लखनऊ: राजधानी में कोविड-19 संक्रमित मरीजों को इलाज उपलब्ध कराने में निजी अस्पतालों की ओर से लापरवाही बरती गई. इसको लेकर लखनऊ जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने चार हॉस्पिटल्स अपोलो, मेयो, चरक व चंदन हॉस्पिटल को नोटिस जारी की है. नोटिस जारी करते हुए मरीजों के संदर्भ में जानकारी उपलब्ध कराने और देर से कोविड-19 मरीजों को सरकारी अस्पताल रेफर करने के कारण बताने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि नोटिस जारी कर अस्पतालों से जवाब मांगा गया है, जिसके बाद इनके खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
लखनऊ जिलाधिकारी की ओर से जिन अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है, इन अस्पतालों द्वारा कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत लोगों के इलाज करने में लापरवाही बरती है. जिलाधिकारी ने बताया कि अस्पतालों में गंभीर बीमारियों के इलाज कराने पहुंचे लोगों की कोविड-19 की जांच देरी से कराई गई. वहीं उन्हें देरी से कोविड-19 सरकारी अस्पताल में रेफर किया गया, जिससे समय रहते इलाज न मिलने से मरीजों की मौत हो गई.
जिला प्रशासन के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार कोविड-19 में 24 मरीजों की इन अस्पतालों की लापरवाही के चलते मौत हो गई. कोविड-19 संक्रमित मरीजों की बात करें तो चारों अस्पतालों में 48 कोविड-19 संक्रमित मरीजों की मौत लापरवाही के चलते हुई है, जिनमें से अपोलो अस्पताल की लापरवाही से 17, मेयो हॉस्पिटल की लापरवाही से 10, चरक हॉस्पिटल की लापरवाही से 10, चंद्र हॉस्पिटल की लापरवाही से 11 मरीजों की मौत हुई. अधिकारियों ने बताया कि अस्पतालों ने इन मरीजों को देर से सरकारी अस्पतालों में रेफर किया, जिसके चलते इलाज में देरी हुई और कोविड-19 मरीजों की मौत हो गई.
वहीं अगर नॉन कोविड-19 मरीजों की बात करें तो अपोलो हॉस्पिटल की लापरवाही से 19, मेयो हॉस्पिटल की लापरवाही से 19, चरक हॉस्पिटल की लापरवाही से 19 व चंदन हॉस्पिटल की लापरवाही से 19 मरीजों की समय रहते सही इलाज न मिलने से मौत का मामला सामने आया है.
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि इन निजी अस्पतालों की ओर से रोगियों का कोविड-19 टेस्ट देरी से कराया गया है. टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद समय से मरीजों को सुविधा हेतु तत्काल कोविड-19 सरकारी अस्पताल में रेफर नहीं किया गया, जिसके चलते मरीजों की मौत हो गई. चारों अस्पतालों में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन न करना पाया गया है.
लखनऊ: निजी अस्पतालों की लापरवाही से गई 124 मरीजों की जान
राजधानी लखनऊ में निजी अस्पतालों की लापरवाही से 124 मरीजों की जान चली गई. इनमें 48 कोरोना मरीज और 76 नॉन कोविड मरीज शामिल हैं. वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि नोटिस जारी करने के बाद इन अस्पतालों से जवाब मांगा गया है.
लखनऊ: राजधानी में कोविड-19 संक्रमित मरीजों को इलाज उपलब्ध कराने में निजी अस्पतालों की ओर से लापरवाही बरती गई. इसको लेकर लखनऊ जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने चार हॉस्पिटल्स अपोलो, मेयो, चरक व चंदन हॉस्पिटल को नोटिस जारी की है. नोटिस जारी करते हुए मरीजों के संदर्भ में जानकारी उपलब्ध कराने और देर से कोविड-19 मरीजों को सरकारी अस्पताल रेफर करने के कारण बताने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि नोटिस जारी कर अस्पतालों से जवाब मांगा गया है, जिसके बाद इनके खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
लखनऊ जिलाधिकारी की ओर से जिन अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है, इन अस्पतालों द्वारा कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत लोगों के इलाज करने में लापरवाही बरती है. जिलाधिकारी ने बताया कि अस्पतालों में गंभीर बीमारियों के इलाज कराने पहुंचे लोगों की कोविड-19 की जांच देरी से कराई गई. वहीं उन्हें देरी से कोविड-19 सरकारी अस्पताल में रेफर किया गया, जिससे समय रहते इलाज न मिलने से मरीजों की मौत हो गई.
जिला प्रशासन के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार कोविड-19 में 24 मरीजों की इन अस्पतालों की लापरवाही के चलते मौत हो गई. कोविड-19 संक्रमित मरीजों की बात करें तो चारों अस्पतालों में 48 कोविड-19 संक्रमित मरीजों की मौत लापरवाही के चलते हुई है, जिनमें से अपोलो अस्पताल की लापरवाही से 17, मेयो हॉस्पिटल की लापरवाही से 10, चरक हॉस्पिटल की लापरवाही से 10, चंद्र हॉस्पिटल की लापरवाही से 11 मरीजों की मौत हुई. अधिकारियों ने बताया कि अस्पतालों ने इन मरीजों को देर से सरकारी अस्पतालों में रेफर किया, जिसके चलते इलाज में देरी हुई और कोविड-19 मरीजों की मौत हो गई.
वहीं अगर नॉन कोविड-19 मरीजों की बात करें तो अपोलो हॉस्पिटल की लापरवाही से 19, मेयो हॉस्पिटल की लापरवाही से 19, चरक हॉस्पिटल की लापरवाही से 19 व चंदन हॉस्पिटल की लापरवाही से 19 मरीजों की समय रहते सही इलाज न मिलने से मौत का मामला सामने आया है.
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि इन निजी अस्पतालों की ओर से रोगियों का कोविड-19 टेस्ट देरी से कराया गया है. टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद समय से मरीजों को सुविधा हेतु तत्काल कोविड-19 सरकारी अस्पताल में रेफर नहीं किया गया, जिसके चलते मरीजों की मौत हो गई. चारों अस्पतालों में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन न करना पाया गया है.