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ललितपुरः पैसा दबाकर बैठी हैं बीमा कंपनियां, अनशन पर किसान

यूपी के ललितपुर जिले में किसान दो मांगों को लेकर शुक्रवार से कृमिक अनशन पर बैठ गए हैं. इनका कहना है कि सरकार द्वारा भुगतान करने के बाद भी बीमा कंपनियां किसानों के नुकसान की भरपाई नहीं कर रही हैं. वहीं गेहूं क्रय केंद्रों पर किसानों को गेहूं का सही मूल्य दिया जाए.

कृमिक अनशन
कृमिक अनशन
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Published : Jun 19, 2020, 5:47 PM IST

ललितपुरः जिला मुख्यालय स्थित उपकृषि निदेशक भवन के बाहर प्रगतिशील किसान मोर्चा के बैनर तले 2 मांगों को लेकर किसान तीन दिवसीय कृमिक अनशन पर बैठ गए हैं. किसानों ने बीमा कंपनियों पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को बदनाम करने के गंभीर आरोप लगाये हैं. किसानों की मांग है कि इसमे जो भी अधिकारी दोषी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. वहीं किसानों ने 3 दिनों में उनकी मांग पूरी न होने पर आमरण अनशन और आरपार की लड़ाई की भी चेतावनी दी है.

बीमा कंपनियां करें भुगतान
किसानों की मांग है कि गेंहू क्रय केंद्रों पर किसानों को गेहूं का सही रेट दिया जाए और अतिवृष्टि में हुए नुकसान की भरपाई बीमा कंपनियों के द्वारा कराई जाए. वहीं बीमा कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए किसानों का कहना है कि सरकार के द्वारा किसानों के हित में पूरे पैसे का भुगतान बीमा कंपनियों को कर दिया गया है, लेकिन बीमा कंपनियों के द्वारा उसका भुगतान अब तक नहीं किया गया. यदि 21 जून तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो यह 3 दिवसीय कृमिक अनशन आमरण अनशन में बदल जायेगा. अब लड़ाई आरपार की होगी और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाये.

आरोपियों के खिलाफ हो कार्रवाई
भारतीय किसान यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष कीरथ बाबा ने कहा कि हम किसान हैं और किसानों के लिये बहुत परेशान हैं. 31 जुलाई को हमारा कंपनियों के द्वारा बैंक से बीमा राशि काट ली जाती है. इनका निश्चित समय है, लेकिन किसान का नुकसान होने के बाद कोई समय नही हैं. 1 साल हो जाये 2 साल हो जाये बीमा मिलता रहेगा. लेकिन अब ब्याज के साथ बीमा कंपनियों को बीमा देना होगा. नहीं तो एफआईआर होगी और जो अधिकारी इसमें दोषी होगा, उसके खिलाफ भी एफआईआर करवायी जायेगी. अब बख्शा नहीं जायेगा. यदि 21 जून तक बीमा का भुगतान नहीं होता है तो 22 तारीख को आमरण अनशन पर बैठेंगे और लड़ाई आरपार की होगी.

बीमा कंपनियां सरकार को कर रहीं बदनाम
वहीं अन्य किसानों का कहना है कि किसान के लिए खरीफ 2019 में अतिवृष्टि में हुई फसल नष्ट का बीमा क्लेम दिलाने के लिये ये आंदोलन किया है. भारत के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किसानों के हित मे समस्त पैसे का भुगतान बीमा कंपनी को कर दिया गया है. बीमा कम्पनी उस पैसे को 3-4 माह से रखकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को बदनाम कर रही है. किसानों में उनकी स्थिति को खराब करने के लिये ये हथकंडा अपना रही है.

ललितपुरः जिला मुख्यालय स्थित उपकृषि निदेशक भवन के बाहर प्रगतिशील किसान मोर्चा के बैनर तले 2 मांगों को लेकर किसान तीन दिवसीय कृमिक अनशन पर बैठ गए हैं. किसानों ने बीमा कंपनियों पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को बदनाम करने के गंभीर आरोप लगाये हैं. किसानों की मांग है कि इसमे जो भी अधिकारी दोषी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. वहीं किसानों ने 3 दिनों में उनकी मांग पूरी न होने पर आमरण अनशन और आरपार की लड़ाई की भी चेतावनी दी है.

बीमा कंपनियां करें भुगतान
किसानों की मांग है कि गेंहू क्रय केंद्रों पर किसानों को गेहूं का सही रेट दिया जाए और अतिवृष्टि में हुए नुकसान की भरपाई बीमा कंपनियों के द्वारा कराई जाए. वहीं बीमा कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए किसानों का कहना है कि सरकार के द्वारा किसानों के हित में पूरे पैसे का भुगतान बीमा कंपनियों को कर दिया गया है, लेकिन बीमा कंपनियों के द्वारा उसका भुगतान अब तक नहीं किया गया. यदि 21 जून तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो यह 3 दिवसीय कृमिक अनशन आमरण अनशन में बदल जायेगा. अब लड़ाई आरपार की होगी और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाये.

आरोपियों के खिलाफ हो कार्रवाई
भारतीय किसान यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष कीरथ बाबा ने कहा कि हम किसान हैं और किसानों के लिये बहुत परेशान हैं. 31 जुलाई को हमारा कंपनियों के द्वारा बैंक से बीमा राशि काट ली जाती है. इनका निश्चित समय है, लेकिन किसान का नुकसान होने के बाद कोई समय नही हैं. 1 साल हो जाये 2 साल हो जाये बीमा मिलता रहेगा. लेकिन अब ब्याज के साथ बीमा कंपनियों को बीमा देना होगा. नहीं तो एफआईआर होगी और जो अधिकारी इसमें दोषी होगा, उसके खिलाफ भी एफआईआर करवायी जायेगी. अब बख्शा नहीं जायेगा. यदि 21 जून तक बीमा का भुगतान नहीं होता है तो 22 तारीख को आमरण अनशन पर बैठेंगे और लड़ाई आरपार की होगी.

बीमा कंपनियां सरकार को कर रहीं बदनाम
वहीं अन्य किसानों का कहना है कि किसान के लिए खरीफ 2019 में अतिवृष्टि में हुई फसल नष्ट का बीमा क्लेम दिलाने के लिये ये आंदोलन किया है. भारत के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किसानों के हित मे समस्त पैसे का भुगतान बीमा कंपनी को कर दिया गया है. बीमा कम्पनी उस पैसे को 3-4 माह से रखकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को बदनाम कर रही है. किसानों में उनकी स्थिति को खराब करने के लिये ये हथकंडा अपना रही है.

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