प्रयागराज : महंत नरेंद्र गिरी के संदिग्ध सुसाइड का मामले में उनके शिष्य आनंद गिरि और आद्या तिवारी को प्रयागराज के सीजीएम कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. दोनों को सीजेएम हरेंद्र तिवारी की अदालत में पेश किया गया था. कोर्ट में पेश करने के पहले दोनों का जिला अस्पताल में मेडिकल कराया गया. सीजेएम कोर्ट में पेशी पर लाए गए महंत आनंद गिरी पर हमले का प्रयास किया गया. कोर्ट में पेशी के बाद वापस ले जाते समय कुछ लोगों ने उनके साथ धक्का-मुक्की करने का प्रयास किया.
महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मौत की घटना में नामजद आरोपितों शिष्य आनंद गिरि और बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी को पुलिस ने हिरासत में लिया था. उन दोनों को तकरीबन पौने 4 बजे सीजेएम हरेंद्र नाथ की अदालत में पेश किया गया. इस दौरान बाहर अधिवक्ताओं की भारी भीड़ थी. जिसे संभालने के लिए पुलिस फोर्स तैनात रही. दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश अदालत ने दिया है.
कोर्ट ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया है. बीती रात से दोनों से पुलिस लाइन में महंत नरेंद्र गिरि की सुसाइड नोट को लेकर गहनता से पूछताछ चल रही थी. इसके बाद आज पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया. सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने दोनों से पीड़ित होने का आरोप लगाया था.
सरकारी अधिवक्ता नसीम अहमद का कहना है क्योंकि 306 का मामला है और इस मामले में राइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट आनी है और इनके द्वारा कोई प्रार्थना पत्र भी नहीं दी जा सकती है. जब तक रिपोर्ट न आ जाए. इसलिए अभी आनंद गिरी को जेल में ही रहना होगा. अगर विवेचक को रिमांड की जरूरत पड़ेगी तो उसके लिए भी एक को कोर्ट में दरख्वास्त देनी पड़ेगी. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद ही उस पर कोई निर्णय लिया जाएगा.
महंत नरेंद्र गिरि का सबसे खास शिष्य रहा आनंद गिरि आज पुलिस शिकंजे में है. सोमवार की अल्लापुर स्थित श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में महंत नरेंद्र गिरि का शव अतिथि गृह में फंदे से लटकता मिलने के बाद सुसाइड नोट मिलने पर पुलिस एक्शन में आ गई थी. सुसाइड नोट में आत्महत्या के लिए विवश करने के जिम्मेदार लोगों में आनंद गिरि, पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके पुत्र संदीप तिवारी का नाम था. सबसे पहले आनंद गिरि को यूपी पुलिस ने हरिद्वार जाकर पकड़ लिया था. उसे सहारनपुर लाकर रात भर रखने के बाद मंगलवार दोपहर प्रयागराज में पुलिस लाइन लाया गया. जहां पुलिस अधिकारियों ने उससे कई घंटे तक घटना के बारे में लगातार पूछताछ की. दूसरे आरोपित पुजारी आद्या प्रसाद को भी सोमवार रात ही हिरासत में ले लिया गया था. फिर उसके पुत्र संदीप को भी पुलिस ने पकड़ लिया. उन दोनों से भी अलग-अलग पूछताछ की जाती रही.
महंत नरेन्द्र गिरि को दी गई भू-समाधि
महंत नरेन्द्र गिरि को भू समाधि दे दी गई है. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में भू-समाधि देने की इच्छा जताई थी. भू-समाधि से पहले जमीन पर नमक की एक परत बिछाई गई. इसके बाद सुगंधित जल, पुष्प आदि का छिड़काव किया गया. नरेंद्र गिरि को समाधि देने के लिए नींबू के पेड़ के पास एक चौकोर सा गहरा गड्ढा खोदा गया था. गड्ढे की एक दीवार को खोदकर एक छोटा सा कमरा बनाया गया था. यहीं पर नरेंद्र गिरि को बैठी हुई अवस्था में समाधि दी गई. इस प्रक्रिया को पूरी तरह से गुप्त रखा गया था. समाधि के वक्त चारों ओर चादर से पर्दा कर दिया गया, इसके बाद ही मंत्रोच्चार का सिलसिला शुरू हुआ. इस मौके पर हरिद्वार, अयोध्या और वाराणसी सहित तमाम संतों ने आकर इस समाधि में महंत नरेंद्र गिरि को श्रद्धांजलि दी.
इस दौरान श्रद्धांजलि देने पहुंचे भक्तों ने एक बार फिर यही बात दोहराई कि महंत नरेंद्र गिरि सुसाइड नहीं कर सकते हैं. उन्हें उनके सुसाइड करने पर शंका है. लोगों ने एक बार फिर यही मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए. इस घटना के पीछे जो भी दोषी हैं उनका पता लगाकर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए.
महंत नरेंद्र गिरि की वह समाधि से पहले उन्हें त्रिवेणी संगम ले जाया गया. वहां पर विधिवत वैदिक रीति रिवाज के साथ उनका संगम के जल से अभिषेक कराया गया. इसके बाद शव वाहन को संगम से हनुमान मंदिर लाया गया जहां पर आरती और पूजन के बाद बाघम्बरी मठ में ले जाया गया. महंत नरेंद्र गिरि की अंतिम यात्रा के वाहन को फूल माला से सजाया गया. इसके बाद शाही अंदाज में उनके पार्थिव शरीर को संगम ले जाया गया. वाहन के आगे आगे बैंड बाजा के साथ मंद मंद गति से बाघम्बरी गद्दी से दारागंज बोर्ड उसके बाद अलोपीबाग फोर्ट रोड चौराहा त्रिवेणी संगम रोड होते हुए संगम पहुंचा. जहां पर पहले से मौजूद पुजारियों के द्वारा वैदिक मंत्रोचार के साथ उनका अभिषेक किया गया.
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