लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार अनियमितता के चलते कृषि अनुसंधान परिषद के करीब डेढ़ दर्जन कार्मिकों को बर्खास्त कर दिया है. उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ में वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में विभिन्न पदों पर किए गए चयन में अनियमितताओं के साक्ष्य मिले थे. इसके फलस्वरूप चयन प्रक्रिया को निरस्त करते हुए वर्तमान में कार्यरत 19 कार्मिकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं.
2014-2015 में नियम विरुद्ध हुई थी भर्ती
पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में मनमानी करते हुए नियम विरुद्ध भर्तियां की गई थी. सूबे की सरकार बदली तो जांच हुई. जांच में भर्ती के दौरान अनियमितताएं उजागर हुई हैं. अब उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के तीन वैज्ञानिक और नौ तकनीकी अधिकारियों समेत 19 लोगों को बर्खास्त कर दिया गया है. उनकी बर्खास्तगी की नोटिस विभाग में चस्पा कर दी गई है. इन सभी की वर्ष 2014-2015 में नियम विरुद्ध भर्ती हुई थी. यह सभी भर्तियां तत्कालीन महानिदेशक राजेंद्र कुमार यादव के कार्यकाल में हुई थी.
तत्कालीन महानिदेशक को भी पाया गया था दोषी
योगी सरकार ने साल 2017 में तत्कालीन प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हेमंत राव को इसकी जांच सौंपी. उन्होंने जांच कर 2018 में ही इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी. जांच में तत्कालीन महानिदेशक राजेंद्र कुमार यादव, सचिव इंद्रनाथ मुखर्जी तथा सहायक निदेशक डॉ संजीव कुमार समेत कई अधिकारियों को भी दोषी पाया गया था. अब शासन ने भर्ती होने वाले अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है.
ये कर्मचारी हुए बर्खास्त
बर्खास्त होने वालों में वैज्ञानिक अधिकारी अम्बरीष यादव, बलवीर सिंह, विपिन कुमार, कार्मिक अधिकारी दीप्ति यादव, तकनीकी वैज्ञानिक सहायक अश्विनी कुमार, जेपी मिश्रा, सीमा खान, अश्वनी यादव, ज्ञानमंजरी यादव, संध्या यादव, संगीता यादव, मनोज कुमार, लाइब्रेरियन विनय कुमार सिंह, स्टेनो आशीष यादव, सचिन यादव, नूपुर द्विवेदी, टाइपिस्ट आनंद कुमार यादव, राकेश कुमार और संजीव कुमार अग्निहोत्री के नाम शामिल हैं.