ETV Bharat / state

पुरोहितों के सब्र का बांध टूटा, कहा- मदिरालय खुले तो देवालय भी खोले जाएं - छोटी काशी

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गोला गोकर्णनाथ के पुरोहितों और पंडों के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है. पुरोहितों ने कहा कि भगवान के द्वार बंद हैं, लेकिन मदिरालय खुल गए. अगर ऐसे हालात ज्यादा दिन रहे तो भीख मांगने की नौबत आ जाएगी.

पुरोहित बोले मदिरालय खुल सकते हैं, तो देवालय क्यों नहीं.
पुरोहित बोले मदिरालय खुल सकते हैं, तो देवालय क्यों नहीं.
author img

By

Published : May 19, 2020, 2:42 PM IST

लखीमपुर खीरी: लॉकडाउन-4 की घोषणा के साथ ही गोला गोकर्णनाथ के पुरोहितों और पंडों के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है. बेरोजगारी और काम बंदी के दौर से गुजर रहे पुरोहितों ने कहा कि सरकार जब मदिरालय खोल सकती है, तो देवालय क्यों नहीं खुल सकते.

गोला गोकर्णनाथ में प्राचीन शिव मंदिर है. लॉकडाउन के बाद इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि मंदिर इतने लंबे समय तक बन्द है. मंदिर के पंडे और पुरोहित अब सरकार से मांग करने लगे हैं कि सरकार उनकी भी सुधि ले. महंत प्रदीप गिरी का कहना है कि लॉकडाउन चैत्र मास में हो गया था. गोला में चैती का मशहूर मेला होता है, वो पूरा लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया. इसके बाद सरकार एक के बाद एक लॉकडाउन घोषित करती रही और लोग हर लॉकडाउन का समर्थन करते रहे लेकिन अब सब्र का बांध टूटता जा रहा है. परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं.

प्रदीप गिरी ने कहा कि लॉकडाउन का मतलब होता है कोई न निकले, लेकिन बाजारों में कितनी भीड़ हो रही है. जब बाजार सोशल डिस्टेंसिंग से खुल सकते हैं तो मन्दिर क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि भगवान के द्वार बंद हैं, लेकिन मदिरालय के द्वार खुल गए. वहां कैसे सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन होगी. उन्होंने कहा कि ज्यादा दिन ऐसे हालात रहे, तो भीख मांगने की नौबत आ जाएगी.

ये भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी: डीएम आवास से महज 500 मीटर दूर मिला कोरोना मरीज

लखीमपुर खीरी: लॉकडाउन-4 की घोषणा के साथ ही गोला गोकर्णनाथ के पुरोहितों और पंडों के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है. बेरोजगारी और काम बंदी के दौर से गुजर रहे पुरोहितों ने कहा कि सरकार जब मदिरालय खोल सकती है, तो देवालय क्यों नहीं खुल सकते.

गोला गोकर्णनाथ में प्राचीन शिव मंदिर है. लॉकडाउन के बाद इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि मंदिर इतने लंबे समय तक बन्द है. मंदिर के पंडे और पुरोहित अब सरकार से मांग करने लगे हैं कि सरकार उनकी भी सुधि ले. महंत प्रदीप गिरी का कहना है कि लॉकडाउन चैत्र मास में हो गया था. गोला में चैती का मशहूर मेला होता है, वो पूरा लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया. इसके बाद सरकार एक के बाद एक लॉकडाउन घोषित करती रही और लोग हर लॉकडाउन का समर्थन करते रहे लेकिन अब सब्र का बांध टूटता जा रहा है. परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं.

प्रदीप गिरी ने कहा कि लॉकडाउन का मतलब होता है कोई न निकले, लेकिन बाजारों में कितनी भीड़ हो रही है. जब बाजार सोशल डिस्टेंसिंग से खुल सकते हैं तो मन्दिर क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि भगवान के द्वार बंद हैं, लेकिन मदिरालय के द्वार खुल गए. वहां कैसे सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन होगी. उन्होंने कहा कि ज्यादा दिन ऐसे हालात रहे, तो भीख मांगने की नौबत आ जाएगी.

ये भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी: डीएम आवास से महज 500 मीटर दूर मिला कोरोना मरीज

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.