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लखीमपुर खीरीः बकाया गन्ना भुगतान को लेकर किसानों ने काटा हंगामा

यूपी के लखीमपुर खीरी में पिछले सत्र के बकाया गन्ना भुगतान के लिए किसानों ने मिल के बाहर प्रदर्शन किया. किसानों की गन्ना सप्लाई रोकने से गोविंद शुगर मिल का डोंगा बंद हो गया. वहीं मिल अधिकारियों ने गन्ना किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन किसान भुगतान की मांग पर अड़े रहे.

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गन्ना किसानों किया प्रदर्शन.
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Published : Jan 21, 2020, 10:33 AM IST

लखीमपुर खीरीः जिले में पुराने गन्ना भुगतान को लेकर किसानों के सब्र का बांध टूट गया. सोमवार को आक्रोशित किसानों ने तौल बंद करवाकर हंगामा करना शुरू कर दिया. किसानों का कहना है कि जिले में कुछ मिल नया भुगतान कर रहे हैं, जबकि कई मिल अभी पिछले सत्र का ही भुगतान बकाया है. वहीं मुख्य्मंत्री ने 14 दिन के अंदर भुगतान की बात कही थी. मिल पेराई बंद होने पर मिल अधिकारी किसानों को समझाने बुझाने का प्रयास करते नजर आए.

बकाया भुगतान के लिए गन्ना किसानों ने किया प्रदर्शन.

स्थानीय गोविंद शुगर मिल के पिछले पेराई सत्र 2018-2019 के बकाया गन्ना भुगतान को लेकर किसानों का सब्र टूट गया. सोमवार दोपहर करीब दो बजे मिल गेट पर गन्ना लेकर आए किसानों ने मिल को गन्ना देने से मना करते हुए भुगतान मिलने तक प्रदर्शन शुरू कर दिया. गन्ना सप्लाई बंद होने से मिल का डोंगा बंद हो गया. मिल अधिकारी किसानों को समझाने बुझाने का प्रयास करते नजर आए. वहीं किसान समस्या का समाधान न होने तक प्रदर्शन पर अड़े रहे.

इसे भी पढ़ें- लखीमपुर: गन्ने की 0238 प्रजाति में फैली लाइलाज बीमारी 'रेड रॉट'

जिले में पिछले पेराई सत्र 2018-2019 का अभी करीब 50 करोड़ रुपये किसानों के बकाया है. इसको लेकर किसानों ने कई बार प्रदर्शन किया पर मिल प्रबंधन के झूठे आश्वासन के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला. शासनादेशों के 14 दिन में गन्ना भुगतान देने की तो बात दूर, नए सत्र के दो महीनों का करीब 150 करोड़ रुपया बकाया है. इसके अलावा खेती के बढ़ रहे खर्च के नीचे दबे छोटे किसान एक-एक रुपये के लिए परेशान हैं.

लखीमपुर खीरीः जिले में पुराने गन्ना भुगतान को लेकर किसानों के सब्र का बांध टूट गया. सोमवार को आक्रोशित किसानों ने तौल बंद करवाकर हंगामा करना शुरू कर दिया. किसानों का कहना है कि जिले में कुछ मिल नया भुगतान कर रहे हैं, जबकि कई मिल अभी पिछले सत्र का ही भुगतान बकाया है. वहीं मुख्य्मंत्री ने 14 दिन के अंदर भुगतान की बात कही थी. मिल पेराई बंद होने पर मिल अधिकारी किसानों को समझाने बुझाने का प्रयास करते नजर आए.

बकाया भुगतान के लिए गन्ना किसानों ने किया प्रदर्शन.

स्थानीय गोविंद शुगर मिल के पिछले पेराई सत्र 2018-2019 के बकाया गन्ना भुगतान को लेकर किसानों का सब्र टूट गया. सोमवार दोपहर करीब दो बजे मिल गेट पर गन्ना लेकर आए किसानों ने मिल को गन्ना देने से मना करते हुए भुगतान मिलने तक प्रदर्शन शुरू कर दिया. गन्ना सप्लाई बंद होने से मिल का डोंगा बंद हो गया. मिल अधिकारी किसानों को समझाने बुझाने का प्रयास करते नजर आए. वहीं किसान समस्या का समाधान न होने तक प्रदर्शन पर अड़े रहे.

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जिले में पिछले पेराई सत्र 2018-2019 का अभी करीब 50 करोड़ रुपये किसानों के बकाया है. इसको लेकर किसानों ने कई बार प्रदर्शन किया पर मिल प्रबंधन के झूठे आश्वासन के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला. शासनादेशों के 14 दिन में गन्ना भुगतान देने की तो बात दूर, नए सत्र के दो महीनों का करीब 150 करोड़ रुपया बकाया है. इसके अलावा खेती के बढ़ रहे खर्च के नीचे दबे छोटे किसान एक-एक रुपये के लिए परेशान हैं.

Intro:लखीमपुर खीरी में पुराने गन्ना भुगतान को लेकर सब्र का बांध टूट गया और आक्रोशित किसानों ने तौल बंद करवा कर हंगामा करना शुरू कर दिया किसानों का तर्क है जिले में कुछ मिल नया भुगतान कर रहे है जबकि इस मिल का अभी पिछले सत्र का ही भुगतान बकाया है जबकि मुख्य्मंत्री ने 14 दिन के अंदर भुगतान की बात कही थी मिल पेराई बंद होने पर मिल अधिकारी किसानों को समझाने बुझाने का प्रयास करते नजर आए जबकि किसान अस्वाशन नही निदान पर अड़े थे
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लखीमपुर : स्थानीय गोविद शुगर मिल के पिछले पेराई सत्र 2018-2019 के बकाया गन्ना भुगतान को लेकर किसानों का सब्र टूट गया। सोमवार दोपहर करीब दो बजे मिल गेट पर गन्ना लेकर आए किसानों ने मिल को गन्ना देने से मना करते हुए भुगतान मिलने तक प्रदर्शन शुरू कर दिया। गन्ना सप्लाई बंद होने से मिल का डोंगा बंद हो गया। मिल अधिकारी किसानों को समझाने बुझाने का प्रयास करते नजर आए जबकि किसान अस्वाशन नही निदान पर अड़े थे

स्थानीय गोविद शुगर मिल में पिछले पेराई सत्र 2018-2019 का अभी करीब 50 करोड़ रुपया बकाया है। जिसको लेकर किसानों के कई बार प्रदर्शन करने पर मिल प्रबंधन के झूठे आश्वासन के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला। शासनादेशों के 14 दिन में गन्ना भुगतान देने की तो बात दूर नए सत्र के दो महीनों का करीब 150 करोड़ रुपया बकाया हो गया है। इसके अलावा खेती के बढ़ रहे खर्च के नीचे दबे छोटे किसान एक एक रुपये के लिए परेशान हैं
बाईट किसान ब्रजेश
बाईट- किसान सुनीलConclusion:
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