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लखीमपुर की हॉट सीट बनी धौरहरा,बीजेपी और पूर्व बसपा विधायक के समाजवादी पार्टी में शामिल होने से बढ़ी रार

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Published : Jan 14, 2022, 11:07 PM IST

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लखीमपुर खीरी: जिले में शुक्रवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ. धौराहरा से भाजपा विधायक बाला प्रसाद अवस्थी, बसपा से पूर्व विधायक शमशेर बहादुर सिंह उर्फ शेरू भी समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. लखनऊ में अखिलेश यादव की उपस्थित में दोनों दिग्गज नेताओं के सपा में शामिल होते ही जिले में सियासत गर्म हो गई. अब सवाल उठ रहा है कि आखिर धौरहरा में समाजवादी पार्टी का अगला चेहरा कौन होगा. बाला प्रसाद अवस्थी या शमशेर बहादुर सिंह. जबकि सपा जिलाध्यक्ष रामपाल यादव ने कहा कि अभी टिकट की बात करना जल्दी होगा. लेकिन भाजपा को छोड़कर बाला प्रसाद अवस्थी का आना जरूर समाजवादी पार्टी को मजबूत करेगा. वहीं शमशेर बहादुर सिंह से आने से पार्टी की ताकत बढ़ी है.

बाला प्रसाद 2017 में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे
उल्लेखनीय है कि धौरहरा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का 2017 में दबदबा बना था. बसपा छोड़कर आए बाला प्रसाद अवस्थी 2017 में भाजपा में शामिल हुए और फिर विधायक बन गए. चार बार विधायक रह चुके बाला प्रसाद अवस्थी दो बार बसपा और दो बार भाजपा से जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं. लेकिन 2022 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अचानक बाला प्रसाद अवस्थी ने पल्टी मार दी. कहा जा रहा कि बाला प्रसाद अवस्थी स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह खीरी के सियासी मौसम वैज्ञानिक माने जाते हैं. चुनाव के ठीक पहले पल्टी मारना और दस्तूर को समझ जीत हासिल करने में माहिर हैं. बाला प्रसाद अवस्थी बीजेपी के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं.

बाला प्रसाद ने तीसरी बार बदला दल
बाला प्रसाद पहली बार 1991 में रामलहर में बीजेपी के टिकट पर जीतकर धौरहरा सीट पर कब्जा किया था. इसके बाद 2007 तक बाला प्रसाद अवस्थी राजनीतिक वनवास पर रहे लेकिन 2007 में मौका देख बीजेपी को बाय बाय कर बसपा के हाथी पर सवार हो गए और धौरहरा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद 2012 के चुनाव में बाला प्रसाद अवस्थी ने अपनी सीट ही बदल दी और मोहम्मदी सीट से बसपा से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. वहीं, 2014 के बाद मोदी काल के उदय के साथ बाला प्रसाद अवस्थी ने मौका और नजाकत समझते हुए भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया. बाला प्रसाद अवस्थी एक बार फिर 2017 में मोदी लहर में बीजेपी से जीतकर विधानसभा पहुंच गए. लेकिन इस बार फिर सियासी पलटी मार समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार हो गए हैं.


अपने बेटे के लिए तलाश रहे सियासी जमीन
बाला प्रसाद अवस्थी चुनाव के पहले से ही अपने बेटे के लिए सियासी जमीन तलाशने में लगे हुए हैं. 70 साल के ऊपर हो चुके बाला प्रसाद अवस्थी अपने बेटे को बीजेपी से टिकट दिलाने के प्रयास में थे. क्योंकि भाजपा ने 70 साल के ऊपर वाले वेटिंग में डाल दिए जाते हैं, इसलिए बाला अभी हार मानने को तैयार नहीं. चर्चा है कि बाला प्रसाद इस बार पड़ोसी जिले बहराइच की एक विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं.


इसे भी पढ़ें-Up Election 2022: स्वामी प्रसाद मौर्य सहित भाजपा के ये नेता सपा में हुए शामिल

शमशेर भी हैं सियासी धुरंधर
बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक रह चुके शमशेर बहादुर सिंह राज परिवार से आते हैं. धौराहरा में राजा सरस्वती प्रताप सिंह के पुत्र शमशेर बहादुर सिंह 2012 में धौरहरा से बसपा के हाथी पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे थे लेकिन अगला चुनाव हार गए. धौरहरा में समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता रहे पूर्व मंत्री यशपाल चौधरी के निधन के बाद एक राजनीतिक शून्यता का माहौल समाजवादी पार्टी में थी. हालांकि यशपाल चौधरी के बेटे भी टिकट के दावेदार हैं. लेकिन अब शमशेर बहादुर सिंह उर्फ शेरु के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद सियासी द्वंद बढ़ गया है. हालांकि अभी किसी भी दल ने टिकट नहीं बांटे लेकिन दो दिग्गजों के सपा में शामिल होने से धौरहरा का सियासी युद्ध अब रोचक हो गया है.

लखीमपुर खीरी: जिले में शुक्रवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ. धौराहरा से भाजपा विधायक बाला प्रसाद अवस्थी, बसपा से पूर्व विधायक शमशेर बहादुर सिंह उर्फ शेरू भी समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. लखनऊ में अखिलेश यादव की उपस्थित में दोनों दिग्गज नेताओं के सपा में शामिल होते ही जिले में सियासत गर्म हो गई. अब सवाल उठ रहा है कि आखिर धौरहरा में समाजवादी पार्टी का अगला चेहरा कौन होगा. बाला प्रसाद अवस्थी या शमशेर बहादुर सिंह. जबकि सपा जिलाध्यक्ष रामपाल यादव ने कहा कि अभी टिकट की बात करना जल्दी होगा. लेकिन भाजपा को छोड़कर बाला प्रसाद अवस्थी का आना जरूर समाजवादी पार्टी को मजबूत करेगा. वहीं शमशेर बहादुर सिंह से आने से पार्टी की ताकत बढ़ी है.

बाला प्रसाद 2017 में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे
उल्लेखनीय है कि धौरहरा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का 2017 में दबदबा बना था. बसपा छोड़कर आए बाला प्रसाद अवस्थी 2017 में भाजपा में शामिल हुए और फिर विधायक बन गए. चार बार विधायक रह चुके बाला प्रसाद अवस्थी दो बार बसपा और दो बार भाजपा से जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं. लेकिन 2022 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अचानक बाला प्रसाद अवस्थी ने पल्टी मार दी. कहा जा रहा कि बाला प्रसाद अवस्थी स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह खीरी के सियासी मौसम वैज्ञानिक माने जाते हैं. चुनाव के ठीक पहले पल्टी मारना और दस्तूर को समझ जीत हासिल करने में माहिर हैं. बाला प्रसाद अवस्थी बीजेपी के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं.

बाला प्रसाद ने तीसरी बार बदला दल
बाला प्रसाद पहली बार 1991 में रामलहर में बीजेपी के टिकट पर जीतकर धौरहरा सीट पर कब्जा किया था. इसके बाद 2007 तक बाला प्रसाद अवस्थी राजनीतिक वनवास पर रहे लेकिन 2007 में मौका देख बीजेपी को बाय बाय कर बसपा के हाथी पर सवार हो गए और धौरहरा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद 2012 के चुनाव में बाला प्रसाद अवस्थी ने अपनी सीट ही बदल दी और मोहम्मदी सीट से बसपा से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. वहीं, 2014 के बाद मोदी काल के उदय के साथ बाला प्रसाद अवस्थी ने मौका और नजाकत समझते हुए भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया. बाला प्रसाद अवस्थी एक बार फिर 2017 में मोदी लहर में बीजेपी से जीतकर विधानसभा पहुंच गए. लेकिन इस बार फिर सियासी पलटी मार समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार हो गए हैं.


अपने बेटे के लिए तलाश रहे सियासी जमीन
बाला प्रसाद अवस्थी चुनाव के पहले से ही अपने बेटे के लिए सियासी जमीन तलाशने में लगे हुए हैं. 70 साल के ऊपर हो चुके बाला प्रसाद अवस्थी अपने बेटे को बीजेपी से टिकट दिलाने के प्रयास में थे. क्योंकि भाजपा ने 70 साल के ऊपर वाले वेटिंग में डाल दिए जाते हैं, इसलिए बाला अभी हार मानने को तैयार नहीं. चर्चा है कि बाला प्रसाद इस बार पड़ोसी जिले बहराइच की एक विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं.


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शमशेर भी हैं सियासी धुरंधर
बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक रह चुके शमशेर बहादुर सिंह राज परिवार से आते हैं. धौराहरा में राजा सरस्वती प्रताप सिंह के पुत्र शमशेर बहादुर सिंह 2012 में धौरहरा से बसपा के हाथी पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे थे लेकिन अगला चुनाव हार गए. धौरहरा में समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता रहे पूर्व मंत्री यशपाल चौधरी के निधन के बाद एक राजनीतिक शून्यता का माहौल समाजवादी पार्टी में थी. हालांकि यशपाल चौधरी के बेटे भी टिकट के दावेदार हैं. लेकिन अब शमशेर बहादुर सिंह उर्फ शेरु के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद सियासी द्वंद बढ़ गया है. हालांकि अभी किसी भी दल ने टिकट नहीं बांटे लेकिन दो दिग्गजों के सपा में शामिल होने से धौरहरा का सियासी युद्ध अब रोचक हो गया है.

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