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Development Authority : उत्तर प्रदेश में पिछले दो साल में 63 हजार गरीब आवासों की जगह बनाए केवल 10 हजार

यूपी में गरीबों के लिए आवास (Development Authority) बनाने में बड़ा खेल सामने आ रहा है. सरकार की नीति के अनुरूप गरीबों के लिए 63 हजार आवास बनने थे लेकिन 10 हजार ही आवास अब तक बनाए गए हैं.

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Published : Feb 4, 2023, 7:06 PM IST

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लखनऊ : निजी बिल्डरों ने जो काॅलोनियां उत्तर प्रदेश में बनाई उनमें सरकार की नीति के अनुरूप गरीबों के लिए आवास बनाने में बड़ा खेल हो गया है. इन बिल्डरों ने 63 हजार आवासों की जगह केवल 10 हजार आवास ही अब तक बनाए हैं. माना जा रहा है कि प्रदेश के अधिकांश विकास प्राधिकरण में अधिकारियों ने बिल्डरों के साथ मिलकर जमकर 'खेल' किया है. बिल्डरों ने अमीरों के लिए महंगे आवास तो खूब बनाए जिसमें उनको फायदा हो रहा था, मगर गरीबों के लिए ईडब्ल्यूएस और एलआईजी आवासों में गड़बड़ी की है. मामले की जांच का आगाज हुआ है.

बिल्डरों के रुचि न लेने से गरीबों के अपने आशियाने के अरमान पर पानी फिर रहा है. आलम यह है कि दो साल से हाईटेक व इंटीग्रेटेड टाउनशिप के साथ अफोर्डेबल हाउसिंग नीति के तहत 24 विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में एक भी मकान उनके लिए नहीं बनाए गए हैं. शासन अब ऐसे बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.



दो वर्षों में एक भी मकान नहीं बनाने वाले प्राधिकरण : ईडब्ल्यूएस लखनऊ, आगरा, मेरठ, अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, बांदा, बुलंदशहर, अयोध्या, फिरोजाबाद, झांसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, रामपुर, उरई, खुर्जा, आजमगढ़ व बागपत विकास प्राधिकरण, कुशीनगर, शक्तिनगर, चित्रकूट, कपिलवस्तु व मिर्जापुर विशेष प्राधिकरण क्षेत्रों में एक भी आवास नहीं बनाए हैं.

एलआईजी गाजियाबाद, लखनऊ, मुरादाबाद, अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, बांदा, बुलंदशहर, अयोध्या, फिरोजाबाद, झांसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, रामपुर, उरई, आजमगढ़ व बागपत विकास प्राधिकरणों व कुशीनगर, शक्तिनगर, चित्रकूट, कपिलवस्तु व मिर्जापुर विशेष प्राधिकरण क्षेत्रों ने एक भी आवास नहीं बनाए हैं.



ईडब्ल्यूएस के 41 हजार मकान बनाने थे, लेकिन सिर्फ 4178 मकान बनाए गए. यह लक्ष्य का सिर्फ 10.19 प्रतिशत है. इसी तरह एलआईजी के 22 हजार मकान बनाने के लक्ष्य की तुलना में सिर्फ 5265 आवास बने, जो लक्ष्य का 23.93 प्रतिशत है. चालू वित्तीय वर्ष में तो दोनों श्रेणी के आवास बनाने की स्थिति पहले से भी खराब है. इस साल अब तक ईडब्ल्यूएस के 54,348 व एलआईजी श्रेणी के 31,854 मकान बनाने का लक्ष्य है.

प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने इस विषय में बताया कि 'हम गरीब आवास निर्माण को लेकर पूरी तरह से सख्त हैं. प्राधिकरण के स्तर पर भी सवा लाख के करीब प्रधानमंत्री आवास बनाए जा रहे हैं, जबकि निजी बिल्डरों पर भी पूरा शिकंजा कसा जा रहा है.'

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने बताया कि 'निजी बिल्डरों को मनमानी नहीं करने दी जाएगी. हम लगातार शिकंजा कस रहे हैं. गरीबों को उनके सारे आवास मिलेंगे.'

यह भी पढ़ें : Pink Meenakari: अब नए कलेवर के साथ बाजार में नजर आएंगी गुलाबी मीनाकारी

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लखनऊ : निजी बिल्डरों ने जो काॅलोनियां उत्तर प्रदेश में बनाई उनमें सरकार की नीति के अनुरूप गरीबों के लिए आवास बनाने में बड़ा खेल हो गया है. इन बिल्डरों ने 63 हजार आवासों की जगह केवल 10 हजार आवास ही अब तक बनाए हैं. माना जा रहा है कि प्रदेश के अधिकांश विकास प्राधिकरण में अधिकारियों ने बिल्डरों के साथ मिलकर जमकर 'खेल' किया है. बिल्डरों ने अमीरों के लिए महंगे आवास तो खूब बनाए जिसमें उनको फायदा हो रहा था, मगर गरीबों के लिए ईडब्ल्यूएस और एलआईजी आवासों में गड़बड़ी की है. मामले की जांच का आगाज हुआ है.

बिल्डरों के रुचि न लेने से गरीबों के अपने आशियाने के अरमान पर पानी फिर रहा है. आलम यह है कि दो साल से हाईटेक व इंटीग्रेटेड टाउनशिप के साथ अफोर्डेबल हाउसिंग नीति के तहत 24 विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में एक भी मकान उनके लिए नहीं बनाए गए हैं. शासन अब ऐसे बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.



दो वर्षों में एक भी मकान नहीं बनाने वाले प्राधिकरण : ईडब्ल्यूएस लखनऊ, आगरा, मेरठ, अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, बांदा, बुलंदशहर, अयोध्या, फिरोजाबाद, झांसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, रामपुर, उरई, खुर्जा, आजमगढ़ व बागपत विकास प्राधिकरण, कुशीनगर, शक्तिनगर, चित्रकूट, कपिलवस्तु व मिर्जापुर विशेष प्राधिकरण क्षेत्रों में एक भी आवास नहीं बनाए हैं.

एलआईजी गाजियाबाद, लखनऊ, मुरादाबाद, अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, बांदा, बुलंदशहर, अयोध्या, फिरोजाबाद, झांसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, रामपुर, उरई, आजमगढ़ व बागपत विकास प्राधिकरणों व कुशीनगर, शक्तिनगर, चित्रकूट, कपिलवस्तु व मिर्जापुर विशेष प्राधिकरण क्षेत्रों ने एक भी आवास नहीं बनाए हैं.



ईडब्ल्यूएस के 41 हजार मकान बनाने थे, लेकिन सिर्फ 4178 मकान बनाए गए. यह लक्ष्य का सिर्फ 10.19 प्रतिशत है. इसी तरह एलआईजी के 22 हजार मकान बनाने के लक्ष्य की तुलना में सिर्फ 5265 आवास बने, जो लक्ष्य का 23.93 प्रतिशत है. चालू वित्तीय वर्ष में तो दोनों श्रेणी के आवास बनाने की स्थिति पहले से भी खराब है. इस साल अब तक ईडब्ल्यूएस के 54,348 व एलआईजी श्रेणी के 31,854 मकान बनाने का लक्ष्य है.

प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने इस विषय में बताया कि 'हम गरीब आवास निर्माण को लेकर पूरी तरह से सख्त हैं. प्राधिकरण के स्तर पर भी सवा लाख के करीब प्रधानमंत्री आवास बनाए जा रहे हैं, जबकि निजी बिल्डरों पर भी पूरा शिकंजा कसा जा रहा है.'

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने बताया कि 'निजी बिल्डरों को मनमानी नहीं करने दी जाएगी. हम लगातार शिकंजा कस रहे हैं. गरीबों को उनके सारे आवास मिलेंगे.'

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