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यूपी में 21 लाख से ज्यादा वाहन स्क्रैप पॉलिसी से प्रभावित, ये है स्थिति

पुराने वाहनों को सड़क से हटाने के लिए केंद्र सरकार ने स्क्रैप पॉलिसी तैयार की है जो अगले साल से लागू हो जाएगी. केंद्रीय परिवहन विभाग ने 15 मार्च से 15 अप्रैल तक एक माह के लिए इस पॉलिसी के लागू होने से पहले आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं.

पॉलिसी के लागू होने से पहले आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं.
पॉलिसी के लागू होने से पहले आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं.
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Published : Mar 26, 2021, 10:39 PM IST

लखनऊ: पुराने वाहनों को सड़क से हटाने के लिए केंद्र सरकार ने स्क्रैप पालिसी तैयार की है जो अगले साल से लागू हो जाएगी. इस पॉलिसी को लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश में भी परिवहन विभाग ने कदम उठाए हैं. केंद्रीय परिवहन विभाग ने 15 मार्च से 15 अप्रैल तक एक माह के लिए इस पॉलिसी के लागू होने से पहले आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं. सुझाव और आपत्तियां मिलने के बाद नया गजट जारी होगा. इसके बाद सरकार इस पर फैसला लेगी. परिवहन विभाग स्क्रैप पालिसी लागू होने के बाद की तैयारी में लग गया है. हालांकि नोटिफिकेशन जारी होने तक तमाम बिंदुओं को लेकर अभी परिवहन अधिकारी ही पूरी तरह अवगत नहीं हैं.

पॉलिसी के लागू होने से पहले आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं.

आपत्तियां और सुझाव मिलने के बाद होगा निर्णय

परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इसी वित्तीय वर्ष के भीतर स्क्रैप पॉलिसी की गाइडलाइन आ जाएगी. उसके बाद नियम तय होंगे और पुराने वाहनों के भविष्य को लेकर निर्णय लिया जाएगा. अधिकारी बताते हैं कि अभी केंद्र सरकार की तरफ से सिर्फ गजट जारी हुआ है जिसमें तमाम बिंदु दिए गए हैं. आपत्तियां और सुझाव मिलने के बाद ही केंद्र और प्रदेश सरकार स्क्रैप पालिसी पर कोई फैसला ले पाएगी.

यूपी में तकरीबन सवा 21 लाख वाहन

देश के अन्य राज्यों की तरह ही उत्तर प्रदेश के भी लाखों वाहन स्क्रैप पालिसी लागू होने के बाद इस दायरे में आएंगे. उन्हें सड़क से हटना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश में पुराने वाहनों की संख्या तकरीबन 21,23, 813 है. ये सभी स्क्रैप पॉलिसी की जद में होंगे. इन वाहनों में पंजीकृत प्राइवेट वाहनों की संख्या लगभग 19,20,229 है तो कॉमर्शियल वाहनों की संख्या करीब 2,03,584 है.

फाइल फोटो
फाइल फोटो

इसे भी पढ़ें- निजी में तब्दील हो रहे व्यवसायिक वाहन, सरकार को करोड़ों का नुकसान

लखनऊ में हैं करीब साढ़े तीन लाख वाहन

राजधानी लखनऊ की सड़कों पर दौड़ने वाले पुराने वाहनों की बात की जाए तो इनकी संख्या भी लाखों में है. प्राइवेट और कॉमर्शियल वाहनों को मिला लिया जाए तो लखनऊ में तकरीबन यह संख्या साढ़े तीन लाख तक पहुंच रही है. इनमें 14,223 कॉमर्शियल वाहन हैं. वहीं प्राइवेट गाड़ियों की बात करें तो ये संख्या ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में 3,22,854 और देवा रोड स्थित एआरटीओ कार्यालय में 9,213 है. इस तरह कुल 3,46,290 वाहन स्क्रैप पॉलिसी के दायरे में आ रहे हैं.

फाइल फोटो
फाइल फोटो

ट्रांसपोर्ट वाहनों का यूज ज्यादा इसलिए लाइफ कम

स्क्रैप पॉलिसी में एक जनवरी 2000 के बाद पंजीकृत हुए नॉन ट्रांसपोर्ट वाहन दायरे में आएंगे. अधिक संख्या इन्हीं वाहनों की है. कॉमर्शियल वाहनों का प्रयोग ज्यादा होने के कारण एक जनवरी 2005 के बाद पंजीकृत हुए वाहनों को स्क्रैप पॉलिसी में लाया जा रहा है. यानी 20 साल पुराने निजी वाहन और 15 साल पुराने व्यावसायिक वाहन स्क्रैप पॉलिसी की चपेट में आ रहे हैं.

आखिर क्यों लागू हो रही स्क्रैप पॉलिसी

दरअसल, ऑटोमोबाइल सेक्टर को उछाल देने के लिए स्क्रैप पालिसी लाई जा रही है. इस पॉलिसी के लागू होने के बाद ऑटोमोबाइल सेक्टर को काफी फायदा होगा, जिससे देश को भी मजबूती मिलेगी.ऑटोमोबाइल सेक्टर 4.50 लाख करोड़ रुपये से अगले पांच सालों में बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए तक होने की उम्मीद जताई जा रही है. इससे सड़क सुरक्षा में सुधार होगा, वायु प्रदूषण में कमी आएगी. इतना ही नहीं पेट्रोल और डीजल की खपत भी कम हो जाएगी. प्लास्टिक, स्टील और तांबे जैसी रिसाइक्लिंग सामग्री का दोबारा उपयोग किया जा सकेगा इससे वाहनों की लागत में भी कमी आ सकती है.

फाइल फोटो
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दुर्घटना को अंजाम देते हैं अनफिट वाहन

केंद्र सरकार की तरफ से स्क्रैप पॉलिसी लाने का मकसद यह भी है कि पुराने और अनफिट वाहनों से ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं. जब यह वाहन सड़क से हट जाएंगे और नए वाहन सड़कों पर संचालित होंगे तो दुर्घटनाओं में कमी आएगी. लोग असमय ही मौत के मुंह में नहीं समाएंगे. प्रदूषण फैलाने के लिए भी यही पुराने वाहन जिम्मेदार होते हैं. ये फिट वाहनों की तुलना में 10 से 12 गुना ज्यादा प्रदूषण करते हैं. इस पॉलिसी के लागू होने के बाद प्रदूषण के स्तर में भी कमी आएगी.

नहीं होगा किसी तरह का वित्तीय नुकसान

ऑटोमोबाइल सेक्टर के जानकार बताते हैं कि स्क्रैप पालिसी लागू होने के बाद जो पुराने वाहन सड़क से हटेंगे उससे किसी तरह का वित्तीय नुकसान नहीं होगा. न परिवहन विभाग को नुकसान होगा न ही वाहन स्वामी को. नए वाहनों की मरम्मत में काफी कम खर्च होता है जबकि पुराने वाहन में ज्यादा लागत आती है. लिहाजा, वित्तीय नुकसान का सवाल ही नहीं है.

मेंटेन वाहन भी नहीं रहेंगे सड़क पर

परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि कुछ वाहन ऐसे होते हैं जो आयु पूरी करने के बाद भी समय पर सर्विस होने के चलते मेंटेन रहते हैं. वाहन स्वामी यह जानकारी ले रहे हैं कि क्या उन वाहनों को भी सड़क से हटाया जाएगा? अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने व्यवसायिक वाहनों के लिए 15 साल तो निजी वाहनों के लिए 20 साल आयु निर्धारित की है तो इस दायरे में आने वाले सभी वाहन दोबारा रजिस्टर्ड नहीं किए जाएंगे. यानी उन्हें सड़क से हटाना ही होगा. अफसरों का तर्क है कि इन वाहनों से प्रदूषण का स्तर बढ़ता है.

गजट में ड्राफ्ट रूल्स प्रकाशित होने के बाद शुरू होगा यूपी सरकार का काम

अपर परिवहन आयुक्त वीके सोनकिया ने बताया कि "अभी केंद्र सरकार ने ड्राफ्ट रूल का मसौदा तैयार किया है. 15 मार्च को मोर्थ की वेबसाइट पर सुझाव और आपत्तियां मांगे हैं. इनके लिए एक माह तक का समय दिया गया है. इसके बाद ड्राफ्ट रूल को फिर से गजट में शामिल कर प्रकाशित किया जाएगा. उसके बाद ही इस बारे में सब कुछ साफ हो पाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार का काम गजट में ड्राफ्ट रूल्स के प्रकाशन के बाद ही शुरू हो पाएगा. इसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि स्क्रैप पॉलिसी का किस तरह से अनुपालन करना है. ड्राफ्ट रूल्स में ऐसी व्यवस्था की गई है कि स्क्रैप वाहनों की डंपिंग के लिए डंपिंग ग्राउंड बनाया जाएगा. इसके लिए आवेदन मांगे जाएंगे. सर्वे किया जाएगा. आवेदन कर्ता के पास जगह और स्टाफ होना चाहिए, इसके बाद लाइसेंस दिया जाएगा."

लखनऊ: पुराने वाहनों को सड़क से हटाने के लिए केंद्र सरकार ने स्क्रैप पालिसी तैयार की है जो अगले साल से लागू हो जाएगी. इस पॉलिसी को लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश में भी परिवहन विभाग ने कदम उठाए हैं. केंद्रीय परिवहन विभाग ने 15 मार्च से 15 अप्रैल तक एक माह के लिए इस पॉलिसी के लागू होने से पहले आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं. सुझाव और आपत्तियां मिलने के बाद नया गजट जारी होगा. इसके बाद सरकार इस पर फैसला लेगी. परिवहन विभाग स्क्रैप पालिसी लागू होने के बाद की तैयारी में लग गया है. हालांकि नोटिफिकेशन जारी होने तक तमाम बिंदुओं को लेकर अभी परिवहन अधिकारी ही पूरी तरह अवगत नहीं हैं.

पॉलिसी के लागू होने से पहले आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं.

आपत्तियां और सुझाव मिलने के बाद होगा निर्णय

परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इसी वित्तीय वर्ष के भीतर स्क्रैप पॉलिसी की गाइडलाइन आ जाएगी. उसके बाद नियम तय होंगे और पुराने वाहनों के भविष्य को लेकर निर्णय लिया जाएगा. अधिकारी बताते हैं कि अभी केंद्र सरकार की तरफ से सिर्फ गजट जारी हुआ है जिसमें तमाम बिंदु दिए गए हैं. आपत्तियां और सुझाव मिलने के बाद ही केंद्र और प्रदेश सरकार स्क्रैप पालिसी पर कोई फैसला ले पाएगी.

यूपी में तकरीबन सवा 21 लाख वाहन

देश के अन्य राज्यों की तरह ही उत्तर प्रदेश के भी लाखों वाहन स्क्रैप पालिसी लागू होने के बाद इस दायरे में आएंगे. उन्हें सड़क से हटना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश में पुराने वाहनों की संख्या तकरीबन 21,23, 813 है. ये सभी स्क्रैप पॉलिसी की जद में होंगे. इन वाहनों में पंजीकृत प्राइवेट वाहनों की संख्या लगभग 19,20,229 है तो कॉमर्शियल वाहनों की संख्या करीब 2,03,584 है.

फाइल फोटो
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इसे भी पढ़ें- निजी में तब्दील हो रहे व्यवसायिक वाहन, सरकार को करोड़ों का नुकसान

लखनऊ में हैं करीब साढ़े तीन लाख वाहन

राजधानी लखनऊ की सड़कों पर दौड़ने वाले पुराने वाहनों की बात की जाए तो इनकी संख्या भी लाखों में है. प्राइवेट और कॉमर्शियल वाहनों को मिला लिया जाए तो लखनऊ में तकरीबन यह संख्या साढ़े तीन लाख तक पहुंच रही है. इनमें 14,223 कॉमर्शियल वाहन हैं. वहीं प्राइवेट गाड़ियों की बात करें तो ये संख्या ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में 3,22,854 और देवा रोड स्थित एआरटीओ कार्यालय में 9,213 है. इस तरह कुल 3,46,290 वाहन स्क्रैप पॉलिसी के दायरे में आ रहे हैं.

फाइल फोटो
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ट्रांसपोर्ट वाहनों का यूज ज्यादा इसलिए लाइफ कम

स्क्रैप पॉलिसी में एक जनवरी 2000 के बाद पंजीकृत हुए नॉन ट्रांसपोर्ट वाहन दायरे में आएंगे. अधिक संख्या इन्हीं वाहनों की है. कॉमर्शियल वाहनों का प्रयोग ज्यादा होने के कारण एक जनवरी 2005 के बाद पंजीकृत हुए वाहनों को स्क्रैप पॉलिसी में लाया जा रहा है. यानी 20 साल पुराने निजी वाहन और 15 साल पुराने व्यावसायिक वाहन स्क्रैप पॉलिसी की चपेट में आ रहे हैं.

आखिर क्यों लागू हो रही स्क्रैप पॉलिसी

दरअसल, ऑटोमोबाइल सेक्टर को उछाल देने के लिए स्क्रैप पालिसी लाई जा रही है. इस पॉलिसी के लागू होने के बाद ऑटोमोबाइल सेक्टर को काफी फायदा होगा, जिससे देश को भी मजबूती मिलेगी.ऑटोमोबाइल सेक्टर 4.50 लाख करोड़ रुपये से अगले पांच सालों में बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए तक होने की उम्मीद जताई जा रही है. इससे सड़क सुरक्षा में सुधार होगा, वायु प्रदूषण में कमी आएगी. इतना ही नहीं पेट्रोल और डीजल की खपत भी कम हो जाएगी. प्लास्टिक, स्टील और तांबे जैसी रिसाइक्लिंग सामग्री का दोबारा उपयोग किया जा सकेगा इससे वाहनों की लागत में भी कमी आ सकती है.

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दुर्घटना को अंजाम देते हैं अनफिट वाहन

केंद्र सरकार की तरफ से स्क्रैप पॉलिसी लाने का मकसद यह भी है कि पुराने और अनफिट वाहनों से ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं. जब यह वाहन सड़क से हट जाएंगे और नए वाहन सड़कों पर संचालित होंगे तो दुर्घटनाओं में कमी आएगी. लोग असमय ही मौत के मुंह में नहीं समाएंगे. प्रदूषण फैलाने के लिए भी यही पुराने वाहन जिम्मेदार होते हैं. ये फिट वाहनों की तुलना में 10 से 12 गुना ज्यादा प्रदूषण करते हैं. इस पॉलिसी के लागू होने के बाद प्रदूषण के स्तर में भी कमी आएगी.

नहीं होगा किसी तरह का वित्तीय नुकसान

ऑटोमोबाइल सेक्टर के जानकार बताते हैं कि स्क्रैप पालिसी लागू होने के बाद जो पुराने वाहन सड़क से हटेंगे उससे किसी तरह का वित्तीय नुकसान नहीं होगा. न परिवहन विभाग को नुकसान होगा न ही वाहन स्वामी को. नए वाहनों की मरम्मत में काफी कम खर्च होता है जबकि पुराने वाहन में ज्यादा लागत आती है. लिहाजा, वित्तीय नुकसान का सवाल ही नहीं है.

मेंटेन वाहन भी नहीं रहेंगे सड़क पर

परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि कुछ वाहन ऐसे होते हैं जो आयु पूरी करने के बाद भी समय पर सर्विस होने के चलते मेंटेन रहते हैं. वाहन स्वामी यह जानकारी ले रहे हैं कि क्या उन वाहनों को भी सड़क से हटाया जाएगा? अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने व्यवसायिक वाहनों के लिए 15 साल तो निजी वाहनों के लिए 20 साल आयु निर्धारित की है तो इस दायरे में आने वाले सभी वाहन दोबारा रजिस्टर्ड नहीं किए जाएंगे. यानी उन्हें सड़क से हटाना ही होगा. अफसरों का तर्क है कि इन वाहनों से प्रदूषण का स्तर बढ़ता है.

गजट में ड्राफ्ट रूल्स प्रकाशित होने के बाद शुरू होगा यूपी सरकार का काम

अपर परिवहन आयुक्त वीके सोनकिया ने बताया कि "अभी केंद्र सरकार ने ड्राफ्ट रूल का मसौदा तैयार किया है. 15 मार्च को मोर्थ की वेबसाइट पर सुझाव और आपत्तियां मांगे हैं. इनके लिए एक माह तक का समय दिया गया है. इसके बाद ड्राफ्ट रूल को फिर से गजट में शामिल कर प्रकाशित किया जाएगा. उसके बाद ही इस बारे में सब कुछ साफ हो पाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार का काम गजट में ड्राफ्ट रूल्स के प्रकाशन के बाद ही शुरू हो पाएगा. इसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि स्क्रैप पॉलिसी का किस तरह से अनुपालन करना है. ड्राफ्ट रूल्स में ऐसी व्यवस्था की गई है कि स्क्रैप वाहनों की डंपिंग के लिए डंपिंग ग्राउंड बनाया जाएगा. इसके लिए आवेदन मांगे जाएंगे. सर्वे किया जाएगा. आवेदन कर्ता के पास जगह और स्टाफ होना चाहिए, इसके बाद लाइसेंस दिया जाएगा."

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