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बाढ़ और बेमौसम बरसात के चलते बाघों की गणना पर लगा ब्रेक - lakhimpur kheri news

लखीमपुर खीरी जनपद में दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघों की गिनती के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक का कहना है कि हम जल्द ही नई तारीखों से टाइगर सेंसस की शुरुआत करने वाले हैं. अभी जंगल के रास्ते ठीक नहीं, जिसकी वजह से टाइगर सेंसस टाल दिया गया है.

दुधवा में टाइगर सेंसस कर दिया लेट
दुधवा में टाइगर सेंसस कर दिया लेट
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Published : Nov 8, 2021, 2:18 PM IST

लखीमपुर खीरी: बाढ़ और बेमौसम बारिश के चलते दुधवा टाइगर रिजर्व और पीलीभीत टाइगर रिजर्व में होने वाली बाघों की गणना रुक गई है. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक का कहना है कि जल्द ही नई तारीखों से टाइगर सेंसस की शुरुआत की जाएगी. अभी जंगल के रास्ते ठीक नहीं, जिसकी वजह से टाइगर सेंसस फिलहाल टाल दिया गया है. दुधवा टाइगर रिजर्व समेत यूपी के जंगलों में बाघों की गणना का काम अक्टूबर आखिरी सप्ताह से शुरू होना था, लेकिन अक्टूबर 19 के आसपास हुई बरिश और बाढ़ ने दुधवा पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना पर रोक लगा दी.

अक्टूबर में टाइगर सेंसस के लिए यूपी भर के टाइगर सेंसस में काम करने वाले फील्ड स्टॉफ की ट्रेनिंग का शेड्यूल रखा गया था, लेकिन बाढ़ और रास्ते कट जाने की वजह से दुधवा तक पहुंचना नामुमकिन हो गया. कई दिन तक रास्ता बंद रहा जिसकी वजह से टाइगर सेंसस का काम भी रुक गया. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि नवंबर लास्ट तक हम कोशिश करेंगे कि फील्ड स्टॉफ की ट्रेनिंग हो जाए. तैयारियां चल रही हैं. जंगल के रास्ते और चीजें जैसे ही सामान्य होती हैं हम टाइगर सेंसस का काम शुरू कर देंगे. सबसे पहले मास्टर ट्रेनर को ट्रेनिंग दी जाएगी, जो टाइगर रिजर्व और बाघों के पाए जाने वाले यूपी के अलग-अलग जंगलों में जाकर फील्ड स्टॉफ को बाद में ट्रेनिंग देंगे.

टाइगर सेंसस में सबसे पहले जंगल में शाकाहारी जानवरों (Herbivorous) की गणना और उनके भोजन का अध्ययन किया जाएगा. मसलन अगर जंगल में हिरन या बारहसिंघा या ब्लैक बक हैं तो उनके भोजन की पर्याप्त व्यवस्था जंगल में है या नहीं इसका अध्यययन किया जाएगा.

वहीं इस बार बाघों की गणना के साथ जंगली जानवरों के डीएनए जांच भी होगी. जंगली जानवरों के जंगल में पड़े मल (skets) को भी बड़ी ही सावधानी से इकट्ठा किया जाएगा. बिना हाथ लगाए ही मल को इकट्ठा करके विशेष बैग में रखना होगा. इसको हैदराबाद और डब्लूआईआई की लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजा जाएगा. इससे जंगली जानवरों के खाने-पीने और उनके डीएनए की भी जांच होगी. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर का कहना है कि स्केट्स इकट्ठा करने का काम बड़ी सावधानी से करना है. इससे हमें जंगल में जानवरों की फूड साइकिल पता चलेगी.

दुधवा टाइगर रिजर्व, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की मदद से कैमरा ट्रैप लगाकर टाइगर सेंसस की जाएगी. कैमरा ट्रैप लगाने के लिए जंगल को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है. इसी के अनुसार ट्रांजिट लाइनों पर कैमरा ट्रैप फिक्स किए जाएंगे जिसमें बाघों की तस्वीरें इसके सामने से निकलते ही कैमरे में कैद हो जाएगी. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कोऑर्डिनेटर मुदित गुप्ता कहते हैं कि इस बार टाइगर सेंसस काफी साइंटिफिक तरीके से होनी है. इसके लिए फील्ड स्टाफ का ट्रेंड होना बहुत जरूरी.

लखीमपुर खीरी: बाढ़ और बेमौसम बारिश के चलते दुधवा टाइगर रिजर्व और पीलीभीत टाइगर रिजर्व में होने वाली बाघों की गणना रुक गई है. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक का कहना है कि जल्द ही नई तारीखों से टाइगर सेंसस की शुरुआत की जाएगी. अभी जंगल के रास्ते ठीक नहीं, जिसकी वजह से टाइगर सेंसस फिलहाल टाल दिया गया है. दुधवा टाइगर रिजर्व समेत यूपी के जंगलों में बाघों की गणना का काम अक्टूबर आखिरी सप्ताह से शुरू होना था, लेकिन अक्टूबर 19 के आसपास हुई बरिश और बाढ़ ने दुधवा पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना पर रोक लगा दी.

अक्टूबर में टाइगर सेंसस के लिए यूपी भर के टाइगर सेंसस में काम करने वाले फील्ड स्टॉफ की ट्रेनिंग का शेड्यूल रखा गया था, लेकिन बाढ़ और रास्ते कट जाने की वजह से दुधवा तक पहुंचना नामुमकिन हो गया. कई दिन तक रास्ता बंद रहा जिसकी वजह से टाइगर सेंसस का काम भी रुक गया. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि नवंबर लास्ट तक हम कोशिश करेंगे कि फील्ड स्टॉफ की ट्रेनिंग हो जाए. तैयारियां चल रही हैं. जंगल के रास्ते और चीजें जैसे ही सामान्य होती हैं हम टाइगर सेंसस का काम शुरू कर देंगे. सबसे पहले मास्टर ट्रेनर को ट्रेनिंग दी जाएगी, जो टाइगर रिजर्व और बाघों के पाए जाने वाले यूपी के अलग-अलग जंगलों में जाकर फील्ड स्टॉफ को बाद में ट्रेनिंग देंगे.

टाइगर सेंसस में सबसे पहले जंगल में शाकाहारी जानवरों (Herbivorous) की गणना और उनके भोजन का अध्ययन किया जाएगा. मसलन अगर जंगल में हिरन या बारहसिंघा या ब्लैक बक हैं तो उनके भोजन की पर्याप्त व्यवस्था जंगल में है या नहीं इसका अध्यययन किया जाएगा.

वहीं इस बार बाघों की गणना के साथ जंगली जानवरों के डीएनए जांच भी होगी. जंगली जानवरों के जंगल में पड़े मल (skets) को भी बड़ी ही सावधानी से इकट्ठा किया जाएगा. बिना हाथ लगाए ही मल को इकट्ठा करके विशेष बैग में रखना होगा. इसको हैदराबाद और डब्लूआईआई की लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजा जाएगा. इससे जंगली जानवरों के खाने-पीने और उनके डीएनए की भी जांच होगी. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर का कहना है कि स्केट्स इकट्ठा करने का काम बड़ी सावधानी से करना है. इससे हमें जंगल में जानवरों की फूड साइकिल पता चलेगी.

दुधवा टाइगर रिजर्व, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की मदद से कैमरा ट्रैप लगाकर टाइगर सेंसस की जाएगी. कैमरा ट्रैप लगाने के लिए जंगल को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है. इसी के अनुसार ट्रांजिट लाइनों पर कैमरा ट्रैप फिक्स किए जाएंगे जिसमें बाघों की तस्वीरें इसके सामने से निकलते ही कैमरे में कैद हो जाएगी. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कोऑर्डिनेटर मुदित गुप्ता कहते हैं कि इस बार टाइगर सेंसस काफी साइंटिफिक तरीके से होनी है. इसके लिए फील्ड स्टाफ का ट्रेंड होना बहुत जरूरी.

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