कुशीनगर: नेपाल के पहाड़ों से निकलकर उत्तर प्रदेश के महराजगंज और कुशीनगर जिलों से होकर बहने वाली नारायणी नदी का जलस्तर बारिश के कारण बढ़ने लगा है. सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड की उदासीनता के कारण नदी किनारे बसे ग्रामीणों को बंधे के टूटने का भय अभी से सताने लगा है.
लगातार बढ़ रहा नारायणी नदी का जल स्तर
- नारायणी नदी का विशालतम रूप हर साल जुलाई और अगस्त में दिखता है.
- इसी कारण नदी किनारे बने बंधों पर हर साल बचाव के कार्यों को 15 जून के पहले पूरा कर लिया जाता है.
- वर्त्तमान में एपी तटबंध पर बरवापट्टी गांव के पास बंधे पर बोल्डरों के पिचिंग का कार्य कराया जा रहा है.
- लक्ष्मीपुर गांव के पास नारायणी की तेज धारा बंधे से सटकर बह रही है.
- तटबंध को बचाने के लिए लक्ष्मीपुर के पास तीन स्परों का निर्माण कराया गया है, जिसे ग्रामीण फिजूलखर्ची बता रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि इस बार विभाग द्वारा बंधे को बचाने के लिए कोई बड़ा कार्य नहीं कराया गया है. इस कारण नदी कभी भी कटान कर बंधे को क्षतिग्रस्त कर सकती है. लोगों कहना है कि अब बांध बचाव के नाम पर सरकारी धन के लूट का खेल खेला जा रहा है, क्योंकि अब बारिश के मौसम में इनका कराया हुआ कोई काम तेज धारा के सामने टिक नहीं पाएगा.
ईटीवी भारत ने संबंधित क्षेत्र के अवर अभियन्ता महेश सोनकर से बात कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया, लेकिन वो कैमरे के सामने आने को तैयार नहीं हुए.