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लखनऊ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 1200 करोड़ की जरूरत - सीवरेज और पेयजल की आपूर्ति

राजधानी लखनऊ में अमृत योजना के तहत सीवरेज और पेयजल की आपूर्ति के लिए काम किया जा रहा है. हालांकि अभी यह परियोजना कोरोना वायरस के कारण प्रभावित चल रही है.

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Published : May 6, 2021, 5:28 PM IST

लखनऊ : राजधानी में अमृत योजना के तहत सीवरेज और पेयजल की आपूर्ति के लिए काम किया जा रहा है. इस परियोजना को दिसंबर 2020 में ही पूरा हो जाना था लेकिन जिस तरह देश और प्रदेश में कोरोना का संक्रमण फैला, उससे यह परियोजना प्रभावित हुई है.

कोरोना संक्रमण के चलते रुक गया काम

कस्बों और शहरों में भूमिगत जल निकासी और निर्माण का कार्य अमृत योजना के तहत किया जाना था. कोरोना संक्रमण के चलते काम रुक गया है. जल निगम अधिकारी इसके लिए कभी कर्मचारियों की कमी तो कभी बजट का हवाला देते हैं. वहीं, इस सब के बीच निर्धारित समय में प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका. उधर, राजधानी की जनता को आए दिन पीने के पानी और सीवरेज आदि की समस्या से दो-चार को रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- स्ट्रेचर पर भर्ती हो रहे मरीज, बेड के लिए मची हाहाकार

क्या कहते हैं जल निगम के अभियंता

गोमती प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के महाप्रबंधक आर.के अग्रवाल का कहना है कि लखनऊ में गोमती नदी में 35 नाले गिरते हैं. राजधानी लखनऊ में 785 एमएलडी सीवेज जनरेट होता है. अभी तक इसकी क्षमता 405 एमएलडी की है. बताया कि 1090 चौराहे पर 120 एमएलडी क्षमता का एक और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है. इसके बावजूद एक बहुत बड़ा गैप है. राजधानी लखनऊ में बड़ी मात्रा में सीवेज ट्रीटमेंट बनाए जाने की जरूरत है. इसके लिए स्टीमेट भी बनाया गया है. इस पर लगभग 1200 करोड़ का खर्च आएगा जिसके बाद स्थितियां सही हो पाएंगी.

लखनऊ : राजधानी में अमृत योजना के तहत सीवरेज और पेयजल की आपूर्ति के लिए काम किया जा रहा है. इस परियोजना को दिसंबर 2020 में ही पूरा हो जाना था लेकिन जिस तरह देश और प्रदेश में कोरोना का संक्रमण फैला, उससे यह परियोजना प्रभावित हुई है.

कोरोना संक्रमण के चलते रुक गया काम

कस्बों और शहरों में भूमिगत जल निकासी और निर्माण का कार्य अमृत योजना के तहत किया जाना था. कोरोना संक्रमण के चलते काम रुक गया है. जल निगम अधिकारी इसके लिए कभी कर्मचारियों की कमी तो कभी बजट का हवाला देते हैं. वहीं, इस सब के बीच निर्धारित समय में प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका. उधर, राजधानी की जनता को आए दिन पीने के पानी और सीवरेज आदि की समस्या से दो-चार को रहे हैं.

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क्या कहते हैं जल निगम के अभियंता

गोमती प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के महाप्रबंधक आर.के अग्रवाल का कहना है कि लखनऊ में गोमती नदी में 35 नाले गिरते हैं. राजधानी लखनऊ में 785 एमएलडी सीवेज जनरेट होता है. अभी तक इसकी क्षमता 405 एमएलडी की है. बताया कि 1090 चौराहे पर 120 एमएलडी क्षमता का एक और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है. इसके बावजूद एक बहुत बड़ा गैप है. राजधानी लखनऊ में बड़ी मात्रा में सीवेज ट्रीटमेंट बनाए जाने की जरूरत है. इसके लिए स्टीमेट भी बनाया गया है. इस पर लगभग 1200 करोड़ का खर्च आएगा जिसके बाद स्थितियां सही हो पाएंगी.

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