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लखीमपुर खीरी: जब गन्ने के खेत में बाघ से भिड़ गया किसान...

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में खेत में गन्ना काटने गए किसान पर बाघ ने हमला कर दिया. हमले के दौरान किसान ने बहादुरी दिखाई. किसान ने बाघ से लगभग 15 मिनट तक संघर्ष किया और अपने आप को मौत के मुंह से बचाया.

बाघ के हमले में एक किसान की मौत हो गई.
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Published : Jan 1, 2020, 3:10 PM IST

लखीमपुर खीरी: जिले के महेशपुर रेंज के बुंदेली नानकार गांव में बाघ ने किसान पर हमला कर दिया. गन्ने के खेत में किसान बाघ से करीब 15 मिनट तक लड़ता रहा. इस हमले में किसान गंभीर रूप से घायल हो गया, लेकिन अपनी जान बचा ली. घायल किसान का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है. वहीं इसी इलाके में एक अन्य शख्स को बाघ ने अपना निवाला बना लिया.

बाघ से भिड़ने के बाद घायल किसान को अस्पताल में भर्ती कराया गया.


जिले के हैदराबाद थाना क्षेत्र के बुंदेली नानकार गांव के रहने वाले रमेश चंद्र मिश्रा अपने खेत में गन्ना काटने गए हुए थे. पैड़ी गन्ने की कटाई के बाद वह अपने खेत की घास-फूस साफ कर रहे थे. इस दौरान बाघ ने उन पर हमला कर दिया. बाघ के हमला करने के बाद किसान रमेश ने हौसला दिखाया और लगभग 15 मिनट तक संघर्ष किया. इसके बाद शोर मचाने पर आसपास के लोग इकट्ठे हुए, जिसके बाद लोगों ने आग जलाकर बाघ को भगाया. हालांकि गांव के लाल बिहारी को बाघ ने अपना निवाला बना लिया. घायल रमेश को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है.

ये भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व में टहलता दिखा भालू का जोड़ा


जंगल छोड़ गन्ने के खेतों में रह रहे बाघ
लखीमपुर खीरी में दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघों का संरक्षण और संवर्धन होता है, लेकिन बाघ पिछले कई दिनों से जंगल को छोड़कर गन्ने के खेतों में रहने लगे हैं. अक्सर ही बाघों के हमले की खबरें आती रहती हैं. मोहम्मदी इलाके के महेशपुर रेंज में, अयोध्यापुर गांव में पिछले साल एक युवक को बाघ ने अपना निवाला बना लिया था. इस इलाके में बाघों की तादाद काफी बढ़ गई है. इस वजह से इन गांवों में बाघों की दहशत है.

लखीमपुर खीरी: जिले के महेशपुर रेंज के बुंदेली नानकार गांव में बाघ ने किसान पर हमला कर दिया. गन्ने के खेत में किसान बाघ से करीब 15 मिनट तक लड़ता रहा. इस हमले में किसान गंभीर रूप से घायल हो गया, लेकिन अपनी जान बचा ली. घायल किसान का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है. वहीं इसी इलाके में एक अन्य शख्स को बाघ ने अपना निवाला बना लिया.

बाघ से भिड़ने के बाद घायल किसान को अस्पताल में भर्ती कराया गया.


जिले के हैदराबाद थाना क्षेत्र के बुंदेली नानकार गांव के रहने वाले रमेश चंद्र मिश्रा अपने खेत में गन्ना काटने गए हुए थे. पैड़ी गन्ने की कटाई के बाद वह अपने खेत की घास-फूस साफ कर रहे थे. इस दौरान बाघ ने उन पर हमला कर दिया. बाघ के हमला करने के बाद किसान रमेश ने हौसला दिखाया और लगभग 15 मिनट तक संघर्ष किया. इसके बाद शोर मचाने पर आसपास के लोग इकट्ठे हुए, जिसके बाद लोगों ने आग जलाकर बाघ को भगाया. हालांकि गांव के लाल बिहारी को बाघ ने अपना निवाला बना लिया. घायल रमेश को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है.

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जंगल छोड़ गन्ने के खेतों में रह रहे बाघ
लखीमपुर खीरी में दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघों का संरक्षण और संवर्धन होता है, लेकिन बाघ पिछले कई दिनों से जंगल को छोड़कर गन्ने के खेतों में रहने लगे हैं. अक्सर ही बाघों के हमले की खबरें आती रहती हैं. मोहम्मदी इलाके के महेशपुर रेंज में, अयोध्यापुर गांव में पिछले साल एक युवक को बाघ ने अपना निवाला बना लिया था. इस इलाके में बाघों की तादाद काफी बढ़ गई है. इस वजह से इन गांवों में बाघों की दहशत है.

Intro:लखीमपुर- यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में एक किसान बाघ से भिड़ गया। जिंदगी और मौत से जूझते किसान ने हौसलों से लबरेज हो बाघ से करीब 15 मिनट तक मल्ल युद्ध किया। पर जंगल का राजा बाघ आखिर में इंसान पर भारी पड़ा। किसान को बाघ ने गंभीर रूप से घायल कर दिया। वही इसी इलाके में एक अन्य शख्स को बाघ ने जंगल में अपना निवाला बना लिया। हादसा लखीमपुर खीरी जिले के महेशपुर रेंज के बुघेली नानकार गाँव में हुआ। बाघ से दिलेरी से लड़े सख्स की जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। वह विभाग ने मुआवजा देने की बात कही है।


Body:खीरी जिले के हैदराबाद थाना क्षेत्र के बुदेली नानकार गांव के रहने वाले रमेश चंद्र मिश्रा अपने खेत में गन्ना काटने के लिए गए हुए थे पैड़ी गन्ने की कटाई के बाद वह अपने खेत की घास फूस साफ कर रहे थे पर गन्ने में बैठा टाइगर उनको बात कर रहा था। रमेश चंद्र मिश्रा इस बात से बेखबर कि इस गन्ने में भाग है अपने खेत पर काम करने लगे जैसे ही बोल चुके बाघ ने पीछे से उनको दबोच लिया। पहले पहल तो रमेश चंद्र मिश्रा को लगा कि किसी नीलगाय ने उनपर झपट्टा मार दिया है लेकिन जब उन्होंने देखा तो सामने बाघ था। बाघ को हमला कर देखते ही रमेश का हौसला एक बार टूटने लगा पर हिम्मत करते हुए उन्होंने बाग से मोर्चाबंदी शुरू कर दी। बाद में टांग से पकड़ कर उनको गन्ने के खेत की तरफ खींचना शुरू कर दिया रमेश शोर मचाते रहे लेकिन बाग उनको छोड़ने को राजी नहीं था। एक बार कि उनका पैर बात की पकड़ से छूटा तो वह भागने को हुए और बाघ ने उनको फिर दबोच लिया। रमेश चंद्र मिश्रा कहते हैं कि लग रहा था कि अब जिंदगी खत्म हो गई बाग मेरे ऊपर बैठा था पर हमने भी कहा कि अब जिंदगी खत्म हो रही है तो क्यों ना एक बार हिम्मत की जाए वह हिम्मत नहीं हारे और हौसला जुटाकर बाग से भिड़ गए। हाथ में घास काटने वाली दराती(एक प्रकार का हँसिया) थी। वह दराती को तेजी से घुमाने लगे। बाघ रमेश को देखकर एक बार थोड़ा सा पीछे हुआ। पर उसने फिर उन पर हमला कर दिया। रमेश की जैकेट और अंदर पहने हुए कपड़े बाघ ने पँजे से झपट्टा मार नोच डाले।
बाघ और किसान रमेश के बीच करीब 15 मिनट तक मल्लयुद्ध होता रहा। ज्यादातर समय बाघ ही रमेश को दबोचे रहा पर एक दो बार रमेश ने भी बाघ से मुचेटा लिया और उसे अपनी हिम्मत से दूर भगाया।


Conclusion:रमेश बराबर शोर मचाते रहे रमेश का शोर सुनकर आसपास के खेतों में गन्ना काट रहे किसान बगौड़ी,दराती और लाठी लेकर खेत के पास पहुंचे। पर भीड़ ने भी बाघ को देखा तो उनकी हिम्मत रमेश के पास जाने की नहीं हुई। ज्यादा गांव वाले इकट्ठे होकर जब आगे बढ़े उन्होंने आग जलाई। तब टाइगर वहां से गन्ने के खेत में गुम हो गया। लोग रमेश को उठाकर वहां से लाए और गोला अस्पताल भेजा। इसके बाद रमेश मिश्रा को जिला अस्पताल इलाज के लिए भेजा गया। रमेश की हालत फिलहाल अभी ठीक है पर हाथ में कई फ्रेक्चर हो गए। गाल भी बाघ ने काट दिया। रमेश तो अपनी हिम्मत और हौंसलों की बदौलत किसी तरह बच गए। पर उन्हीं के गांव के लाल बिहारी को टाइगर बुरी तरीके से खा गया।
जंगल छोड़ गन्ने के खेतों में रह रहे बाघ
लखीमपुर खीरी में दुधवा टाइगर रिजर्व यूट्यूब बाघों का संरक्षण और संवर्धन होता है पर बाघ पिछले कई दिनों से जंगल को छोड़कर गन्ने के खेतों में रहने लगे अक्सर ही बाघों के हमले की खबरें आती रहती हैं मोहम्मदी इलाके के महेशपुर रेंज में अयोध्या पुर गांव में पिछले साल एक युवक को बाघ ने अपना निवाला बना लिया था। इस इलाके में बाघों की तादाद काफी बढ़ गई है। इस वजह से एक जंगल से निकलकर बाघ अक्सर गन्ने के खेतों में रहते हैं। और जब गन्ने की छिलाई होती है तो मानव और वन्यजीव संघर्ष बढ़ जाता है। और यही वजह है कि इन गाँवों में आजकल बाघ का खौफ लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है।
बाइट-रमेश चन्द्र मिश्रा(बाघ से कुश्ती लड़ने वाले किसान)
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प्रशान्त पाण्डेय
9984152598
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