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यह कोई कॉर्पोरेट ऑफिस नहीं बल्कि लखीमपुर तहसील का है नजारा, वीडियो देख नहीं होगा यकीन

एसडीएम अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि ये सिर्फ तहसील और सरकारी दफ्तरों की नकारात्मक बन रही छवि को बदलने के लिए किया जा रहा है. ड्रेस से लोगों को लेखपाल, कानूनगो और कर्मचारियों को पहचानने में मदद मिलेगी. आने वाले फरियादी को लेखपाल कानूनगो को ढूंढने में परेशान नहीं होना पड़ेगा.

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Published : Mar 6, 2019, 6:43 AM IST

लखीमपुर सदर तहसील

लखीमपुर : सरकारी दफ्तर हो या सरकारी काम, सब कुछ सरकारी समझकर ही सरकारी अफसर और कर्मचारी काम करते हैं पर कुछ अफसर ऐसे भी हैं, जो लीक से हटकर 'समथिंग डिफरेंट' करने में विश्वास रखते हैं. ऐसे ही एक एसडीएम हैं अरुण कुमार सिंह, जो अपने स्टाफ के साथ मिलकर तहसील को कॉर्पोरेट कल्चर देने में लगे हैं.

देखिए सरकारी दफ्तर में कॉर्पोरेट कल्चर

गुलाबी ड्रेस में वेल ड्रेस्ड, ये लड़कियां किसी कॉर्पोरेट दफ्तर में नहीं बैठीं. ये लखीमपुर सदर तहसील की लेखपाल हैं. तहसील आने वाले हर फरियादी को अब ये अटेंड करती हैं. अदब से पूछती हैं हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं? यही नहीं, तहसील के कानूनगो कक्ष हाईटेक हैं. यहां कानूनगो पिंक शर्ट-ब्लू पैंट, लेखपाल ब्लू शर्ट-डार्क ब्लू पैंट पहनकर फरियादियों को सुन रहे हैं.

तहसील का महिला दफ्तर हो या प्यून, सब के लिए यहां ड्रेस कोड बन गया है. सदर तहसील के एसडीएम अरुण कुमार सिंह का ये कांसेप्ट है. एसडीएम अरुण कुमार सिंह ने दो महीनों में तहसील की तस्वीर बदल दी है.तहसील में सबके लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया है. तहसील के सभागार से लेकर लेखपालों-कानूनगो को बैठने को अलग-अलग सीट एलाट कर दी है. यही नहीं, हर कक्ष के बाहर गांव वाइज और सीट नंबर के साइन बोर्ड भी लगवा दिए हैं. तहसील में हर फरियादी को उसकी शिकायत पर एक टोकन मिलेगा. उसको संबंधित पटल पर भेजने की जिम्मेदारी भी हेल्प डेस्क निभाएगा. मसलन किसी को पट्टे का काम कराना है तो पट्टे का काम किस कमरे में होता है, इसके बारे में भी बाहर एक साइन बोर्ड लगा होगा.

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एसडीएम अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि ये सिर्फ तहसील और सरकारी दफ्तरों की नकारात्मक बन रही छवि को बदलने के लिए किया जा रहा है. ड्रेस से लोगों को लेखपाल, कानूनगो और कर्मचारियों को पहचानने में मदद मिलेगी. आने वाले फरियादी को लेखपाल कानूनगो को ढूंढने में परेशान नहीं होना पड़ेगा. सब की निर्धारित सीट होगी. कॉर्पोरेट कल्चर में के लिए अच्छे परिवेश की जरूरत होती है और हमने भौतिक बदलाव तो कर लिया है, अब सरकारी माइंड सेट भी बदलना है. इसके लिए कॉर्पोरेट कल्चर की तरह काम किया जा रहा है. कॉर्पोरेट ग्राहकों की संतुष्टि पर काम करते हैं. हमें जनता की संतुष्टि पर काम करना है.

एसडीएम अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि भौतिक परिवेश के साथ आंतरिक परिवेश पर भी काम किया जा रहा है. लेखपालों, कानूनगो और स्टाफ की काउंसलिंग कराई जा रही है. दिल्ली से क्वालिटी मैनेजमेंट की एक टीम तहसील स्टाफ को उनके जनता के साथ बर्ताव करने और वर्क कल्चर बेहतर करने की ट्रेनिंग दे रही है, जिससे जनता को संतुष्ट किया जा सके.सदर तहसील को आईएसओ स्टैंडर्ड दिलाने के लिए और जनता को सहूलियत देने के लिए एसडीएम अरुण कुमार सिंह की तहसील को संवारने और सुधारने की इस पहल में शहर के लोगों ने भी साथ दिया है.

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लखीमपुर : सरकारी दफ्तर हो या सरकारी काम, सब कुछ सरकारी समझकर ही सरकारी अफसर और कर्मचारी काम करते हैं पर कुछ अफसर ऐसे भी हैं, जो लीक से हटकर 'समथिंग डिफरेंट' करने में विश्वास रखते हैं. ऐसे ही एक एसडीएम हैं अरुण कुमार सिंह, जो अपने स्टाफ के साथ मिलकर तहसील को कॉर्पोरेट कल्चर देने में लगे हैं.

देखिए सरकारी दफ्तर में कॉर्पोरेट कल्चर

गुलाबी ड्रेस में वेल ड्रेस्ड, ये लड़कियां किसी कॉर्पोरेट दफ्तर में नहीं बैठीं. ये लखीमपुर सदर तहसील की लेखपाल हैं. तहसील आने वाले हर फरियादी को अब ये अटेंड करती हैं. अदब से पूछती हैं हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं? यही नहीं, तहसील के कानूनगो कक्ष हाईटेक हैं. यहां कानूनगो पिंक शर्ट-ब्लू पैंट, लेखपाल ब्लू शर्ट-डार्क ब्लू पैंट पहनकर फरियादियों को सुन रहे हैं.

तहसील का महिला दफ्तर हो या प्यून, सब के लिए यहां ड्रेस कोड बन गया है. सदर तहसील के एसडीएम अरुण कुमार सिंह का ये कांसेप्ट है. एसडीएम अरुण कुमार सिंह ने दो महीनों में तहसील की तस्वीर बदल दी है.तहसील में सबके लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया है. तहसील के सभागार से लेकर लेखपालों-कानूनगो को बैठने को अलग-अलग सीट एलाट कर दी है. यही नहीं, हर कक्ष के बाहर गांव वाइज और सीट नंबर के साइन बोर्ड भी लगवा दिए हैं. तहसील में हर फरियादी को उसकी शिकायत पर एक टोकन मिलेगा. उसको संबंधित पटल पर भेजने की जिम्मेदारी भी हेल्प डेस्क निभाएगा. मसलन किसी को पट्टे का काम कराना है तो पट्टे का काम किस कमरे में होता है, इसके बारे में भी बाहर एक साइन बोर्ड लगा होगा.

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एसडीएम अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि ये सिर्फ तहसील और सरकारी दफ्तरों की नकारात्मक बन रही छवि को बदलने के लिए किया जा रहा है. ड्रेस से लोगों को लेखपाल, कानूनगो और कर्मचारियों को पहचानने में मदद मिलेगी. आने वाले फरियादी को लेखपाल कानूनगो को ढूंढने में परेशान नहीं होना पड़ेगा. सब की निर्धारित सीट होगी. कॉर्पोरेट कल्चर में के लिए अच्छे परिवेश की जरूरत होती है और हमने भौतिक बदलाव तो कर लिया है, अब सरकारी माइंड सेट भी बदलना है. इसके लिए कॉर्पोरेट कल्चर की तरह काम किया जा रहा है. कॉर्पोरेट ग्राहकों की संतुष्टि पर काम करते हैं. हमें जनता की संतुष्टि पर काम करना है.

एसडीएम अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि भौतिक परिवेश के साथ आंतरिक परिवेश पर भी काम किया जा रहा है. लेखपालों, कानूनगो और स्टाफ की काउंसलिंग कराई जा रही है. दिल्ली से क्वालिटी मैनेजमेंट की एक टीम तहसील स्टाफ को उनके जनता के साथ बर्ताव करने और वर्क कल्चर बेहतर करने की ट्रेनिंग दे रही है, जिससे जनता को संतुष्ट किया जा सके.सदर तहसील को आईएसओ स्टैंडर्ड दिलाने के लिए और जनता को सहूलियत देने के लिए एसडीएम अरुण कुमार सिंह की तहसील को संवारने और सुधारने की इस पहल में शहर के लोगों ने भी साथ दिया है.

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Intro:पैकेज स्टोरी
लखीमपुर-सरकारी दफ्तर हो सरकारी काम सबको सरकारी समझकर ही सरकारी अफसर कर्मचारी काम करते हैं। पर कुछ अफसर ऐसे भी हैं जो लीक से हटकर 'समथिंग डिफरेंट' करने में विस्वास रखते हैं। ऐसे ही एक एसडीएम हैं अरुण कुमार सिंह। जो अपने स्टाफ के साथ मिलकर तहसील को कार्पोरेट कल्चर देने में लगे हैं।
गुलाबी ड्रेस में वेल ड्रेस्ड ये लड़कियाँ किसी कारपोरेट दफ्तर में नहीं बैठीं। ये लखीमपुर सदर तहसील की लेखपाल हैं। तहसील आने वाले हर फरियादी को अब ये अटेंड करती हैं। अदब से पूँछती हैं,हम आपकी क्या मदद कर सकते। यही नहीं ये तहसील हाईटेक कानूनगो कक्ष है। यहाँ कानूनगो पिंक शर्ट ब्लू पैंट में और लेखपाल ब्लू शर्ट और डार्क ब्लू पैंट पहनकर फरियादियो को सुन रहे। तहसील की महिला दफ्तरी हो या पियोन सब के लिए यहाँ ड्रेस कोड बन गया है। अब आपको हम तहसील का सभागार भी दिखा ही देते हैं। जी हाँ लोक सभागार नाम रखा गया है इसका। अब आप सोंच रहे होंगे कि ये सब आखिर किया किसने और क्यों तो आपको नाम भी बता देते हैं। जी हाँ सदर तहसील के एसडीएम अरुण कुमार सिंह का ये कांसेप्ट है। एसडीएम श्री सिंह ने दो महीनों में तहसील की तस्वीर बदल दी है।



Body:तहसील में सबके लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया है। तहसील के सभागार से लेकर लेखपालों कानूनगो को बैठने को अलग अलग सीट एलाट कर दी है। यही नहीं हर कक्ष के बाहर गाँव वाइज और सीट नम्बर के साइनेज बोर्ड भी लगवा दिए हैं। तहसील में हर फरियादी को उसकी शिकायत पर एक टोकन मिलेगा। उसको सम्बंधित पटल पर भेजने की जिम्मेदारी भी हेल्प डेस्क निभाएगा। मसलन किसी को पट्टे का काम कराना है तो पट्टे का काम किस कमरे में होता है इसके बारे में भी बाहर एक साइनेज बोर्ड लगा होगा।
एसडीएम अरुण कुमार सिंह कहते हैं ये सिर्फ तहसील और सरकारी दफ्तरों की नकारात्मक बन रही छवि को बदलने के लिए किया जा रहा। ड्रेस से लोगों को लेखपाल,कानूनगो कर्मचारियों को पहचानने में मदद मिलेगी। आने वाले फरियादी को लेखपाल कानूनगो को ढूंढने में परेशान नहीं होना पड़ेगा। सब की निर्धारित सीट होगी।कार्पोरेट कल्चर में के लिए अच्छे परिवेश की जरूरत होती है,और हमनें भौतिक बदलाव तो कर लिया अब सरकारी माइन्ड सेट भी बदलना है। इसके लिए कारपोरेट कल्चर की तरह काम किया जा रहा। कारपोरेट ग्राहकों की संतुष्टि पर काम करते हैं। हमें जनता की संतुष्टि पर काम करना है।
एसडीएम अरुण कुमार सिंह कहते हैं भौतिक परिवेश के साथ आंतरिक परिवेश पर भी काम किया जा रहा। लेखपालों, कानूनगो और स्टाफ की काउंसलिंग कराई जा रही। दिल्ली से क्वालिटी मैनेजमेंट की एक टीम तहसील स्टाफ को उनके जनता के साथ बर्ताव करने और वर्क कल्चर बेहतर करने की ट्रेनिंग दे रही। जिससे जनता को सन्तुष्ट किया जा सके।


Conclusion:तहसील में इस बदलाव की बयार बहने में एसडीएम सदर का कदम से कदम मिलाकर काम कर रहीं नायब तहसीलदार हर्षिता तिवारी कहती हैं। हम परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहे हैं। बेसिकली हम जब अच्छे एटमॉस्फीयर में काम करते हैं तो काम के एनर्जी बढ़ जाती है। आगे अभी बहुत कुछ करना है । अभी इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक हुआ है । ड्रेस कोड क्या है,वैश्विक स्तर पर हमें इसे स्थापित करना है,आईएसओ स्टैंडर्ड फुलफिल करने हैं। अभी हमें अपने वर्क क्वालिटी पर काम करना है। फाइलों का रख रखाव भी वैश्विक स्तर का करना है। अभी बहुत काम बाकी है पर हमें विश्वास है कि हम सब मिलकर यह कर लेंगे।
सदर तहसील में ही काम करने वाली लेखपाल शालिनी शर्मा कहती हैं,ड्रेस पहनने से हम पहले से अपने को ज्यादा अनुशासित और सुव्यवस्थित महसूस कर रहे हैं । जैसा हमारा कार्य क्षेत्र होता है,वर्कप्लेस होता है,उसी तरह से हमारा कार्य भी निखर गया था है, हमें बहुत अच्छा लग रहा है और हम सब मिलकर इसको और बेहतर करने के लिए प्रयासरत भी हैं।
सदर तहसील को आईएसओ स्टैंडर्ड दिलाने के लिए और जनता को सहूलियत देने के लिए एसडीएम अरुण कुमार सिंह की तहसील को संवारने और सुधारने की इस पहल में शहर के लोगों ने भी साथ दिया है।
बाइट-अरुण कुमार सिंह(एसडीएम सदर)
बाइट-हर्षिता तिवारी(नायब तहसीलदार)
बाइट-शालिनी(लेखपाल)
पीटीसी-प्रशान्त पाण्डेय
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प्रशान्त पाण्डेय
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