपुर में भाजपा उम्मीदवार साधना सिंह ने निर्विरोध जीत दर्ज की हैं.

उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी को जिला पंचायत के चुनाव को लेकर बड़ी उम्मीदें थी. जिस तरह से त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ी संख्या में सीटें हासिल हुई थी. उससे समाजवादी पार्टी इस बात से आशान्वित थी कि आने वाले समय में बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे. जिला पंचायत के चुनाव में धांधली को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल कल राज्य निर्वाचन आयोग से भी मिला था और इस बात की शिकायत भी की थी कि सत्तारूढ़ दल के इशारे पर समाजवादी पार्टी के सदस्यों का उत्पीड़न हो रहा है.

2016 में 33 जनपदों में सपा ने कराया था निर्विरोध चुनाव
2021 के जिला पंचायत के चुनाव में भले ही समाजवादी पार्टी हांफती नजर आ रही है और अभी तक उसे मात्र इटावा की 1 सीट पर ही संतोष करना पड़ा है. जबकि 2016 में हुए जिला पंचायत के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 62 सीटों पर कब्जा किया था और 33 सीटें ऐसी थी. जहां पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे. हालांकि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ी संख्या में सीटें मिली थी पर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिला पंचायत का चुनाव सत्ता का चुनाव माना जाता है और यही कारण है कि सत्तारूढ़ दल जिला पंचायत के चुनाव में अपने लोगों को जिताने के लिए हर प्रयत्न करते हैं.

इसे भी पढे़ं- बीजेपी की रणनीति के आगे सपा चारों खाने चित, पीलीभीत में भी भगवा ने गाड़ा झंडा

Last Updated : Jun 29, 2021, 11:21 PM IST
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