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भाई चारा का नारा देने वाले विधायक अरविंद गिरी ने ली अंतिम विदाई, पढे़ं जीवन से जुड़े रोचक तथ्य

लखीमपुर खीरी के गोला से बीजेपी विधायक अरविंद गिरी का आज हार्ट अटैक से निधन हो गया. 'एक ही नारा भाईचारा' का नारा देने वाले 5 बार के विधायक अरविंद गिरी आज दुनिया से अलविदा हो गए. आइये जानते हैं खीरी के कद्दावर नेता रहे अरविंद गिरी के जीवन के अनछुए पहलुओं को.

विधायक अरविंद गिरी.
विधायक अरविंद गिरी.
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Published : Sep 6, 2022, 1:21 PM IST

लखीमपुर खीरी: एक ही नारा भाईचारा का नारा देने वाला खीरी जिले के कद्दावर नेता और 5 बार विधायक रहे अरविंद गिरी आज दुनिया से अलविदा हो गए. अरविंद गिरी की मौत से हर कोई स्तब्ध है. बीजेपी के मोहम्मदी क्षेत्र से विधायक लोकेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं, 'सुनकर विश्वास नहीं हो रहा कि गिरी जी हमारे बीच नहीं रहे. सोमवार को ही तो विधायक योगेश वर्मा के पिता के निधन के अंतिम संस्कार में हमारे साथ थे. सब लोग अच्छे से बातचीत कर रहे थे पर अचानक ऐसी दुःखद खबर आई.

सियासी गोटियां बिछाने में थी महारथ
1958 में गोला गोकरनाथ में एक साधारण परिवार में जन्में अरविंद गिरी ने संघर्ष का रास्ता अपनाकर अपना सियासी मुकाम हासिल किया. खेलों के शौकीन अरविंद गिरी को राजनीति के मैदान में भी सियासी गोटियां बिछाने में महारथ हासिल थी. 3 बार समाजवादी पार्टी से विधायक रहते जिला पंचायत पर भी अपने परिवार को काबिज कराने में सफल रहे थे. हालांकि समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ने के बाद कांग्रेस-बसपा का दामन थामा, लेकिन उन्हें न कांग्रेस रास आई और न बसपा. 2017 में भाजपा से गोला से फिर टिकट मिल गया तो राजनीतिक वनवास से फिर एक बार सक्रिय राजनीति में गिरीजी आ गए.

बसपा नेता मोहन बाजपेई कहते हैं गिरीजी ने ही एक ही नारा भाई चारा का नारा खीरी में दिया. बाढ़ कटान को लेकर पैदल मार्च जिले भर में निकाला. शरीर से फिट दिखने वाले अरविंद गिरी को हार्ट की बीमारी थी. परिजनों की मानें तो एक बार अरविंद गिरी को इससे पहले भी माइनर अटैक आया था.

गौरतलब है कि सोमवार को ही अरविंद गिरी ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर सीडीओ अनिल कुमार सिंह के साथ गोला को शिव तीर्थ सर्किल से जोड़े जाने और सौंदर्यीकरण को लेकर किए गए निरीक्षण की तस्वीरें शेयर की थीं और सीएम योगी आदित्यनाथ का आभार जताया था.

विवादों से रहा है नाता
अरविंद गिरी का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. समाजवादी पार्टी छोड़ने का उनका निर्णय रहा हो या फिर विधायक रहते जिला पंचायत चुनाव के दौरान दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी में वन कर्मियों से विवाद और तोड़फोड़ का एक मुकदमा अरविंद गिरी के लिए फांस बन गया था. एमपी एमएलए कोर्ट में आज भी उस मुकदमे में पेशी लगी थी. गवाहों को तलब किया गया था.

बेटी है कैप्टन
अरविंद गिरी की बेटी एमबीबीएस करने के बाद सेना में लेफ्टिनेंट पद पर तैनात हो गई थी. गौरतलब अब वह मेजर है.

अरविंद गिरी का राजनीतिक सफरनामा

1993: छात्र जीवन से राजनीति में आए.
1994: सपा की सदस्यता ग्रहण कर सक्रिय राजनीति की शुरुआत.
1995: रिकार्ड मतों से चुनाव जीतकर गोला पालिकाध्यक्ष बने
1996: 13वीं विधान सभा में सपा के टिकट पर पहली बार 49 हजार मत पाकर विधायक बने.
1998-1999 सदस्य, लोक लेखा समिति
2000: दोबारा पालिका परिषद गोला के अध्यक्ष
2002: सपा के टिकट पर 14वीं विधान सभा में दूसरी बार विधायक बने
2002-2003 सदस्य, प्राक्कलन समिति
2005: सपा शासनकाल में अनुध वधू अनीता गिरि को जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित कराया
2007: नगर पालिका परिषद गोला के अध्यक्ष पद पर पत्नी सुधा गिरी को जितवाया
2007: 58 हजार मत पाकर तीसरी बार 15वीं विधान सभा में विधायक बने
2007-2009 सदस्य, अधिष्ठाता मण्डल
2008 सदस्य, प्रतिनिहित विधायन समिति
2007-2009 सदस्य, प्रदेश के स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की जांच संबंधी समिति
2017: बीजेपी के टिकट पर 17वीं विधानसभा में चौथी बार विधायक बने
2022: 18वीं विधानसभा के लिए बीजेपी के टिकट पर पांचवी बार विधायक बने

परिचय

नाम: अरविंद गिरी
निर्वाचन क्षेत्र– 139, गोला गोकरननाथ, लखीमपुर खीरी
दल: भारतीय जनता पार्टी
पिता का नाम: स्व. राजेंद्र गिरी
जन्‍म तिथि: 30 जून, 1958
जन्‍म स्थान: गोला गोकरननाथ
धर्म: हिंदू
जाति: पिछड़ी (गुसाई)
शिक्षा: स्नातक, बीपीएड
विवाह तिथि: 21 जून, 1991
पत्‍नी का नाम: सुधा गिरी
संतान: 2 पुत्र, 2 पुत्रियां
व्‍यवसाय- कृषि, अध्यापन
मुख्यावास: मो.-तीर्थगोला गोकरन नाथ, जिला- लखीमपुर खीरी

गिरी बिरादरी के होने के बाद भी सभी जाति धर्मो में था प्रभाव
वैसे तो अरविंद गिरी, गिरी परिवार से आते हैं. अपनी बिरादरी के बहुत कम वोट होने के बाद भी अरविंद गिरी हर जाति धर्म और वर्ग के लोगों में अपनी पैठ बनाए थे. अपने व्यवहार और कार्यों के बल पर उन्होंने सभी धर्म जाति और मजहब के लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बना रखी थी. इसीलिए अरविंद गिरी ने नारा दिया था 'एक ही नारा भाईचारा' और यह नारा खूब चला भी. जिले के कई और नेताओं ने भी इस नारे को बाद में इस्तेमाल किया. अरविंद गिरी के निधन पर उनके साथी उनके चाहने वाले काफी गमगीन हैं. उनके घर पर लोगों का तांता लगा हुआ है.

इसे भी पढे़ं- BJP विधायक अरविंद गिरी की हार्ट अटैक से मौत, सीएम योगी ने जताया शोक

लखीमपुर खीरी: एक ही नारा भाईचारा का नारा देने वाला खीरी जिले के कद्दावर नेता और 5 बार विधायक रहे अरविंद गिरी आज दुनिया से अलविदा हो गए. अरविंद गिरी की मौत से हर कोई स्तब्ध है. बीजेपी के मोहम्मदी क्षेत्र से विधायक लोकेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं, 'सुनकर विश्वास नहीं हो रहा कि गिरी जी हमारे बीच नहीं रहे. सोमवार को ही तो विधायक योगेश वर्मा के पिता के निधन के अंतिम संस्कार में हमारे साथ थे. सब लोग अच्छे से बातचीत कर रहे थे पर अचानक ऐसी दुःखद खबर आई.

सियासी गोटियां बिछाने में थी महारथ
1958 में गोला गोकरनाथ में एक साधारण परिवार में जन्में अरविंद गिरी ने संघर्ष का रास्ता अपनाकर अपना सियासी मुकाम हासिल किया. खेलों के शौकीन अरविंद गिरी को राजनीति के मैदान में भी सियासी गोटियां बिछाने में महारथ हासिल थी. 3 बार समाजवादी पार्टी से विधायक रहते जिला पंचायत पर भी अपने परिवार को काबिज कराने में सफल रहे थे. हालांकि समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ने के बाद कांग्रेस-बसपा का दामन थामा, लेकिन उन्हें न कांग्रेस रास आई और न बसपा. 2017 में भाजपा से गोला से फिर टिकट मिल गया तो राजनीतिक वनवास से फिर एक बार सक्रिय राजनीति में गिरीजी आ गए.

बसपा नेता मोहन बाजपेई कहते हैं गिरीजी ने ही एक ही नारा भाई चारा का नारा खीरी में दिया. बाढ़ कटान को लेकर पैदल मार्च जिले भर में निकाला. शरीर से फिट दिखने वाले अरविंद गिरी को हार्ट की बीमारी थी. परिजनों की मानें तो एक बार अरविंद गिरी को इससे पहले भी माइनर अटैक आया था.

गौरतलब है कि सोमवार को ही अरविंद गिरी ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर सीडीओ अनिल कुमार सिंह के साथ गोला को शिव तीर्थ सर्किल से जोड़े जाने और सौंदर्यीकरण को लेकर किए गए निरीक्षण की तस्वीरें शेयर की थीं और सीएम योगी आदित्यनाथ का आभार जताया था.

विवादों से रहा है नाता
अरविंद गिरी का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. समाजवादी पार्टी छोड़ने का उनका निर्णय रहा हो या फिर विधायक रहते जिला पंचायत चुनाव के दौरान दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी में वन कर्मियों से विवाद और तोड़फोड़ का एक मुकदमा अरविंद गिरी के लिए फांस बन गया था. एमपी एमएलए कोर्ट में आज भी उस मुकदमे में पेशी लगी थी. गवाहों को तलब किया गया था.

बेटी है कैप्टन
अरविंद गिरी की बेटी एमबीबीएस करने के बाद सेना में लेफ्टिनेंट पद पर तैनात हो गई थी. गौरतलब अब वह मेजर है.

अरविंद गिरी का राजनीतिक सफरनामा

1993: छात्र जीवन से राजनीति में आए.
1994: सपा की सदस्यता ग्रहण कर सक्रिय राजनीति की शुरुआत.
1995: रिकार्ड मतों से चुनाव जीतकर गोला पालिकाध्यक्ष बने
1996: 13वीं विधान सभा में सपा के टिकट पर पहली बार 49 हजार मत पाकर विधायक बने.
1998-1999 सदस्य, लोक लेखा समिति
2000: दोबारा पालिका परिषद गोला के अध्यक्ष
2002: सपा के टिकट पर 14वीं विधान सभा में दूसरी बार विधायक बने
2002-2003 सदस्य, प्राक्कलन समिति
2005: सपा शासनकाल में अनुध वधू अनीता गिरि को जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित कराया
2007: नगर पालिका परिषद गोला के अध्यक्ष पद पर पत्नी सुधा गिरी को जितवाया
2007: 58 हजार मत पाकर तीसरी बार 15वीं विधान सभा में विधायक बने
2007-2009 सदस्य, अधिष्ठाता मण्डल
2008 सदस्य, प्रतिनिहित विधायन समिति
2007-2009 सदस्य, प्रदेश के स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की जांच संबंधी समिति
2017: बीजेपी के टिकट पर 17वीं विधानसभा में चौथी बार विधायक बने
2022: 18वीं विधानसभा के लिए बीजेपी के टिकट पर पांचवी बार विधायक बने

परिचय

नाम: अरविंद गिरी
निर्वाचन क्षेत्र– 139, गोला गोकरननाथ, लखीमपुर खीरी
दल: भारतीय जनता पार्टी
पिता का नाम: स्व. राजेंद्र गिरी
जन्‍म तिथि: 30 जून, 1958
जन्‍म स्थान: गोला गोकरननाथ
धर्म: हिंदू
जाति: पिछड़ी (गुसाई)
शिक्षा: स्नातक, बीपीएड
विवाह तिथि: 21 जून, 1991
पत्‍नी का नाम: सुधा गिरी
संतान: 2 पुत्र, 2 पुत्रियां
व्‍यवसाय- कृषि, अध्यापन
मुख्यावास: मो.-तीर्थगोला गोकरन नाथ, जिला- लखीमपुर खीरी

गिरी बिरादरी के होने के बाद भी सभी जाति धर्मो में था प्रभाव
वैसे तो अरविंद गिरी, गिरी परिवार से आते हैं. अपनी बिरादरी के बहुत कम वोट होने के बाद भी अरविंद गिरी हर जाति धर्म और वर्ग के लोगों में अपनी पैठ बनाए थे. अपने व्यवहार और कार्यों के बल पर उन्होंने सभी धर्म जाति और मजहब के लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बना रखी थी. इसीलिए अरविंद गिरी ने नारा दिया था 'एक ही नारा भाईचारा' और यह नारा खूब चला भी. जिले के कई और नेताओं ने भी इस नारे को बाद में इस्तेमाल किया. अरविंद गिरी के निधन पर उनके साथी उनके चाहने वाले काफी गमगीन हैं. उनके घर पर लोगों का तांता लगा हुआ है.

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