कुशीनगर : "कागजों में मृत घोषित" करने की कहानी तो कई बार आप लोगों ने फिल्मों में देखी होगी, लेकिन जिला कुशीनगर में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. आरोप है कि अमही गांव की एक बुजुर्ग महिला को जिम्मेदारों ने करीब 22 वर्ष पहले 'कागजों में मृत' घोषित कर दिया. मामले का खुलासा तब हुआ जब बुजुर्ग महिला का नाम जमीन के कागजों पर अंकित किया जाना था. महिला की उम्र करीब 70 वर्ष बताई जा रही है, वहीं ग्राम चौपाल में मामला जब बीडीओ के सामने आया तो महिला को 'कागजों में जीवित' करने का निर्देश दिया.
जिला कुशीनगर के दुदही ब्लाॅक के अमही गांव में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. गांव में मोती रानी नाम की एक बुजुर्ग महिला परिवार के कुछ सदस्यों के साथ रहती हैं. आरोप है कि बुजुर्ग महिला को जिंदा होते हुए भी अब अपने जीवित होने का प्रमाण लेकर अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. आरोप है कि मोती रानी नाम की करीब 70 साल की बुजुर्ग महिला को सरकारी दस्तावेजों में 22 साल पहले मृत घोषित कर दिया गया. बता दें कि पीड़ित महिला के पति की मौत 2017 में हो चुकी है, लेकिन 2022 में जब खेत की वरासत कराने के लिए पीड़ित महिला ब्लाॅक पर पहुंची तो पता चला कि मोती रानी को साल 2001 में ही कागजों में मृत घोषित कर दिया गया था, वहीं ग्राम चौपाल में मामला जब बीडीओ के सामने आया तो महिला को कागजों में जीवित करने का निर्देश दिया.
बुजुर्ग महिला के पोते सुनील शर्मा ने बताया कि "उसकी दादी अभी जिंदा हैं, लेकिन कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है. पिछले चार माह से कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. जिसके चलते वह सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं. अब एक बार फिर अधिकारियों ने आश्वासन दिया है."
बीडीओ राजाराम कुशवाहा ने बताया कि "ग्राम चौपाल के दौरान शुक्रवार को मामला सामने आया है, जिसे त्वरित निस्तारण का निर्देशित किया गया. जल्द से जल्द सरकारी दस्तावेजों में नाम अंकित कराया जाएगा."
यह भी पढ़ें : INCOME TAX RAID : ट्रांसपोर्ट कंपनी कालेधन से बनवा रही थी भोजपुरी फिल्में, IT रेड में मिली हेराफेरी