लखनऊ: राजधानी में सहकारी बैंक के खाते से जालसाजों ने 146 करोड़ रुपये उड़ा दिए. मामले की जानकारी लगते ही अधिकारियों ने साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया. जहां साइबर व हजरतगंज पुलिस बैंक के सभी CCTV फुटेज खंगाल रही है. कोआपरेटिव बैंक (यूपीसीबी) के खाते से ट्रांसफर हुए 146 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े के मामले में मंगलवार को बैंक मैनेजर सहित समेत 10क मर्चारियों को निलंबित कर दिया गया है.
बता दें कि हजरतगंज में जिलाधिकारी आवास के पास स्थित सहकारी बैंक में शनिवार को छुट्टी के बाद कुछ कर्मचारी बैंक के अंदर ही मौजूद थे. बैंक के सुरक्षा कर्मियों ने जब रात को उन्हें देखा तो इसका विरोध किया. कहासुनी होने पर सुरक्षाकर्मियों ने इसकी सूचना अधिकारियों को दी तो कर्मचारी वहां से भाग निकले. दूसरे दिन बैंक अधिकारियों ने खातों की जांच की तो पता चला कि 146 करोड़ रुपये गायब हैं.
इसके बाद अधिकारी मामले की शिकायत लिखाने के लिए हजरगंज कोतवाली पहुंचे. जहां उन्हें बताया गया कि मामला साइबर ठगी से जुड़ा है. इसका मुकदमा विभूतिखंड एसटीएफ बिल्डिंग स्थित साइबर थाने में दर्ज होगा. सोमवार को अधिकारियों ने इसकी तहरीर साइबर थाने में दी, जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया. साइबर पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक, पूरे मामले में बैंक कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है. मामले की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट की टीम को लगाया गया है. रुपये कई खातों में ट्रांसफर हुए हैं. हालांकि कुछ खातों की रकम को फ्रीज कर दिया गया है.
बैंक के एमडी वरुण मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि बैंक के 146 करोड रुपये 7 खातों में ट्रांसफर किए गए थे. जिसमें से बैंक के खाते में 74 करोड़ सीज कर दिए गए. बैंक प्रबंधन ने प्रारंभिक जांच में लापरवाही के चलते प्रबंधक मेवालाल, कैशियर विकास पांडेय, सहायक मैनेजर अजय कुमार व गार्ड अजय कुमार को निलंबित कर दिया है. साथ ही पूरे मामले की विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.
बैंक के एमडी ने बताया कि 15 अक्टूबर उप्र कोआपरेटिव बैंक लि लखनऊ के कम्प्यूटर सिस्टम को हैक करने का प्रयास किया गया. लेकिन हैकर्स के प्रयास को बैंक द्वारा असफल करते हुए बैंक एवं ग्राहकों की धनराशि पूर्णतया सुरक्षित कर लिया गया है. उप्र कोआपरेटिव बैंक मुख्यालय में दिनांक इसी दिन हुए अनाधिकृत लेनदेन के प्रकरण की जांच करायी गयी. प्रकरण के संज्ञान में आने के बाद बैंक की तरफ से कार्रवाई की गई है. सम्बन्धित बैंकों के जिन खातों में धनराशि क्रेडिट हुई है, उन बैंकों के अधिकारियों से वार्ता कर धनराशि के ट्रांसफर पर रोक लगवा दी गयी है. इस प्रकार बैंक को किसी प्रकार की आर्थिक क्षति नहीं हुई है. इसके साथ ही घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 16 अक्टूबर को दर्ज करा दी गयी है.
सुरक्षा एजेन्सी (मे स्टैण्डर्ड वे इन्टेलीजेन्स सिक्योरिटी सर्विसेज प्रा. लि.) को ब्लैक लिस्ट कराये जाने की कार्यवाही की जा रही है. बैंक मुख्यालय पर उप्र पूर्व सैनिक कल्याण निगम के सेवानिवृत्त सैनिकों की सेवाएं लेने के लिए प्रक्रिया की जा रही है. घटना के समय प्रवेश द्वार पर तैयार एजेन्सी के सुरक्षागार्ड शैलेन्द्र कुमार को पुलिस द्वारा अपनी कस्टडी में ले लिया गया है.
त्रिवेणी सिंह एसपी (साइबर क्राइम) से जानकारी मिली है कि घटना के मुख्य आरोपी आरएस दुबे सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी को पुलिस द्वारा अपनी कस्टडी में ले लिया गया है. साथ ही गंगा सागर चौहान, प्रोपराइटर- मै. भूमिसागर कान्स्ट्रक्शन एवं सागर सोलर प्रालि को भी पुलिस कस्टडी में लिया गया है. इसके साथ ही आईटीके स्पेशल आडिट के लिये अनुरोध किया गया है जो एक सप्ताह में आडिट कार्य शुरू हो जायेगा. बैंक के एमडी ने बताया कि इसके अलावा आईटी सेल के प्रभारी अतुल कुमार, सीईओ कैडर को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया गया है. इसके साथ ही मुख्यालय में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश को प्रतिबन्धित कर दिया गया है. नौवें तल स्थित गेस्ट हाउस को पूर्णतया प्रतिबन्धित कर दिया गया है. प्रकरण के संज्ञान में आते ही बैंक द्वारा साइबर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गयी है तथा साइबर पुलिस, लखनऊ द्वारा प्रकरण की विवेचना की जा रही है.
-इन लोगों के खिलाफ हुई निलंबन की कार्रवाई
- अशोक कुमार, महाप्रबन्धक (एनएडी)
- केडी पाठक, महाप्रबन्धक (वित्त)
- राजनाथ सिंह, उपमहाप्रबन्धक (एनएडी)
- ध्रुवराज, एसओ
- विवेक सिंह, सहायक महाप्रबन्धक(वित्त)
- मेवालाल, प्रबन्धक (एनएडी)
- अजय कुमार, प्रबन्धक(सामान्य)
- अजय कुमार, सहायक प्रबन्धक(आरटीजीएस सेल)
- विकास पाण्डेय, सहायक/कैशियर
- विजय बहादुर मौर्य, गार्ड
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