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कुशीनगर: नारायणी नदी का जलस्तर बढ़ा, ग्रामीणों को सता रहा बांध टूटने का भय

लगातार हो रही बारिश की वजह से नारायणी नदी का जलस्तर बढ़ रहा है. इससे नदी तट पर बसे ग्रामीणों को बांध टूटने का भय है. लोगों का कहना है कि बंधे को बचाने के लिए कोई बड़ा कार्य नहीं कराया गया है.

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Published : Jul 12, 2019, 8:18 AM IST

लगातार बढ़ रहा नारायणी नदी का जल स्तर.

कुशीनगर: नेपाल के पहाड़ों से निकलकर उत्तर प्रदेश के महराजगंज और कुशीनगर जिलों से होकर बहने वाली नारायणी नदी का जलस्तर बारिश के कारण बढ़ने लगा है. सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड की उदासीनता के कारण नदी किनारे बसे ग्रामीणों को बंधे के टूटने का भय अभी से सताने लगा है.

लगातार बढ़ रहा नारायणी नदी का जलस्तर.


लगातार बढ़ रहा नारायणी नदी का जल स्तर

  • नारायणी नदी का विशालतम रूप हर साल जुलाई और अगस्त में दिखता है.
  • इसी कारण नदी किनारे बने बंधों पर हर साल बचाव के कार्यों को 15 जून के पहले पूरा कर लिया जाता है.
  • वर्त्तमान में एपी तटबंध पर बरवापट्टी गांव के पास बंधे पर बोल्डरों के पिचिंग का कार्य कराया जा रहा है.
  • लक्ष्मीपुर गांव के पास नारायणी की तेज धारा बंधे से सटकर बह रही है.
  • तटबंध को बचाने के लिए लक्ष्मीपुर के पास तीन स्परों का निर्माण कराया गया है, जिसे ग्रामीण फिजूलखर्ची बता रहे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि इस बार विभाग द्वारा बंधे को बचाने के लिए कोई बड़ा कार्य नहीं कराया गया है. इस कारण नदी कभी भी कटान कर बंधे को क्षतिग्रस्त कर सकती है. लोगों कहना है कि अब बांध बचाव के नाम पर सरकारी धन के लूट का खेल खेला जा रहा है, क्योंकि अब बारिश के मौसम में इनका कराया हुआ कोई काम तेज धारा के सामने टिक नहीं पाएगा.

ईटीवी भारत ने संबंधित क्षेत्र के अवर अभियन्ता महेश सोनकर से बात कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया, लेकिन वो कैमरे के सामने आने को तैयार नहीं हुए.

कुशीनगर: नेपाल के पहाड़ों से निकलकर उत्तर प्रदेश के महराजगंज और कुशीनगर जिलों से होकर बहने वाली नारायणी नदी का जलस्तर बारिश के कारण बढ़ने लगा है. सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड की उदासीनता के कारण नदी किनारे बसे ग्रामीणों को बंधे के टूटने का भय अभी से सताने लगा है.

लगातार बढ़ रहा नारायणी नदी का जलस्तर.


लगातार बढ़ रहा नारायणी नदी का जल स्तर

  • नारायणी नदी का विशालतम रूप हर साल जुलाई और अगस्त में दिखता है.
  • इसी कारण नदी किनारे बने बंधों पर हर साल बचाव के कार्यों को 15 जून के पहले पूरा कर लिया जाता है.
  • वर्त्तमान में एपी तटबंध पर बरवापट्टी गांव के पास बंधे पर बोल्डरों के पिचिंग का कार्य कराया जा रहा है.
  • लक्ष्मीपुर गांव के पास नारायणी की तेज धारा बंधे से सटकर बह रही है.
  • तटबंध को बचाने के लिए लक्ष्मीपुर के पास तीन स्परों का निर्माण कराया गया है, जिसे ग्रामीण फिजूलखर्ची बता रहे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि इस बार विभाग द्वारा बंधे को बचाने के लिए कोई बड़ा कार्य नहीं कराया गया है. इस कारण नदी कभी भी कटान कर बंधे को क्षतिग्रस्त कर सकती है. लोगों कहना है कि अब बांध बचाव के नाम पर सरकारी धन के लूट का खेल खेला जा रहा है, क्योंकि अब बारिश के मौसम में इनका कराया हुआ कोई काम तेज धारा के सामने टिक नहीं पाएगा.

ईटीवी भारत ने संबंधित क्षेत्र के अवर अभियन्ता महेश सोनकर से बात कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया, लेकिन वो कैमरे के सामने आने को तैयार नहीं हुए.

Intro:Intro - P2C

नेपाल के पहाड़ों से निकलकर उत्तर प्रदेश के महराजगंज और कुशीनगर जिलों से होकर बहने वाली नारायणी नदी का जल स्तर लगातार हो रही बारिश के कारण बढ़ने लगा है, सिंचाई विभाग के बाढ़ खण्ड की उदासीनता के कारण नदी किनारे बसे ग्रामीणों को बन्धे के टूटने का भय अभी से सताने लगा है क्योंकि कुशीनगर जिले में एपी तटबन्ध पर संवेदनशील स्थानों पर कोई ठोस काम की शुरुवात कर ही नही सका है


Body:VO - नारायणी नदी का विशालतम रुप हर साल जुलाई और अगस्त महीने में दिखता है और इसी कारण शासन के निर्देश पर नदी किनारे बने बन्धों पर हर साल बचाव के कार्यों को 15 जून के पूर्व पूरा करा लिया जाता है

वर्त्तमान मे एपी तटबन्ध पर बरवापट्टी गाँव के पास बन्धे पर बोल्डरों के पिचिंग का कार्य कराया जा रहा है, सम्बन्धित कार्य विभाग के बंटे चार खण्डों में से किसके द्वारा कराया जा रहा है ये कोई बताने को तैयार नही है

इसी प्रकार थोड़ा आगे लक्ष्मीपुर गाँव के सामने नारायणी की तेज धारा बन्धे से सटकर बहती दिख रही है , बन्धे पर मिले ग्रामीणों का कहना था कि इस बार विभाग द्वारा बन्धे को बचाने के लिए कोई बड़ा कार्य नही कराया गया है, इस कारण नदी कभी भी कटान करके बन्धे को क्षतिग्रस्त कर सकती है, लोगों का कहना था कि अधिकारी भी कभी कभार ही दिखाई दे रहे हैं

बाइट - राम चन्द्र, ग्रामीण, लक्ष्मीपुर

Mid P2C

ईटीवी भारत ने मौके से ही सम्बन्धित क्षेत्र के अवर अभियन्ता महेश सोनकर से मोबाइल के जरिए बात कर उनका पक्षा जानने का प्रयास किया लेकिन वो कैमरे के सामने आने को तैयार नही हुए

तटबन्ध को बचाने के दृष्टिकोण से हाल ही मे लक्ष्मीपुर के पास नदी की तरफ तीन सटे से हुए तीन स्परों का निर्माण कराया गया है जिसे ग्रामीण फिजूलखर्ची बता रहे हैं

आसपास के लोगों कहना था कि अब बाँध बचाव के नाम पर सरकारी धन के लूट का खेल खेला जा रहा है क्योंकि अब बारिश के मौसम में इनका कराया हुआ कोई काम तेज धारा के सामने टिक नही पाएगा



Conclusion:प्रतिवर्ष बन्धे के रखरखाव और सम्भावित बाढ़ के समय बन्धे को बचाने के नाम पर करोड़ों करोड़ रुपया पानी मे स्वाहा कर दिया जाता है, अधिकारी निर्धारित कार्यों के बीच मे ही फ्लड फाइटिंग के नाम पर अपने पसंदीदा ठीकेदारों को कमाई भी इस दौरान जमकर करा लेते हैं, देखने वाली बात ये होगी कि अभी तक चल रहे कामों के कारण इस बार बाढ़ बचाव का दावा पूरा हो पाता है या नही
End P2C


सूर्य प्रकाश राय
कुशीनगर
9984001450
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