लखनऊ: श्री रामकृष्ण देव का 185वां जन्मोत्सव रामकृष्ण मठ, निराला नगर में 15 मार्च से शुरू हुआ. जन्मोत्सव कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी एवं कोविड प्रोटोकॉल के तहत मनाया जा रहा है. समस्त कार्यक्रम यूट्यूब चैनेल 'रामकृष्ण मठ लखनऊ' के माध्यम से सीधा प्रसारित किया जा रहा है. कार्यक्रम 21 मार्च तक चलेगा.
उत्सव मंगल आरती से शुरू हुआ
श्री रामकृष्ण मंदिर में आयोजित सात दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 5 शंख निनाद व मगंल आरती से हुई. इस पावन अवसर पर मठ में सूर्योदय से सूर्यास्त तक निरंतर जप-यज्ञ होता रहा. ऊषा कीर्तन, चंड़ी पाठ, विशेष पूजा व भक्तिगीत गाया गया. ऊषा कीर्तन के दौरान साधुओं और भक्तों ने रामकृष्ण मंदिर में लगभग एक घंटे तक भगवान की महिमा का गुणगान और जयकारे लगाए. बाद में कानपुर के अशोक मुखर्जी द्वारा मधुर भक्तिगीत प्रस्तुत किया गया. उनके साथ तबले पर शुभम राज ने संगत की.
'श्री श्री रामकृष्ण लीला प्रसंग' का हुआ वाचन
इसके बाद भगवान श्री रामकृष्ण के जीवन पर स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज का प्रवचन और उनकी जीवनी 'श्री श्री रामकृष्ण लीला प्रसंग' का वाचन हुआ, जिसमें 185 साल पहले कामारपुकुर में श्री रामकृष्ण की नश्वरता पर प्रकाश डाला. सुबह हवन किया गया और उसके बाद पुष्पांजलि हुई. लगभग 600 भक्तों और विवेकानंद कॉलेज और स्कूल ऑफ नर्सिंग की छात्राओं द्वारा की गई. भोग आरती के पश्चात भक्तगणों के बीच पके हुये प्रसाद का वितरण हुआ.
भगवान श्री रामकृष्ण के जीवन पर हुआ व्याख्यान
संध्या आरती के उपरांत एक जनसभा का आयोजन किया गया. रामकृष्ण मिशन होम ऑफ सर्विस, वाराणसी के स्वामी दयापूर्णानन्दजी महाराज ने 'त्यागीश्वर श्रीरामकृष्ण' विषय पर प्रवचन देते हुये उनके अद्भुत त्याग पर प्रकाश डाला, जो इतिहास में न तो पहले कभी दर्ज किया गया था. उनके अनुकरणीय जीवन ने हमे सिखाया है कि त्याग भगवान की प्राप्ति के लिए प्रवेश द्वार है.
रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में 'भक्तिमूर्ति श्री रामकृष्ण' पर अपना व्याख्यान देते हुए बताया कि उनका जीवन भगवत्तम और अन्य भक्ति शास्त्रों में वर्णित था. उनका जीवन उनके संदेश का सच्चा चित्रण था. उनके अनुसार मानव जीवन का लक्ष्य ईश्वर से प्रेम करना है.
समापन भक्ति गीत से हुआ
यह कार्यक्रम श्री अशोक मुखर्जी द्वारा प्रस्तुत भक्ति गीतों के साथ समाप्त हुआ, जिसमें सभी उपस्थित भक्तगणों के मध्य पैकेट में प्रसाद का वितरण सामाजिक दूरी एवं कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया गया.