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लखीमपुर: बाघों की दहाड़ से आबाद हुए यूपी के जंगल - यूपी के जंगल

यूपी के लिए ही नहीं देशभर के लिए खुशखबरी की बात है. दुधवा टाइगर रिजर्व और पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ा है. तराई के जंगलों में बाघों की संख्या बढ़ के 646 हो गई है.

बाघों की जानकारी देते वाइल्ड लाइफर
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Published : Jul 30, 2019, 9:58 AM IST

लखीमपुर: यूपी के जंगल, बाघ की आज भी बढ़िया रिहायश बने हुए हैं. इसमें और सुधार हुआ है. नए बाघ काउंट में यूपी में बाघों की तादात 173 तक पहुंच गई है, जबकि 2006 में यूपी में 109 बाघ सेंसस में रिपोर्ट किए गए थे. तराई रीजन में उत्तराखंड में बाघ सबसे ज्यादा मिले हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से लेकर तराई के जंगलों में 442 बाघ यहां इस्टीमेट किए गए हैं. बिहार के जंगलों में भी 31 बाघ मिले हैं, जबकि 2006 में ये 10 ही थे.

जंगलों में बढ़ी बाघों की संख्या


यूपी में बढ़ी बाघों की संख्या-

  • पीएम नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल टाइगर डे पर देश में बाघों का हालिया अकाउंट सार्वजनिक किया है.
  • देश में 2900 से ज्यादा बाघ हो गए हैं, जिससे तराई के लिए भी खुशखबरी है.
  • दुधवा टाइगर रिजर्व के अलावा शाहजहांपुर, बहराइच और बलरामपुर जिलों में वाइट टाइगर की मौजूदगी मिली है.
  • तराई के जंगल बाघों की पहली पसंद बने हुए हैं.
  • सबसे अच्छी बात यह है कि बाघों की नई संतति भी आ रही है.
  • तराई के जंगलों बाघों और वाइल्डलाइफ के जानकार कहते हैं, ये खुशखबरी से ज्यादा चुनौती है.
  • बाघ बढ़ेंगे तो मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ेगा.
  • शिकार की सम्भावनाएं भी बढ़ेंगी और हमें सुरक्षा बढ़ानी होगी.
  • पूर्व डायरेक्टर कहते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती एक बड़ी वजह है, बाघों को सुरक्षित माहौल देने की.

लखीमपुर: यूपी के जंगल, बाघ की आज भी बढ़िया रिहायश बने हुए हैं. इसमें और सुधार हुआ है. नए बाघ काउंट में यूपी में बाघों की तादात 173 तक पहुंच गई है, जबकि 2006 में यूपी में 109 बाघ सेंसस में रिपोर्ट किए गए थे. तराई रीजन में उत्तराखंड में बाघ सबसे ज्यादा मिले हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से लेकर तराई के जंगलों में 442 बाघ यहां इस्टीमेट किए गए हैं. बिहार के जंगलों में भी 31 बाघ मिले हैं, जबकि 2006 में ये 10 ही थे.

जंगलों में बढ़ी बाघों की संख्या


यूपी में बढ़ी बाघों की संख्या-

  • पीएम नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल टाइगर डे पर देश में बाघों का हालिया अकाउंट सार्वजनिक किया है.
  • देश में 2900 से ज्यादा बाघ हो गए हैं, जिससे तराई के लिए भी खुशखबरी है.
  • दुधवा टाइगर रिजर्व के अलावा शाहजहांपुर, बहराइच और बलरामपुर जिलों में वाइट टाइगर की मौजूदगी मिली है.
  • तराई के जंगल बाघों की पहली पसंद बने हुए हैं.
  • सबसे अच्छी बात यह है कि बाघों की नई संतति भी आ रही है.
  • तराई के जंगलों बाघों और वाइल्डलाइफ के जानकार कहते हैं, ये खुशखबरी से ज्यादा चुनौती है.
  • बाघ बढ़ेंगे तो मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ेगा.
  • शिकार की सम्भावनाएं भी बढ़ेंगी और हमें सुरक्षा बढ़ानी होगी.
  • पूर्व डायरेक्टर कहते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती एक बड़ी वजह है, बाघों को सुरक्षित माहौल देने की.
Intro:लखीमपुर- यूपी के जंगल बाघों की दहाड़ से और आबाद हो गए। यूपी के लिए ही नहीं देशभर के लिए खुशखबरी की बात है। वहीं तराई के जंगल बाघों की पहली पसंद बने हुए हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व और पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ा है। वहीं तराई के जँगलो में बाघ की दहाड़ कायम है। तराई के जंगलों में बाघों की तादात 646 हो गई है।
यूपी के जँगल बाघ की आज भी बढ़िया रिहायश बने हुए हैं।।इनमें सुधार हुआ है। तभी तो नए बाघ काउंट में यूपी में बाघों की तादात 173 तक पहुँच गई है। जबकि 2006 में यूपी में 109 बाघ सेंसस में रिपोर्ट किए गए थे। तराई रीजन में उत्तराखंड में बाघ सबसे ज्यादा मिले हैं। कार्बेट टाइगर रिजर्व से लेकर तराई के जंगलों में 442 बाघ यहाँ इस्टीमेट किए गए हैं। बिहार के जँगलो में भी 31 बाघ मिले हैं जबकि 2006 में ये 10 ही थे।


Body:पीएम नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल टाइगर डे पर देश में बाघों का हालिया अकाउंट सार्वजनिक किया है। देश मे 2900 से ज्यादा बाघ हो गए। तो तराई के लिए भी खुशखबरी आई है। तराई के जंगल बाघों की पहली पसंद बने हुए हैं। तराई के जंगलों बाघों और वाइल्डलाइफ के जानकार डॉ वीपी सिंह कहते हैं। ये खुशखबरी खुशखबरी से ज्यादा चुनौती है। बाघ बढ़ेंगे तो मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ेगा। शिकार की सम्भावनाए भी। हमें और सुरक्षा बढ़ानी होगी। एजेंसियों को सतर्क रहना होगा।


Conclusion:यूपी के दुधवा टाइगर रिजर्व पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अलावा शाहजहांपुर बहराइच और बलरामपुर जैसे जिलों में वाइट टाइगर की मौजूदगी मिली है। सबसे शुभ संकेत ये है कि बाघों की नई संतति भी आ रही। बाघों का कुनबा तराई में फलफूल रहा।
पिछले दिनों दुधवा में डायरेक्टर रहे रमेश पाण्डेय ने बाघों और जँगलो की सुरक्षा को लेकर नए प्रयोग किए। एम स्ट्राइप एप्प से गश्त शुरू की। जंगलों में हैबिटेट प्रबंधन भी बेहतर किया। टेक्नालॉजी के प्रयोग से बाघों को सुरक्षा मिली बेहतर पर्यावास भी। यही वजह है बाघों की तादात तराई के जँगलो में खूब बढ़ी।
दुधवा के पूर्व डायरेक्टर रमेश पाण्डेय कहते हैं,जँगलों के प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती एक बड़ी वजह है बाघों को सुरक्षित माहौल देने की।
बाइट-वीपी सिंह(वाइल्ड लाइफ़र)टोपी वाले
बाइट-रमेश पाण्डेय(पूर्व फील्ड डायरेक्टर दुधवा)
पीटीसी-
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प्रशान्त पाण्डेय
9984152598
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