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...नन्हे घड़ियालों की अठखेलियों से चहक रहा गिरवा नदी का किनारा

लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा टाइगर रिजर्व में गिरवा नदी के किनारे घड़ियालों का वास है. नदी के कर्तनिया घाट पर इस बार घड़ियालों ने रिकॉर्ड संख्या में बच्चों को जन्म दिया है, जिसकी देख-रेख दुधवा प्रशासन बड़ी ही सजगता के साथ कर रहा है.

अंडे से निकलता घड़ियाल का बच्चा.
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Published : Jun 22, 2019, 8:01 PM IST

लखीमपुर खीरी: आपने घड़ियालों को देखा होगा और उनसे खौफ खाने की भी कई कहानियां सुनीं होंगी, लेकिन क्या आपने जन्म लेते घड़ियालों के बच्चों को देखा है. इस वक्त दुधवा नेशनल पार्क में गिरवा नदी का किनारा नन्हें घड़ियालों की अठखेलियों से चहक उठा है. अंडों से निकलते घड़ियाल नन्हें पांव से नदी में भागते दिख रहे हैं, यह नजारा इन दिनों नदी के किनारे का है. लखीमपुर खीरी के कर्तनियाघाट के पास गिरवा नदी घड़ियालों का प्रिय स्थान है. यहां दर्जनों की संख्या में घड़ियाल देखने को मिल जाते हैं.

देखें वीडियो.

कैसे होती है घड़ियालों की ब्रीडिंग

  • अप्रैल और मई माह में घड़ियालों में मेटिंग होती है .
  • घड़ियालों की मेटिंग और ब्रीडिंग बड़ी दिलचस्प होती है.
  • दरअसल मादा घड़ियाल मई में अंडे देकर नदी किनारे के सैंड बार्स यानी बालू के टीलों में गड्ढे कर अंडे को दबा देती हैं.
  • वहीं मादा घड़ियाल इन्हीं अंडों के ऊपर बैठी रहती है.
  • अंडे जब तैयार हो जाते हैं तो इन अंडों से बच्चे एक विशेष प्रकार की आवाज निकालते हैं.
  • इस आवाज को मादा घड़ियाल यानी उनकी मां भांप जाती है.
  • मादा घड़ियाल गड्ढे को खोद देती हैं, जिससे अंडों से बच्चे बाहर निकलने लगते हैं.
  • ये बच्चे अंडो से निकलने के बाद तुरंत ही नदी का रुख कर लेते हैं.
  • जन्म लेने के तुरंत बाद से ही घड़ियालों के बच्चे कुशल तैराक भी हो जाते हैं.

घड़ियालों के बच्चों की हुई रिकॉर्ड ब्रीडिंग
दुधवा के फील्ड डॉयरेक्टर रमेश चंद्र पाण्डेय बताते हैं कि दुधवा टाइगर रिजर्व में इस बार प्रोटेक्शन के चलते घड़ियालों के बच्चों ने रिकॉर्ड संख्या में जन्म लिया है. अब पार्क प्रशासन इन बच्चों की देखरेख कर रहा है. उनका कहना है कि घड़ियालों का जीवन बड़ा चुनौती पूर्ण होता है. हमनें उनके जन्म से लेकर सर्वाइवल तक निगरानी का प्लान बनाया था, जिससे इस बार रिकॉर्ड घड़ियालों के बच्चों की ब्रीडिंग हुई है.

दुधवा के कर्मचारियों ने निभाया मां का किरदार
दुधवा टाइगर रिजर्व में इन घड़ियालों के बच्चों को पार्क के अफसरों ने सुरक्षा और वासस्थलों को इनके लिए उपयोगी बनाया है. इस बार 36 घड़ियालों के घर बनाए गए. इन घरों में घड़ियालों ने अंडे दिए. कर्तनियाघाट के रेंजर पीयूष श्रीवास्तव और उनके स्टाफ ने कई घड़ियाल के बच्चों की मां का रोल अदा किया. दरअसल, जिन घड़ियालों ने गड्ढे नहीं खोले उन गड्ढों को रेंजर पीयूष श्रीवास्तव की टीम ने खोलकर उनके अंडों से बच्चे निकालने में मदद की. दरअसल घड़ियालों की कालोनी में कई बार मादा घड़ियाल अंडे देकर अपने बन्द किए गए गड्ढे को भूल जाती हैं. ऐसे में उन अंडों से बच्चे नहीं निकल पाते हैं.

घड़ियालों के लिए मशहूर है गिरवा नदी
दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डॉयरेक्टर रमेश चंद्र पाण्डेय बताते हैं कि घड़ियालों का गिरवा नदी प्रिय स्थान है. दुधवा के कर्तनियाघाट में गिरवा नदी के किनारे दर्जनों घड़ियाल देखने को मिल जाते हैं. दरअसल गिरवा नदी का किनारा घड़ियालों का प्रिय वासस्थल भी है.

लखीमपुर खीरी: आपने घड़ियालों को देखा होगा और उनसे खौफ खाने की भी कई कहानियां सुनीं होंगी, लेकिन क्या आपने जन्म लेते घड़ियालों के बच्चों को देखा है. इस वक्त दुधवा नेशनल पार्क में गिरवा नदी का किनारा नन्हें घड़ियालों की अठखेलियों से चहक उठा है. अंडों से निकलते घड़ियाल नन्हें पांव से नदी में भागते दिख रहे हैं, यह नजारा इन दिनों नदी के किनारे का है. लखीमपुर खीरी के कर्तनियाघाट के पास गिरवा नदी घड़ियालों का प्रिय स्थान है. यहां दर्जनों की संख्या में घड़ियाल देखने को मिल जाते हैं.

देखें वीडियो.

कैसे होती है घड़ियालों की ब्रीडिंग

  • अप्रैल और मई माह में घड़ियालों में मेटिंग होती है .
  • घड़ियालों की मेटिंग और ब्रीडिंग बड़ी दिलचस्प होती है.
  • दरअसल मादा घड़ियाल मई में अंडे देकर नदी किनारे के सैंड बार्स यानी बालू के टीलों में गड्ढे कर अंडे को दबा देती हैं.
  • वहीं मादा घड़ियाल इन्हीं अंडों के ऊपर बैठी रहती है.
  • अंडे जब तैयार हो जाते हैं तो इन अंडों से बच्चे एक विशेष प्रकार की आवाज निकालते हैं.
  • इस आवाज को मादा घड़ियाल यानी उनकी मां भांप जाती है.
  • मादा घड़ियाल गड्ढे को खोद देती हैं, जिससे अंडों से बच्चे बाहर निकलने लगते हैं.
  • ये बच्चे अंडो से निकलने के बाद तुरंत ही नदी का रुख कर लेते हैं.
  • जन्म लेने के तुरंत बाद से ही घड़ियालों के बच्चे कुशल तैराक भी हो जाते हैं.

घड़ियालों के बच्चों की हुई रिकॉर्ड ब्रीडिंग
दुधवा के फील्ड डॉयरेक्टर रमेश चंद्र पाण्डेय बताते हैं कि दुधवा टाइगर रिजर्व में इस बार प्रोटेक्शन के चलते घड़ियालों के बच्चों ने रिकॉर्ड संख्या में जन्म लिया है. अब पार्क प्रशासन इन बच्चों की देखरेख कर रहा है. उनका कहना है कि घड़ियालों का जीवन बड़ा चुनौती पूर्ण होता है. हमनें उनके जन्म से लेकर सर्वाइवल तक निगरानी का प्लान बनाया था, जिससे इस बार रिकॉर्ड घड़ियालों के बच्चों की ब्रीडिंग हुई है.

दुधवा के कर्मचारियों ने निभाया मां का किरदार
दुधवा टाइगर रिजर्व में इन घड़ियालों के बच्चों को पार्क के अफसरों ने सुरक्षा और वासस्थलों को इनके लिए उपयोगी बनाया है. इस बार 36 घड़ियालों के घर बनाए गए. इन घरों में घड़ियालों ने अंडे दिए. कर्तनियाघाट के रेंजर पीयूष श्रीवास्तव और उनके स्टाफ ने कई घड़ियाल के बच्चों की मां का रोल अदा किया. दरअसल, जिन घड़ियालों ने गड्ढे नहीं खोले उन गड्ढों को रेंजर पीयूष श्रीवास्तव की टीम ने खोलकर उनके अंडों से बच्चे निकालने में मदद की. दरअसल घड़ियालों की कालोनी में कई बार मादा घड़ियाल अंडे देकर अपने बन्द किए गए गड्ढे को भूल जाती हैं. ऐसे में उन अंडों से बच्चे नहीं निकल पाते हैं.

घड़ियालों के लिए मशहूर है गिरवा नदी
दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डॉयरेक्टर रमेश चंद्र पाण्डेय बताते हैं कि घड़ियालों का गिरवा नदी प्रिय स्थान है. दुधवा के कर्तनियाघाट में गिरवा नदी के किनारे दर्जनों घड़ियाल देखने को मिल जाते हैं. दरअसल गिरवा नदी का किनारा घड़ियालों का प्रिय वासस्थल भी है.

Intro:लखीमपुर-कभी देखा है कैसे अण्डे से निकलता है घड़ियाल का बच्चा!
लखीमपुर-आपने कभी घड़ियाल के बच्चे को जन्म लेते देखा है नहीं न तो हम आपको दिखाते हैं घड़ियाल की ज़िंदगी की शुरुआत। कैसे घड़ियाल के अंडे से निकलता है उसका बच्चा। जी हाँ दुधवा टाइगर रिजर्व में इस बार प्रोटेक्शन के चलते रेकॉर्ड घड़ियाल के बच्चों ने जन्म लिया है। अब पार्क प्रशासन इन बच्चों की गम्भीरता से देखरेख कर रहे। पार्क के फील्ड डायरेक्टर रमेश कुमार पाण्डेय कहते हैं,'घड़ियालों का जीवन बड़ा चुनौती पूर्ण होता है,हमनें उनके जन्म से लेकर सर्वाइवल तक निगरानी का प्लान बनाया। जिससे इस बार रेकॉर्ड घड़ियाल ब्रीडिंग हुई है।'

कैसे होती है घड़ियालों की ब्रीडिंग
*अप्रैल मई के महीने में घड़ियालों में मेटिंग होती। *मई में ये अंडे देते हैं।
*घड़ियालों की मेटिंग और ब्रीडिंग बड़ी दिलचस्प होती है।
*मादा मई में अंडे देकर इन्हें नदी किनारे के सैंड बार्स यानी बालू के टीलों में गड्ढे कर दबा देती है।
*फिर इन्हीं अंडों के ऊपर बैठी रहती है।
*जब अंडे तैयार हो जाते हैं तो इन अंडों से बच्चे एक विशेष प्रकार की आवाज निकालते हैं।
*इस आवाज को मादा यानी माँ भांप जाती है।
*माँ गड्ढे को खोद देती है। अंडों से बच्चे निकलने लगते हैं।
*ये बच्चे तुरत ही नदी का रुख करते हैं।
*जन्म लेने के तुरंत बाद से ही घड़ियालों के बच्चे कुशल तैराक हो जाते। नदी में जाकर ये तैरने लगते हैं।

-भूल भी जाती है माँ
रेप्टाइल परिवार के सदस्य घड़ियालों की कालोनी में कई बार माँ अंडे देकर अपने बन्द किए गड्ढे को भूल जाती। ऐसे में उन गड्ढो में बच्चे अंडों से निकल पाते हैं। ऐसे में पार्क के अफसर बच्चों को गड्ढो से निकालते हैं और उन्हें पानी में छोड़ते हैं।

-घड़ियालों के लिए मशहूर है गिरवा नदी
दुधवा के फील्ड डायरेक्टर रमेश कुमार पाण्डेय बताते है कि घड़ियालों का गिरवा नदी प्रिय स्थान है।
दुधवा के कर्तनियाघाट में गिरवा के किनारे दर्जनों घड़ियाल देखने को मिल जाते।
Body:गिरवा का किनारा घड़ियालों का प्रिय वासस्थल है।

-पार्क के अफसरों ने दी है इन घड़ियालों को सुरक्षा
दुधवा टाइगर रिजर्व में इन घड़ियालों के बच्चों को पार्क के अफसरों ने सुरक्षा और इनके वासस्थलों को इनके उपयोगी बनाया। जिससे इस बार 36 घड़ियालों के नेस्ट बने। इन नेस्ट में घड़ियालों ने अंडे दिए बच्चे निकले।
Conclusion:-दुधवा के कर्मचारी भी बने माँ
गिरवा किनारे इन घड़ियालों की कालोनी में नए मेहमानों के आने में दुधवा के अफसरों ने भी उम्दा रोल प्ले किया। कर्तनियाघाट के रेंजर पीयूष श्रीवास्तव और उनके स्टाफ ने कई बच्चों की माँ का काम किया। दरसल जिन घड़ियालों ने गड्ढो को नहीं खोला उन गड्ढो को खोल उनके अंडों से बच्चों को निकलने में मदद की।
बाइट रमेश चन्द्र पाण्डेय(फील्ड डायरेक्टर दुधवा टाइगर रिजर्व)
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प्रशान्त पाण्डेय
9984152598
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