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लखीमपुर खीरी: बाढ़ पीड़ितों का फूटा गुस्सा, कहा- चुनाव के बाद नहीं दिखते कई नेता

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांवों के ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्रशासन द्वारा की जा रही मदद लोगों के लिए नाकाफी साबित हो रही है, इसीलिए बाढ़ पीड़ितों का गुस्सा प्रशासन पर निकल रहा है.

बाढ़ ने की किसानों की फसल बर्बाद.
बाढ़ ने की किसानों की फसल बर्बाद.
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Published : Aug 23, 2020, 2:54 PM IST

लखीमपुर खीरी: जिले में बाढ़ प्रभावित गांवों की तादात बढ़कर 166 हो गई है. जिले की तटवर्ती क्षेत्र मोहाना, सुहेली, शारदा, घाघरा और चौका नदियों के बाढ़ से प्रभावित हैं. जिले में 40 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं. बाढ़ प्रभावित लोगों का कहना है कि नेता व विधायक केवल चुनाव के समय ही आते हैं, ग्रामीणों के जरूरत पड़ने पर कोई भी नेता अब तक नहीं आया. वहीं डीएम का कहना है कि बाढ़ से घिरे सभी गांवों के एसडीएम को राहत किट और बाढ़ राहत सामग्री बराबर बांटने के निर्देश दिए गए हैं.

रेहरिया खुर्द गांव की भगवता देवी कहती हैं कि बाढ़ का पानी घरों तक घुस आया है. प्रशासन की तरफ से अभी तक न ही तिरपाल मिला है और न ही राशन सामग्री बांटी गई. घर में बच्चे भूखे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है.

बाढ़ ने की किसानों की फसल बर्बाद.

लखीमपुर खीरी जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर नेशनल हाई-वे नम्बर 730 पर बाढ़ का पानी पसरा पड़ा है. ईटीवी भारत की टीम ने रेहरियां खुर्द गांव में बाढ़ पीड़ितों से बातचीत की. बाढ़ में घिरी भगवता का गांव रेहरिया खुर्द चौका और शारदा नदी के पानी से घिरा है. नेशनल हाई-वे ही बस इनका सहारा है. बाकी हाई-वे से लेकर गांव तक सिर्फ नाव ही सहारा है. घरों में भी डेढ़ महीने से घुटने-घुटने तक पानी भरा है.

ग्रामीणों का कहना है कि अब तो हरी-भरी गन्ने की फसल पीली पढ़ने लगी है. कहीं-कहीं केले के खेतों में पानी भरने से पेड़ डुंड हो गए हैं. हरियाली के बीच बाढ़ की वजह से एक उदासी फसलों पर दिखने लगी है. शारदा और चौका नदी के उफान पर होने से सबसे ज्यादा हाल खराब है.

रेहरिया गांव के निवासी श्रीराम कहते हैं कि खमरिया की तरफ बंधा बनाया गया है तो पानी पूरा इधर ही रुका है. जब कभी भी थोड़ा पानी कम होता है तो कभी खम्भारखेड़ा तो कभी शारदा नदी उफान मार देती है. उनका कहना है कि इस गांव में भी बांध बनना जरूरी है.

रेहरिया कलां के रहने वाले अनिल कुमार बताते हैं कि इस बार के बाढ़ में मक्के की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. वहीं डीएम का कहना है कि प्रशासन का प्रयास है कि कोई भी परिवार राशन पाने से अछूता न रहे. 19012 पशुओं का टीकाकरण कराया गया है. 9419 खाद्यान्न किट बांटी जा चुकी है. 15370 मीटर तिरपाल बांटा जा चुका है.

राजस्व विभाग ने पांच मोटर बोट मदद के लिए लगाए हैं. एक पीएसी की फ्लूड स्क्वॉयड भी तैनात है. 166 गांव अब बाढ़ से प्रभावित हैं, जबकि 15 गांवों का सम्पर्क मार्ग कटा हुआ है. जिले की 80 हजार से ज्यादा जनसंख्या बाढ़ से घिरी है. 22615 हेक्टेयर जमीन जमीन प्रभावित है, जिसमें कृषि योग्य भूमि 6594 हेक्टेयर है. इसमें 6445 हेक्टेयर जमीन फसलों से आच्छादित है.

डीएम ने बताया कि सभी कच्चे गिरे मकानों के मालिकों को मदद दी गई है. सरकार की तरफ से आई बाढ़ राहत किट भी हर परिवार को दी गई है. तिरपाल भी जरूरतमंदों को बांटे जा रहे हैं. एसडीएम को निर्देशित किया गया है कि अपने अपने इलाकों में राशन विरतण से लेकर बाढ़ पीड़ितों की मदद सुनिश्चित करें.

लखीमपुर खीरी: जिले में बाढ़ प्रभावित गांवों की तादात बढ़कर 166 हो गई है. जिले की तटवर्ती क्षेत्र मोहाना, सुहेली, शारदा, घाघरा और चौका नदियों के बाढ़ से प्रभावित हैं. जिले में 40 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं. बाढ़ प्रभावित लोगों का कहना है कि नेता व विधायक केवल चुनाव के समय ही आते हैं, ग्रामीणों के जरूरत पड़ने पर कोई भी नेता अब तक नहीं आया. वहीं डीएम का कहना है कि बाढ़ से घिरे सभी गांवों के एसडीएम को राहत किट और बाढ़ राहत सामग्री बराबर बांटने के निर्देश दिए गए हैं.

रेहरिया खुर्द गांव की भगवता देवी कहती हैं कि बाढ़ का पानी घरों तक घुस आया है. प्रशासन की तरफ से अभी तक न ही तिरपाल मिला है और न ही राशन सामग्री बांटी गई. घर में बच्चे भूखे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है.

बाढ़ ने की किसानों की फसल बर्बाद.

लखीमपुर खीरी जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर नेशनल हाई-वे नम्बर 730 पर बाढ़ का पानी पसरा पड़ा है. ईटीवी भारत की टीम ने रेहरियां खुर्द गांव में बाढ़ पीड़ितों से बातचीत की. बाढ़ में घिरी भगवता का गांव रेहरिया खुर्द चौका और शारदा नदी के पानी से घिरा है. नेशनल हाई-वे ही बस इनका सहारा है. बाकी हाई-वे से लेकर गांव तक सिर्फ नाव ही सहारा है. घरों में भी डेढ़ महीने से घुटने-घुटने तक पानी भरा है.

ग्रामीणों का कहना है कि अब तो हरी-भरी गन्ने की फसल पीली पढ़ने लगी है. कहीं-कहीं केले के खेतों में पानी भरने से पेड़ डुंड हो गए हैं. हरियाली के बीच बाढ़ की वजह से एक उदासी फसलों पर दिखने लगी है. शारदा और चौका नदी के उफान पर होने से सबसे ज्यादा हाल खराब है.

रेहरिया गांव के निवासी श्रीराम कहते हैं कि खमरिया की तरफ बंधा बनाया गया है तो पानी पूरा इधर ही रुका है. जब कभी भी थोड़ा पानी कम होता है तो कभी खम्भारखेड़ा तो कभी शारदा नदी उफान मार देती है. उनका कहना है कि इस गांव में भी बांध बनना जरूरी है.

रेहरिया कलां के रहने वाले अनिल कुमार बताते हैं कि इस बार के बाढ़ में मक्के की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. वहीं डीएम का कहना है कि प्रशासन का प्रयास है कि कोई भी परिवार राशन पाने से अछूता न रहे. 19012 पशुओं का टीकाकरण कराया गया है. 9419 खाद्यान्न किट बांटी जा चुकी है. 15370 मीटर तिरपाल बांटा जा चुका है.

राजस्व विभाग ने पांच मोटर बोट मदद के लिए लगाए हैं. एक पीएसी की फ्लूड स्क्वॉयड भी तैनात है. 166 गांव अब बाढ़ से प्रभावित हैं, जबकि 15 गांवों का सम्पर्क मार्ग कटा हुआ है. जिले की 80 हजार से ज्यादा जनसंख्या बाढ़ से घिरी है. 22615 हेक्टेयर जमीन जमीन प्रभावित है, जिसमें कृषि योग्य भूमि 6594 हेक्टेयर है. इसमें 6445 हेक्टेयर जमीन फसलों से आच्छादित है.

डीएम ने बताया कि सभी कच्चे गिरे मकानों के मालिकों को मदद दी गई है. सरकार की तरफ से आई बाढ़ राहत किट भी हर परिवार को दी गई है. तिरपाल भी जरूरतमंदों को बांटे जा रहे हैं. एसडीएम को निर्देशित किया गया है कि अपने अपने इलाकों में राशन विरतण से लेकर बाढ़ पीड़ितों की मदद सुनिश्चित करें.

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