लखनऊ : यूपी की राजधानी लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में स्थित राज्य संग्रहालय की शोभा बढ़ा रही जैन तीर्थकरों की मूर्तियां स्विटजरलैंड की पार्थ गैलरी में प्रदर्शित की जाएगी. राज्य संग्रहालय के निदेशक डॉ आनंद कुमार सिंह ने बताया कि मूर्ति और कलाकृति 6 महीने तक स्विटजरलैंड की पार्थ गैलरी में रखी जाएगी.
डॉ आनंद कुमार सिंह ने बताया कि पार्थ गैलरी में भेजी जानी वाली जैन तीर्थकरों की मूर्तियां और कलाकृतियां 2000 वर्ष पुरानी हैं. अब पार्थ गैलरी के माध्यम से स्विटजरलैंड सहित दुनियाभर के लोग जैन तीर्थकरों के इतिहास के साथ उनके उपदेश और काल खंडों के बारे में रूबरू होंगे. राज संग्रहालय के अधिकारियों ने बताया कि पार्थ गैलरी के अधिकारियों ने जिन मूर्तियों की मांग की थी, उनमें से कुल 4 कलाकृति भारत सरकार के संस्कृति विभाग को 2 महीने पहले ही भेजी गई हैं. केंद्र सरकार की ओर से प्रक्रिया पूरी होने के बाद मूर्तियां स्विट्जरलैंड भेज दी जाएगी.
उन्होंंने बताया कि पार्थ गैलरी के अफसर पिछले साल लखनऊ आए थे. राज्य संग्रहालय के भ्रमण के बाद उन्होंने पार्थ गैलरी में प्रदर्शित करने के लिए 10 जैन कलाकृतियों की मांग की थी. हालांकि बाद में दो मूर्तियां और दो कलाकृति देने पर सहमति बनीं. डॉ सिंह ने बताया कि इन मे 2000 साल पुरानी 4 सर्वतोभद्रिका, अगातपट्ट, स्थापत्यखंड, जैन तीर्थकर की मूर्ति शामिल हैं. उन्होंने बताया कि स्विटजरलैंड की पार्थ गैलरी में मूर्तियां 6 महीने के लिए प्रदर्शित की जाएंगी, जहां पर देश-विदेश से आने वाले लोग इन मूर्तियों को देखेंगे.
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