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मिशन शक्ति के पांच माहः 12 को फांसी, 456 को आजीवन कारावास की सजा - राष्ट्रीय सुरक्षा कानून

योगी सरकार की मिशन शक्ति अभियान के तहत महिला और बाल अपराध की घटनाओं में पुलिस और अभियोजन विभाग अभियुक्तों के खिलाफ मजबूती से पैरवी कर रही है. अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि मिशन शक्ति के तहत 17 अक्टूबर, 2020 से 24 मार्च, 2021 के बीच अभियोजन विभाग की प्रभावी पैरवी के चलते 12 दोषियों को फांसी की सजा दिलाने में कामयाबी मिली है. जबकि 456 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दिलाई गई है.

मिशन शक्ति.
मिशन शक्ति.
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Published : Apr 7, 2021, 4:30 PM IST

Updated : Apr 7, 2021, 4:47 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं के साथ अपराध की घटनाओं को अंजाम देने वालों पर सीएम योगी की सरकार ने शिकंजा कसा है. छेड़खानी करने वालों और अपराधियों पर सख्त एक्शन के लिए सीएम योगी ने ऑपरेशन दुराचारी की शुरुआत की है. इसके तहत महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह के अपराध करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी. साथ ही दुराचारियों को महिला पुलिसकर्मियों से दंडित करवाया जाएगा. ऐसे अपराधियों को महिला पुलिस कर्मी ही सजा देंगी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि जिस तरह एंटी रोमियो स्क्ववायड ने प्रभावी कार्रवाई की है. वैसे ही हर जिले की पुलिस अभियान चलाकर कार्रवाई करे. मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बाद इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई किए जाने को लेकर आला अफसर सक्रिय हो गए.

9881 आरोपियों की जमानत कराई खारिज

एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के अनुसार, पांच माह की अवधि में 414 दोषियों को 10 वर्ष और उससे अधिक का कारावास तथा 1178 दोषियों को 10 वर्ष से कम के कारावास की सजा भी दिलाई गई है. इसके अलावा 503 दोषियों को अर्थदंड दिलाया गया. अभियान के तहत 1,580 दोषियों को जिलाबदर कराया गया है तथा 9,881 आरोपितों की जमानत खारिज कराई गई है.

इसे भी पढ़ें- यूपी में अपराध पर क्या योगी लगा पाए अंकुश, देखें खास रिपोर्ट

तीन को उम्रकैद की सजा दिलाने में मिली कामयाबी

इसी प्रकार दुष्कर्म के बाद हत्या के संगीन मामलों में हापुड़, हाथरस, रायबरेली, बांदा, गाजियाबाद, हरदोई, जौनपुर, सुलतानपुर और बुलंदशहर में 12 दोषियों को फांसी की सजा दिलाई गई है. अलीगढ़ के थाना इगलास में एक बच्ची को अगवा करने का मामला 11 साल से लंबित था. इसमें तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा दिलाने में भी कामयाबी मिली है.

तीन वर्ष में 534 पर लगा रासुका, 156 अवमुक्त हुए

लोक व्यवस्था को भंग करने के गंभीर मामलों में शासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत भी कार्रवाई के कदम बढ़ाए हैं. गृह विभाग के प्रवक्ता के अनुसार बीते तीन वर्षों में रासुका के तहत 534 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें 106 बंदी परामर्शदात्री परिषद की ओर से अवमुक्त किए गए, जबकि 50 बंदियों को उच्च न्यायालय ने रासुका से अवमुक्त किया. प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 2020 में रासुका के सर्वाधिक 222 मामले दर्ज हुए.

इसे भी पढ़ें- यूपी में NSA का गलत इस्तेमाल, बदले की भावना से हुई कार्रवाई : कांग्रेस

लखनऊः उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं के साथ अपराध की घटनाओं को अंजाम देने वालों पर सीएम योगी की सरकार ने शिकंजा कसा है. छेड़खानी करने वालों और अपराधियों पर सख्त एक्शन के लिए सीएम योगी ने ऑपरेशन दुराचारी की शुरुआत की है. इसके तहत महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह के अपराध करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी. साथ ही दुराचारियों को महिला पुलिसकर्मियों से दंडित करवाया जाएगा. ऐसे अपराधियों को महिला पुलिस कर्मी ही सजा देंगी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि जिस तरह एंटी रोमियो स्क्ववायड ने प्रभावी कार्रवाई की है. वैसे ही हर जिले की पुलिस अभियान चलाकर कार्रवाई करे. मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बाद इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई किए जाने को लेकर आला अफसर सक्रिय हो गए.

9881 आरोपियों की जमानत कराई खारिज

एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के अनुसार, पांच माह की अवधि में 414 दोषियों को 10 वर्ष और उससे अधिक का कारावास तथा 1178 दोषियों को 10 वर्ष से कम के कारावास की सजा भी दिलाई गई है. इसके अलावा 503 दोषियों को अर्थदंड दिलाया गया. अभियान के तहत 1,580 दोषियों को जिलाबदर कराया गया है तथा 9,881 आरोपितों की जमानत खारिज कराई गई है.

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तीन को उम्रकैद की सजा दिलाने में मिली कामयाबी

इसी प्रकार दुष्कर्म के बाद हत्या के संगीन मामलों में हापुड़, हाथरस, रायबरेली, बांदा, गाजियाबाद, हरदोई, जौनपुर, सुलतानपुर और बुलंदशहर में 12 दोषियों को फांसी की सजा दिलाई गई है. अलीगढ़ के थाना इगलास में एक बच्ची को अगवा करने का मामला 11 साल से लंबित था. इसमें तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा दिलाने में भी कामयाबी मिली है.

तीन वर्ष में 534 पर लगा रासुका, 156 अवमुक्त हुए

लोक व्यवस्था को भंग करने के गंभीर मामलों में शासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत भी कार्रवाई के कदम बढ़ाए हैं. गृह विभाग के प्रवक्ता के अनुसार बीते तीन वर्षों में रासुका के तहत 534 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें 106 बंदी परामर्शदात्री परिषद की ओर से अवमुक्त किए गए, जबकि 50 बंदियों को उच्च न्यायालय ने रासुका से अवमुक्त किया. प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 2020 में रासुका के सर्वाधिक 222 मामले दर्ज हुए.

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Last Updated : Apr 7, 2021, 4:47 PM IST
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