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पंचायत चुनाव का उत्सव मना रहे आदिवासी

लखीमपुर खीरी के जंगल में रहने वाली थारु आदिवासी पंचायत चुनाव को उत्सव की तरह मना रहे हैं. इस जनजाति के लोग नाच गाकर जश्न मनाते हुए वोटिंग की तैयारी कर रहे हैं.

पंचायत चुनाव का उत्सव मना रहे आदिवासी
पंचायत चुनाव का उत्सव मना रहे आदिवासी
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Published : Apr 18, 2021, 9:16 PM IST

लखीमपुर खीरी : यूपी के सबसे बड़े जिले लखीमपुर खीरी के तराई के जंगलों में बसे थारू जनजाति इलाके में पंचायत चुनाव एक उत्सव की तरह मनाया जा रहा है. यहां थारू जनजाति के लोग नाच गाकर जश्न मनाते हुए वोटिंग की तैयारी कर रहे हैं.

लोकनृत्य और जाड़(देशी पारम्परिक शराब) के साथ मनाते हैं उत्सव


दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में रहने वाली थारु आदिवासी इलाके में अभी भी किसी त्योहार को खुशी के साथ मनाने की परंपरा है. होली हो या दिवाली थारु पूरे उत्साह से त्योहार मनाते हैं. जंगलों के बीच रहने वाली इस थारू जनजाति के लोग बड़े ही सीधे साधे और शौम्य स्वभाव के हैं. महिलाएं पारम्परिक घांघरा चोली पहनकर अपने पारम्परिक गहनों के साथ नृत्य करती हैं. पंचायत चुनाव पहले थारू इलाके में नहीं होते थे. थारू सर्वसम्मति से प्रधान चुन लेते थे. पर वक्त के साथ आए बदलाव में थारुओं में भी बदलाव आया और वहां वोटिंग होने लगी. लेकिन अभी भी कुछ गांवों में सर्वसम्मति से प्रधान चुनने की परंपरा है. इस बार भी 2021 के पंचायत चुनाव में मसानखम्भ गांव मे निर्विरोध प्रधान चुन लिया गया.


तीन महिला प्रत्याशी ठोंक रहीं सामान्य सीट पर ताल


थारू जनजाति इलाके के 3 सामान्य सीटों पर महिला प्रत्याशी निवादा राना,अनीता राना और सहवनिया राना चुनावी मैदान में हैं. थारू जनजाति महिला प्रधान समाज है. महिलाएं घर से लेकर बाहर के काम खूब करती हैं. खेती का काम हो या जंगल से लकड़ी बीनकर लाने का थारू महिलाओं का काम मे कोई आसान नहीं.


महिलाओं की तस्वीर बदलना चाहती है प्रत्याशी


महिला ग्राम प्रधान प्रत्याशी हर क्षेत्र में महिलाओं की तस्वीर बदलना चाहती हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव की महिलाएं और बच्चियां पढ़ नहीं पाती है. यहां दूर-दूर तक स्कूल है. अस्पतालों की काफी कमी है.

लखीमपुर खीरी : यूपी के सबसे बड़े जिले लखीमपुर खीरी के तराई के जंगलों में बसे थारू जनजाति इलाके में पंचायत चुनाव एक उत्सव की तरह मनाया जा रहा है. यहां थारू जनजाति के लोग नाच गाकर जश्न मनाते हुए वोटिंग की तैयारी कर रहे हैं.

लोकनृत्य और जाड़(देशी पारम्परिक शराब) के साथ मनाते हैं उत्सव


दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में रहने वाली थारु आदिवासी इलाके में अभी भी किसी त्योहार को खुशी के साथ मनाने की परंपरा है. होली हो या दिवाली थारु पूरे उत्साह से त्योहार मनाते हैं. जंगलों के बीच रहने वाली इस थारू जनजाति के लोग बड़े ही सीधे साधे और शौम्य स्वभाव के हैं. महिलाएं पारम्परिक घांघरा चोली पहनकर अपने पारम्परिक गहनों के साथ नृत्य करती हैं. पंचायत चुनाव पहले थारू इलाके में नहीं होते थे. थारू सर्वसम्मति से प्रधान चुन लेते थे. पर वक्त के साथ आए बदलाव में थारुओं में भी बदलाव आया और वहां वोटिंग होने लगी. लेकिन अभी भी कुछ गांवों में सर्वसम्मति से प्रधान चुनने की परंपरा है. इस बार भी 2021 के पंचायत चुनाव में मसानखम्भ गांव मे निर्विरोध प्रधान चुन लिया गया.


तीन महिला प्रत्याशी ठोंक रहीं सामान्य सीट पर ताल


थारू जनजाति इलाके के 3 सामान्य सीटों पर महिला प्रत्याशी निवादा राना,अनीता राना और सहवनिया राना चुनावी मैदान में हैं. थारू जनजाति महिला प्रधान समाज है. महिलाएं घर से लेकर बाहर के काम खूब करती हैं. खेती का काम हो या जंगल से लकड़ी बीनकर लाने का थारू महिलाओं का काम मे कोई आसान नहीं.


महिलाओं की तस्वीर बदलना चाहती है प्रत्याशी


महिला ग्राम प्रधान प्रत्याशी हर क्षेत्र में महिलाओं की तस्वीर बदलना चाहती हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव की महिलाएं और बच्चियां पढ़ नहीं पाती है. यहां दूर-दूर तक स्कूल है. अस्पतालों की काफी कमी है.

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