ETV Bharat / state

'शर्मीली' को दुधवा टाइगर रिजर्व में छोड़ा, 18 महीने पहले पहुंच गई थी बरेली

दुधवा टाइगर रिजर्व से निकलकर बरेली पहुंची बाघिन 'शर्मीली' को आकिरकार 18 महीने बाद पकड़ ही लिया गया. शुक्रवार को 33 घण्टे के ऑपरेशन के बाद 'शर्मीली' को पकड़ा गया. जिसके बाद शनिवार रात उसे दुधवा टाइगर रिजर्व की सोनारीपुर रेंज में छोड़ दिया गया.

'शर्मीली' को दुधवा टाइगर रिजर्व में छोड़ा
'शर्मीली' को दुधवा टाइगर रिजर्व में छोड़ा
author img

By

Published : Jun 20, 2021, 2:12 PM IST

लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व की किशनपुर सेंचुरी के जंगलों से निकलकर बरेली रबर फैक्ट्री की झाड़ में रह रही बाघिन 'शर्मीली' को पीलीभीत टाइगर रिजर्व और बरेली वन प्रभाग डब्ल्यूटीआई, डब्लू डब्लू एफ की टीमों ने मिलकर मिलकर पकड़ लिया. पकड़ने के बाद बाघिन को दुधवा टाइगर रिजर्व में सुरक्षित छोड़ दिया गया. दुधवा के डिप्टी डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि बाघिन पूरी तरीके से स्वस्थ्य है. बता दें कि बाघिन 'शर्मीली' 18 महीनों पहले दुधवा के जंगलों से ही निकलकर बरेली की रबर फैक्ट्री में पहुंच गई थी.

33 घंटे तक चला ऑपरेशन तब पकड़ी गई बाघिन
दुधवा के डिप्टी डायरेक्टर संजय पाठक के मुताबिक, 18 महीनों पहले किसी तरह जंगल से निकलकर यह बाघिन किसी तरह बरेली पहुंच गई थी. कई महीनों से वहां पर बरेली वन प्रभाग और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अफसरों की मदद से बाघिन पर नजर रखी जा रही थी. चूंकि बरेली बड़ा शहर है ऐसे में बाघिन को उसके पर्यावास में सुरक्षित लाया जाना एक चुनौती थी. जिसके बाद यूपी वन विभाग ने डब्ल्यूटीआई और डब्लू डब्लू एफ संस्थाओं की मदद और वन विभाग के एक्सपर्ट्स की मदद से बाघिन को 33 घण्टे के ऑपरेशन के दौरान शर्मीली शुक्रवार को पकड़ा गया.

जानकारी देते दुधवा के डिप्टी डायरेक्टर संजय पाठक.

...और 18 महीनों बाद कैद हुई 'शर्मीली'

दरअसल, गुरुवार सुबह वह चूना कोठी के पास खाली टैंक में बैठी देखी गई थी. बाघिन का ठिकाना जिस टैंक में था, उसकी परिधि 10 मीटर और गहराई 25 फुट थी. उस टैंक से बाहर निकलने का सिर्फ एक ही रास्ता था और जैसे ही वह बाहर निकली, मुहाने पर लगाए गए पिंजरे में कैद हो गई. बाघिन 'शर्मीली' की लंबाई 11 फीट और वजन 150 किलो है. 33 घंटे से अधिक चले इस वृहद बचाव अभियान में विशेषज्ञों के अलावा 125 सदस्यों और दो डॉक्टरों को भी लगाया गया था.

इसे भी पढ़ें- दुधवा टाइगर रिजर्व में खुशखबरी, कल्पना और रोहिणी गैंडा ने जन्में शावक

सोनारीपुर रेंज में छोड़ा गया
जिसके बाद शनिवार को बाघिन 'शर्मीली' को दुधवा टाइगर रिजर्व के अफसरों की देखरेख में बरेली से दुधवा लाया गया. जहां उसे दुधवा के सोनारीपुर रेंज में छोड़ दिया गया. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि बाघिन को छोड़ने से पहले उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया था. सोनारीपुर रेंज में रात के अंधेरे में जैसे ही पिंजरा खोला गया बाघिन कूदकर भाग खड़ी हुई. हम बाघिन पर बराबर नजर रखेंगे. बाघिन अब अपने प्राकृतिक पर्यावास में आ गई.

लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व की किशनपुर सेंचुरी के जंगलों से निकलकर बरेली रबर फैक्ट्री की झाड़ में रह रही बाघिन 'शर्मीली' को पीलीभीत टाइगर रिजर्व और बरेली वन प्रभाग डब्ल्यूटीआई, डब्लू डब्लू एफ की टीमों ने मिलकर मिलकर पकड़ लिया. पकड़ने के बाद बाघिन को दुधवा टाइगर रिजर्व में सुरक्षित छोड़ दिया गया. दुधवा के डिप्टी डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि बाघिन पूरी तरीके से स्वस्थ्य है. बता दें कि बाघिन 'शर्मीली' 18 महीनों पहले दुधवा के जंगलों से ही निकलकर बरेली की रबर फैक्ट्री में पहुंच गई थी.

33 घंटे तक चला ऑपरेशन तब पकड़ी गई बाघिन
दुधवा के डिप्टी डायरेक्टर संजय पाठक के मुताबिक, 18 महीनों पहले किसी तरह जंगल से निकलकर यह बाघिन किसी तरह बरेली पहुंच गई थी. कई महीनों से वहां पर बरेली वन प्रभाग और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अफसरों की मदद से बाघिन पर नजर रखी जा रही थी. चूंकि बरेली बड़ा शहर है ऐसे में बाघिन को उसके पर्यावास में सुरक्षित लाया जाना एक चुनौती थी. जिसके बाद यूपी वन विभाग ने डब्ल्यूटीआई और डब्लू डब्लू एफ संस्थाओं की मदद और वन विभाग के एक्सपर्ट्स की मदद से बाघिन को 33 घण्टे के ऑपरेशन के दौरान शर्मीली शुक्रवार को पकड़ा गया.

जानकारी देते दुधवा के डिप्टी डायरेक्टर संजय पाठक.

...और 18 महीनों बाद कैद हुई 'शर्मीली'

दरअसल, गुरुवार सुबह वह चूना कोठी के पास खाली टैंक में बैठी देखी गई थी. बाघिन का ठिकाना जिस टैंक में था, उसकी परिधि 10 मीटर और गहराई 25 फुट थी. उस टैंक से बाहर निकलने का सिर्फ एक ही रास्ता था और जैसे ही वह बाहर निकली, मुहाने पर लगाए गए पिंजरे में कैद हो गई. बाघिन 'शर्मीली' की लंबाई 11 फीट और वजन 150 किलो है. 33 घंटे से अधिक चले इस वृहद बचाव अभियान में विशेषज्ञों के अलावा 125 सदस्यों और दो डॉक्टरों को भी लगाया गया था.

इसे भी पढ़ें- दुधवा टाइगर रिजर्व में खुशखबरी, कल्पना और रोहिणी गैंडा ने जन्में शावक

सोनारीपुर रेंज में छोड़ा गया
जिसके बाद शनिवार को बाघिन 'शर्मीली' को दुधवा टाइगर रिजर्व के अफसरों की देखरेख में बरेली से दुधवा लाया गया. जहां उसे दुधवा के सोनारीपुर रेंज में छोड़ दिया गया. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि बाघिन को छोड़ने से पहले उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया था. सोनारीपुर रेंज में रात के अंधेरे में जैसे ही पिंजरा खोला गया बाघिन कूदकर भाग खड़ी हुई. हम बाघिन पर बराबर नजर रखेंगे. बाघिन अब अपने प्राकृतिक पर्यावास में आ गई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.